लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में बुधवार को सफलतापूर्वक दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। पांच घंटे चला यह ऑपरेशन काफी जटिल था क्योंकि युवक को किडनी के साथ ही हार्ट की भी दिक्कत थी और उसका हार्ट मात्र 35 प्रतिशत ही कार्य कर रहा था। इस ऑपरेशन में पिता ने अपने 26 वर्षीय पुत्र को किडनी डोनेट की, ऑपरेशन के बाद दोनों ठीक हैं। फिलहाल दोनों चिकित्सकों की कड़ी निगरानी में भर्ती हैं।
किडनी के साथ ही हार्ट की भी थी दिक्कत
प्रत्यारोपण करने वाले ट्रांसप्लांट यूनिट व यूरोलॉजी हेड डॉ.ईश्वर राम ने बताया कि बाराबंकी निवासी राहुल गुप्ता बीते छह माह से डायलिसिस पर था। चूंकि राहुल में किडनी के साथ ही हार्ट की भी खासी दिक्कत थी, लिहाजा ट्रांसप्लांट जटिल था। मगर, राहुल के पिता जानते थे कि इससे पूर्व यहां किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है इसलिए वह इस पर जोर दे रहे थे कि उनके पुत्र का भी किडनी प्रत्यारोपण हो। डॉ ईश्वर ने बताया कि ट्रांसप्लांट के लिए पिता संतोष द्वारा किडनी डोनेट करने की सहमति मिलने पर, जांच व कागजी औपचारिकताएं पूर्ण की और बुधवार को ट्रांसप्लांट संपन्न हुआ। उन्होंने बताया कि पहले दो घंटे डोनर का ऑपरेशन हुआ उसके बाद करीब तीन घंटे राहुल का ऑपरेशन करके किडनी प्रत्यारोपित की गयी। उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट के बाद राहुल को होश आ गया है और उसे लगभग आधा लीटर पेशाब भी हुई है। फिलहाल पुत्र और पिता दोनों की हालत मेंं तेजी से सुधार हो रहा है।
ये चिकित्सक शामिल रहे प्रत्यारोपण में
ट्रासंप्लांट करने वाली टीम में यूरो सर्जन डॉ.ईश्चर राम के साथ डॉ.आलोक व डॉ.संजीत के साथ ही संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के यूरो सर्जन डॉ.अनीस श्रीवास्तव भी शामिल थे। ट्रांसप्लांट उपरांत मरीज नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.अभिलाष निगरानी में है।
हाई ब्लड प्रेशर के कारण खराब हुईं किडनी व हार्ट
26 वर्षीय राहुल की दोनों किडनियां हाई बीपी की वजह से खराब हुई हैं। इसके अलावा राहुल में हार्ट भी कमजोर हो चुका था। डॉ.ईश्वर ने बताया कि आमतौर पर किडनी रोगियों में हार्ट की भी समस्या हो जाती है। उन्होंने बताया कि कि चूंकि युवाओं में जहां एक तरफ पढ़ाई का तनाव होता है तो वहीं दूसरी ओर वे अपने कॅरियर को लेकर खासे चिंताग्रस्त रहते हैं इसी वजह से हाई बीपी की समस्या हो जाती है,यही नहीं चूंकि वे समस्या को अनदेखा करते रहते हैं इसलिए समस्या और बढ़ती जाती है। उन्होंने बताया कि ऐसे समय में यह जरूरी है कि घरवाले इस पर ध्यान दें और अपने बच्चों को तनावग्रस्त देखें तो उनकी काउंसलिंग करायें, साथ ही वे अपना व्यवहार भी बच्चों के प्रति ठीक रखें।