लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के निदेशक स्वास्थ्य डॉ जीके कुरील ने कहा है कि प्रत्येक माता-पिता को अपने पुत्र की दिन-चर्या के विषय में अपने बच्चों से वार्तालाप किया जाना आवश्यक है, किशोरावस्था तम्बाकू एवं अन्य प्रकार के नशों की ओर आकर्षित होने की आयु है, जिसमें माता-पिता का सहयोग अति आवश्यक है। है। निदेशक स्वास्थ्य ने कहा कि स्वयं-सेवी-संगठनों द्वारा तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम का क्रियान्वयन किये जाने के पीछे उद्देश्य तम्बाकू नियंत्रण हेतु जन भागीदारी को सुदृढ़ करना है।
यह बात आज यहां राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ द्वारा राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जीएस बाजपेई ने किया। सीएमओ कार्यालय स्थित सभागार में विद्यालय कार्यक्रमों के सम्पादन हेतु चयनित 70 स्वयं-सेवी-संगठनों को प्रशिक्षण प्रदान किये जाने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का आरम्भ राज्य कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम डा0 आलोक कुमार द्वारा सभी स्वयं-सेवी-संगठनों के स्वागत के साथ किया गया। जिसके उपरान्त प्रतिभागियों का परिचय एवं उनका द्वारा कृत कार्याे का विवरण भी सुना गया। डा0 आलोक ने कहा कि किशोरों को तम्बाकू सेवन की ओर आकर्षित न होने देना एक सच्चा प्रयास होगा।
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य सलाहकार सतीश त्रिपाठी द्वारा प्रतिभागियों को सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 की धारा-4, धारा-5, धारा-6 एवं धारा-7 के विषय में सविस्तार बताया एवं प्रतिभागियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर प्रदान किया गया।
कार्यक्रम सहायक सूर्य प्रकाश पाठक द्वारा समस्त प्रतिभागियों को रिपोर्टिग फॉर्मेट के विषय में बताया गया, एवं स्वयं सेवी संगठन को गैर सरकारी संगठन नही मानते हुये ‘असरकारी’ संगठन बताया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जीएस बाजपेई ने कहा कि ‘ईश्वर ने मुंह अच्छी बातें बोलने के लिए, अच्छा भोजन करने के लिए दिया है, तम्बाकू नामक विष का सेवन कर कैंसर जैसी बीमारी लेने के लिए नहीं प्रदान किया है।’ उन्होंने लखनऊ नगर में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत कृत कार्यवाहियों को साझा करते हुये प्रतिभागियों को अवगत कराया कि टीम के प्रयासों से जिलाधिकारी लखनऊ द्वारा समस्त मतदान केन्द्रों को धूम्रपान-मुक्त घोषित किया गया है। कार्यक्रम में स्वयं-सेवी-संगठनों को निर्देश दिये गये कि प्रत्येक जनपद में प्रतिवर्ष 70 विद्यालयों में कार्यक्रम किये जायेगे। इन कार्यक्रमों के द्वारा जिसके द्वारा शिक्षण संस्थानों को तम्बाकू-मुक्त क्षेत्र घोषित किये जाने के प्रयास किये जायें। साथ हीे विद्यार्थियों को तम्बाकू की ओर आकर्षित होने से बचाने एवं जागरूक किये जाने के प्रयास हों। कार्यक्रम के अन्त में डॉ जीके कुरील की नेतृत्व में सभी प्रतिभागियों ने तम्बाकू सेवन न करने की एवं तम्बाकू के विरुद्ध कार्यवाही करने की शपथ ग्रहण की।
कार्यशाला में राज्य कार्यक्रम अधिकारी एनपीसीडीसीएस डॉ एमएम सिंह, राज्य वित्त सलाहकार रोहित खेतान, एनसीडी डॉ मयंक चौधरी, जनपद सलाहकार दिनेश, क्षमाकान्त एवं अन्य राज्य एवं जनपद स्तरीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।