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एक साल पहले जिन्‍हें लगाया पेसमेकर, उनकी जांच में पाया ‘ऑल इज वेल’

-अजंता हार्ट केयर एंड कैथ लैब सेन्‍टर ने लगाया फॉलोअप कैम्‍प

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। दिल की थमती धड़कनें हों, या उनकी धीमी होती गति हो, दोनों ही सूरतों में पेसमेकर लगाकर सामान्‍य व्‍यक्ति की तरह दिल की धड़कनों को नियंत्रित कर दिया जाता है। आलमबाग स्थित अजंता हॉस्पिटल की कार्डियक इकाई अजंता हार्ट केयर एंड कैथ लैब में जिन मरीजों को पेस मेकर लगाया गया था, उनके पेस मेकर की जांच के लिए आज 16 फरवरी को अजंता हॉस्पिटल में एक जांच शिविर का आयोजन किया गया।

यह जानकारी कार्डियक इकाई के विभागाध्‍यक्ष डॉ अभिषेक शुक्‍ला ने देते हुए बताया कि दिल की धड़कनों की गति धीमी होने की शिकायत वाले मरीजों में मौत का खतरा बना रहता है, ऐसे मरीजों को सर्जरी कर पेसमेकर इम्‍प्‍लांट कर दिया जाता है। इससे मरीज की दिल की धड़कनों को सामान्‍य बनाये रखा जाता है।

उन्‍होंने बताया कि जिन मरीजों को हार्ट ब्‍लॉक होने का खतरा होता है उन्‍हें हमने स्‍थायी पेसमेकर लगाया है। डॉ अभिषेक ने बताया कि हमारी कैथ लैब में जिन मरीजों को पेसमेकर लगे हुए एक साल पूरा हो गया था उनकी जांच करने के लिए यह शिविर आयोजित किया गया था। उन्‍होंने बताया कि इस शिविर में 45 मरीज आये, और जांच में सभी का पेसमेकर ठीक काम करता हुआ पाया गया।

डॉ शुक्‍ला ने बताया कि उन्‍हें और उनकी टीम के हौसलों में उस समय नया संचार हो जाता है, जब हमारे कुछ मरीज, जिनकी आयु 90 वर्ष से ऊपर है, वे भी चलकर अपनी जांच कराने अस्‍पताल आते देखते हैं।

अजंता हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्‍टर डॉ अनिल खन्‍ना ने बताया कि हमारा प्रयास यह है कि न सिर्फ हार्ट बल्कि अन्‍य उपलब्‍ध विधाओं में भी समाज को हम ऐसी गुणवत्‍तापूर्ण चिकित्‍सा सेवायें दे सकें जो आर्थिक दृष्टिकोण से भी सभी की पहुंच के अंदर हों। उन्‍होंने बताया कि अजंता हार्ट केयर सेंटर की कैथ लैब अत्‍याधुनिक उपकरणों से युक्‍त है। उन्‍होंने बताया कि हम लोगों के इस भ्रम को तोड़ना चाहते हैं कि निजी अस्‍पतालों में सस्‍ती और अच्‍छे उपकरण वाली सेवायें नहीं मिलती हैं।