Wednesday , October 11 2023

मानव पुतलों पर सिखाया गया कैसे उपचार करें विषजनित रोगों का

 -विष के रोगों को पहचानने से लेकर उपचार तक के बारे सिखाने के लिए लोहिया संस्‍थान में कार्यशाला आयोजित
-माहवार होने वाली घटनाओं के बार में ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के लिए जारी किया गया कैलेंडर

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के फोरेन्सिक मेडिसिन विभाग एवं इन्डियन सोसाईटी ऑफ टॉक्सिकोलाजी के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ’विष सम्बन्धी रोगों एवं इमरजेन्सी टाक्सिकोलाजी’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन आज 21 जनवरी को संस्थान के प्रशासनिक भवन में किया गया। इस कार्यशाला में प्रशिक्षुओं के विशेषत: विष एवं संबंधित रोगों को पहचानना, दवाइयों की अधिकता, विष के निवारण की दवाओं एवं विधियों को विस्तार से बताते हुए प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला में मानव के समान पुतलों पर वास्तविक रूप में प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला की अध्यक्षता एवं उद्घाटन संस्थान के निदेशक, प्रो0ए0के0 त्रिपाठी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। इस अवसर पर संस्थान की डीन प्रो0 नुज़हत हुसैन, रजिस्ट्रार प्रो0 राजन भटनागर, प्रो0 दीपक मालवीय, विभागाध्यक्ष निश्चेतना विभाग, संकाय सदस्य, छात्र, उपचारिका एवं अन्य अतिथि उपस्थित रहे।

इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से परामर्शदाता डाक्टर, एन0आर0एच0एम0 के मेडिकल ऑफिसर, इमरजेन्सी मेडिसिन, इंटरनल मेडिसिन, क्रिटिकल केयर मेडिसिन एवं फोरेन्सिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी के पोस्ट ग्रेजुएट छात्र-छात्राएँ एवं विशेष चिकित्सकों , लगभग 100 लोगों ने प्रतिभाग किया।

कार्यशाला का उद्देश्य नैदानिक विष विज्ञान में वर्तमान प्रथाओं एवं सामान्य और विशेष विष सम्बन्धी रोगों पर प्रकाश डालना था। मास्टर क्लास में शैक्षणिक गतिविधियों के नवीनतम अनुसंधान, सीमांत सिद्धांत और प्रौद्योगिकी और भविष्य के वैज्ञानिक विकास और विषविज्ञान के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना था। पर्यावरण और पारिस्थितिक सुरक्षा के क्षेत्र में विष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोग और विषाक्त खतरों के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराना था।

इंडियन सोसायटी ऑफ टॉक्सिकोलॉजी के सहयोग से फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग, आरएमएलआईएमएस, लखनऊ ने आधिकारिक तौर पर इंडियन सोसाइटी ऑफ टॉक्सिकोलॉजी द्वारा ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के लिए विषाक्त कैलेंडर को जारी किया, ताकि आम विषाक्तता का अनुमान लगाया जा सके, मासूम बच्चों के बीच विषाक्त हताहतों की तैयारी की जा सके, पहले से जनजागरूकता और भविष्य में विषाक्त आपदाओं को रोका जा सके। इंडियन सोसाइटी ऑफ टॉक्सिकोलॉजी ने जर्नल रिपोर्ट्स के आधार पर भारत में आम जहर की घटनाओं के अनुसार एक विषाक्त कैलेंडर तैयार किया है। इस कैलेंडर में साल भर में होने वाले त्‍यौहारों व अन्‍य अवसरों पर होने वाली घटनाओं को ध्‍यान में रखते हुए जानकारियां दी गयी हैं जो डॉक्‍टरों के लिए काफी उपयोगी है। इस कैलेंडर के जरिये ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए तैयारियां रखी जा सकती हैं।

इस कार्यशाला में कोच्चि के एम्‍स प्‍वॉइजन कंट्रोल सेंटर के डॉ वीवी पिल्‍लई, लोहिया संस्थान के डॉ पी के झा, मीनाक्षी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मदुरई के डॉ नरेंद्र नाथ जेना, मेदांता गुरुग्राम के डॉ देवेंद्र रिछारिया, नियति हॉस्पिटल लखनऊ के डॉक्टर यश जावेरी, मेदांता लखनऊ के डॉक्टर लोकेंद्र गुप्ता, लोहिया संस्थान के डॉ एसएस नाथ मैक्स हॉस्पिटल सिमुलेशन सेंटर नई दिल्ली की डॉक्टर वनीता मित्तल और केजीएमयू लखनऊ के डॉ शिउली राठौर ने व्याख्यान दिए।

डॉ शिउली राठौर ने 20 सेकंड से 20 मिनट के अंदर सामान्य नशे के बेडसाइड निदान के लिए के बारे में बताया, डॉ पीके दास ने विषैले सर्प दंशों की पहचान एवं इलाज के लिए दिशानिर्देशों के बारे में बताया, उन्होंने सिमुलेशन पर डॉक्टरों को सर्पदंश का अभ्यास करवाया। इसके अतिरिक्त कार्यशाली के आयोजक सचिव डॉ विवेकांशु वर्मा ने बताया कि विषजनित रोगों के निदान को वास्तविक रूप में बदलने और समाज को इस प्रकार के त्वरित उपचार प्रदान करने में यह कार्यशाला अपने आप में अनूठी पहल है। डॉ एसएस नाथ ने अपने व्याख्यान में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में विषाक्त अल्कोहल मेथनॉल विषाक्तता के प्रबंधन के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सप्ताहांत पर गरीब कार्यकर्ता देसी शराब का सेवन करते हैं और 36 से 48 घंटे के बाद बीमार पड़ जाते हैं ऐसे मरीजों को तत्काल डायलिसिस की आवश्‍यकता होती है इसके बावजूद हर साल मृत्‍यु सैकड़ों में होती है इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है तंबाकू-सिगरेट की तरह मानव के लिए खतरनाक लेबल लगाकर किसी भी रूप में शराब के सेवन के रोकथाम के प्रति जागरूकता फैलानी होगी। उन्‍होंने कहा कि इसके अलावा शराब का कुप्रभाव ड्राइविंग पर हो रहा है जो निर्दोष लोगों को मारता है।

कार्यशाला में संस्थान के एमबीबीएस छात्रों ने नाटक प्रस्तुत किया इस नाटक के माध्यम से उन्होंने शराब के प्रभाव के बारे में बताया।