केजीएमयू में ओर्थोपेडिक और बायोकेमिस्ट्री विभाग की संयुक्त रिसर्च में दिखे परिणाम
स्नेहलता सक्सेना
लखनऊ. दवाओं के साथ योग के आसन गठिया रोग में कारगर हैं, यह रिसर्च में सिद्ध हो चुका है, यही नहीं, यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल में भी छप चुकी है. यह जानकारी आज केजीएमयू के ओर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अजय सिंह ने दी. उनका कहना है कि मॉडर्न पद्धति से इलाज करने वाले डाक्टर यदि साथ में योग भी कराएं तो दवा पर निर्भरता कम होगी जिससे जहाँ दवा पर होने वाला व्यय कम होगा वहीँ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट भी कम होंगे.
आज से शुरू हुए नेशनल कांग्रेस ऑफ़ ऑस्टियोअर्थराइटिस OACON 2017 में डॉ. अजय सिंह ने गठिया में योग से लाभ के ऊपर की गयी अपनी रिसर्च के बारे में विस्तार से जानकारी दी. डॉ. सिंह ने बताया कि केजीएमयू में आने वाले गठिया के मरीजों पर डिपार्टमेंट ऑफ़ आर्थोपेडिक्स और डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोकेमिस्ट्री द्वारा मिलकर 120 मरीजों पर यह रिसर्च की गयी. उन्होंने बताया कि आधे मरीजों को एक ग्रुप में रखा गया तथा उन्हें दवाओं के साथ योग के आसन भी कराये गए, जबकि दूसरे ग्रुप में आधे मरीजों को रखा गया जिन्हें सिर्फ दवाएं दी गयीं. उन्होंने बताया कि बाद में देखा गया कि जिन मरीजों को दवा के साथ योग कराया गया था, उनके घुटने में सूजन भी कम थी तथा दर्द भी कम था.
उन्होंने बताया कि योग से लाभ होता है, योग के समर्थक यह मानते हैं लेकिन योग के विरोधियों का मानना था कि इसे प्रमाणित कैसे कर सकते हैं इसलिए हम लोगों ने इसका लैब में टेस्ट कराया. उन्होंने बताया कि खून में इंटरलुकिंस केमिकल दो तरह के होते हैं. एक अच्छे और खराब. खराब वाले इंटरलुकिंस सूजन बढ़ाने के जिम्मेदार होते हैं. डॉ. अजय सिंह ने बताया कि जिन मरीजों को दवा के साथ योग भी कराया गया था, उनका लैब में टेस्ट कराया तो खराब वाले इंटरलुकिंस की संख्या कम पायी गयी. जबकि जिन मरीजों को सिर्फ दवाएं दी गयी थीं उन मरीजों में इंटरलुकिंस की संख्या ज्यादा थीं.
उन्होंने बताया कि योग के पांच आसन थे जो हफ्ते में तीन बार 45-45 मिनट कराये गए. यह पूछने पर कि क्या संभव है कि यदि रिसर्च की जाये तो योग से गठिया ठीक हो सकती है? उन्होंने कहा कि क्यों नहीं ऐसा संभव है.

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