Wednesday , October 11 2023

नये आदेश को चिकित्‍सक बिरादरी का अपमान बताया आरडीए ने

-वरिष्‍ठ चिकित्‍सकों को कोविड वार्ड का रोज राउंड लेने का सबूत भी देने का आदेश दिया गया है

-संजय गांधी पीजीआई के रेजीडेंट्स ने मुख्‍यमंत्री से तुगलकी फरमान को वापस लेने की मांग की

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के सभी चिकित्‍सा शिक्षण संस्‍थानों के अस्‍पतालों में बने कोविड वार्ड में प्रतिदिन वरिष्‍ठ चिकित्‍सक को मरीज को देखने जाना अनिवार्य किये जाने के साथ ही उसकी फोटो या वीडियो की रिपोर्ट विभाग के कंट्रोल रूप भेजने के आदेश पर संजय गांधी पीजीआई के रेजीडेंट्स डॉक्‍टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने कड़ी आपत्ति जतायी है। उनका कहना है कि इस तरह का तुगलकी फरमान जहां चिकित्‍सकों के लिए अपमानजनक है, वहीं यह व्‍यवहारिक भी नहीं है। देश के किसी भी तकनीकी या राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त संस्थान में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। एसोसिएशन ने मुख्‍यमंत्री से मांग की है कि यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिये।

एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डॉ आकाश माथुर व जनरल सेक्रेटरी डॉ अनिल गंगवार ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहाँ मुख्यमंत्री के कुशल प्रशासन एवं संवेदनशील रवैये के चलते ऐसी घटनाएं कम ही देखने को मिलती हैं। लेकिन इस आदेश ने निराश किया है।
नेताद्वय ने कहा कि इस शासनादेश के द्वारा सीनियर डॉक्‍टर्स की फ़ोटो या वीडियो ले कोरोनॉ वार्ड से राउंड लेते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने का तुग़लकी फरमान जारी किया गया है। उन्‍होंने कहा कि अक्सर ऐसे पैंतरे प्राथमिक शिक्षा केंद्रों में उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु अपनाए जाते हैं। तकनीकी संस्थानों में पहले से ही निदेशक के अधिकार में इतनी शक्तियाँ प्रदत्त हैं कि वह सभी वरिष्ठ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकें।

उन्‍होंने कहा कि यदि शासन भी वरिष्ठ चिकित्सकों की खोज खबर लेने का इरादा रखता है तो आसानी से निदेशक से एक रिपोर्ट मांगकर यह कार्य पूर्ण किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि यहाँ यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि यदि कोई वरिष्ठ चिकित्सक किसी एक वक्त मरीज़ नहीं भी देख रहा है तब भी वह संस्थान प्रबंधन, चिकित्सा शिक्षा या शोध कार्यों में ही व्यस्त रहते हैं, ऐसे में इस तरह की व्यवस्था एक समर्पित चिकित्सक को हतोत्साहित करने वाली है।

उन्‍होंने कहा कि इस आदेश के अपमानजनक होने के अलावा इसका व्यवहारिक ना होना भी एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण कुछ बड़े सवाल भी यहाँ खड़े होते हैं। पीपीई पहन कर सभी लोग एक जैसे ही दिखते हैं, ऐसे में कौन है फ़ोटो/वीडियो में यह कैसे सुनिश्चित होगा, कोरोनॉ वार्ड के अंदर यदि कैमरा लेकर जाया जाएगा तो प्रतिदिन उसको सैनिटाइज कैसे किया जाएगा, यह कैमरा ही तो संक्रमण का स्रोत बन सकता है, क्या कोरोना वार्ड के अंदर जाकर फोटोग्राफी करना मरीज़ों के निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा ? ज्ञात हो दो दिन पूर्व प्रदेश के चिकित्‍सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के महानिदेशक डॉ केके गुप्‍ता द्वारा यह आदेश जारी किया गया है।