Wednesday , October 11 2023

ऐसा मॉडल बनेगा, जिससे एक्स रे से हो जायेगी कोरोना की जांच

-केजीएमयू और एकेटीयू मिलकर बनायेंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) और डॉक्टर अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल विकसित करेंगे इस के सहयोग से कोविड-19 रोगियों की पहचान की जा सकेगी इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मॉडल में जांच के लिए एक्स-रे इमेज का प्रयोग किया जाएगा।

यह जानकारी केजीएमयू के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने आज यहां आयोजित ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में देते हुए बताया कि इस प्रक्रिया में केजीएमयू द्वारा कोविड-19 रोगियों और नॉन कोविड-19 रोगियों का डाटा प्रदान किया जाएगा जिसके बाद एकेटीयू के वैज्ञानिक मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मॉडल को विकसित करेंगे मॉडल विकसित करने के उपरांत इस उपकरण की मदद से कोविड-19 मरीजों की पहचान की जा सकेगी। उन्होंने बताया इस तरह से कोविड-19 रोगियों की पहचान के लिए एक परफेक्‍ट डायग्‍नोस्टिक उपकरण विकसित हो सकेगा। इस संयुक्‍त अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य एक आसान एक प्रणाली विकसित करना है जो रियल टाइम सिचुएशन  में कोविड-19 की पहचान कर सके।

कुलपति ने बताया कि इसमें कुछ और संस्‍थान भी मेडिकल इमेज उपलब्‍ध कराने में सहयोग करेंगे, इनमें उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई,  गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोटा, सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज, आगरा शामिल हैं।  उन्होंने बताया कि इन संस्थानों से इनपुट के साथ और कई इंटरनेशनल लैब के सहयोग से संयुक्त अनुसंधान को सफल बनाया जाएगा।

एकेटीयू के कुलपति विनय कुमार पाठक ने बताया कि कंप्यूटर विजन की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित मॉडल में मेडिकल इमेज का उपयोग करते हुए कोविड-19 रोगियों की पहचान करने वाला विकसित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में कुछ शुरुआती कार्य अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और कुछ अन्य देशों के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए हैं। सटीक सिस्टम विकसित करने के लिए उचित डाटा सेट महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 की जांच के लिए प्रस्तावित अनुसंधान में रोगियों के चेस्ट एक्‍स रे की इमेज का संग्रह शामिल होगा। कोविड-19 रोगियों की जांच के लिए विकसित किए जाने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मॉडल में चेस्ट के डेटासेट का उपयोग किया जाएगा। डेटासेट को कोविड-19, निमोनिया, सार्स, फ्लू और सामान्‍य लोगों के चेस्‍ट एक्‍स रे  इमेज की जरूरत होती है ताकि विकसित प्रणाली कोविड-19 को अन्य प्रकार की बीमारियों से अलग कर सके। उन्होंने बताया इसमें कोविड-19 रोगियों के चेस्ट एक्सरे, सीटी स्कैन का सामान्य व्यक्ति, सामान्य फ्लू, निमोनिया से ग्रसित रोगियों के चेस्ट एक्‍स रे या सीटी स्कैन आदि से विश्लेषण किया जाएगा, इस तरह डिस्क्रिमिनेटरी फीचर्स का उपयोग करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मॉडल को प्रशिक्षित किया जाएगा, साथ ही इस मॉडल के स्वचालित वर्गीकरण के लिए डीप लर्निंग सीएनएन नेटवर्क का भी उपयोग किया जाएगा।

इस प्रोजेक्ट में शामिल एकेटीयू के अधिष्ठाता प्रोफेसर एमके दत्ता ने बताया कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हृदय और फेफड़ों के साउंड से कार्डियक और पल्मोनरी बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। प्रोफेसर दत्ता ने बताया कि इस संयुक्त अनुसंधान में कोविड-19 रोगियों की पहचान करने के लिए सभी संभावित मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग की विधि का प्रयोग किया जाएगा, जिससे कोविड-19 रोगियों की पहचान के लिए एक उपकरण विकसित किया जा सके। ज्ञात हो प्रोफ़ेसर दत्ता का फंडस इमेज से डायबिटिक रेटिनोपैथी, ग्लूकोमा और मैकुलर एडिमा जैसी गंभीर बीमारियों का पता लगाने के लिए एआई आधारित रेलवे स्टेशन में भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। प्रो दत्‍ता का अधिकांश शोध कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका कनाडा ब्रिटेन चेक गणराज्य स्पेन जर्मनी ताइवान चीन ऑस्ट्रेलिया कोरिया के वैज्ञानिकों के सहयोग से है।

इस मौके पर रेडियो डायग्‍नोसिस विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नीरा कोहली ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग वर्ष 1956 से आईबीएम में ऑटोमे‍टेड प्‍लेन,  कार इत्‍यादि में किया गया तथा मेडिकल क्षेत्र में इसका प्रयोग 21वीं सदी में प्रारंभ हुआ। इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मॉडल के माध्यम से एलोरिद्म जेनरेट किया जा सकेगा, जिससे कोविड-19 मरीजों को डायग्नोस करने में आसानी होगी।

प्रेस वार्ता में रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉ अनित परिहार ने बताया कि इस ऑटोमेटेड के माध्यम से निरंतर कोविड-19 तथा अन्य बीमारियों को जल्द डायग्नोस किया जा ,जबकि मानव श्रम शक्ति सीमित समय तक ही काम कर सकती है। इस ऑटोमेटेड टूल के सहयोग से कम समय में ज्यादा से ज्यादा मरीजों को डायग्नोस करने के साथ ही जैसे-जैसे इसकी परिशुद्धता बढ़ती जाएगी, इसका प्रयोग स्क्रीनिंग में भी किया जा सकेगा।