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लगातार बैठे-बैठे करते हैं काम, तो हो सकता है किडनी स्टोन

प्रो विनोद जैन

लखनऊ। अगर आपका व्यवसाय ऐसा है कि आपको ज्यादा समय तक बैठे रहना पड़ता है तो आप सावधान रहिये आपको गुर्दे की पथरी की संभावना दूसरे लोगों की अपेक्षा ज्यादा है। इसी प्रकार यदि आप मोटे हैं तो भी आपको गुर्दे की पथरी का खतरा ज्यादा है।
यह कहना है किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के सर्जरी विभाग के प्रो.विनोद जैन का। एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि यह देखा गया है कि जो व्यक्ति ज्यादातर बैठकर काम करते हैं उनमें पथरी की संभावना ज्यादा होती है। इसके विपरीत चलने-फिरने वाले काम करने वालों को पथरी की संभावना कम रहती है। प्रो. जैन ने इसका कारण बताया कि ऐसा इसलिये होता है क्योंकि चलने-फिरने से या दौडऩे-भागने अथवा मेहनत का काम करने वालों में पथरी बनाने के कण मूत्र तंत्र में इकट्ठा नहीं हो पाते हैं और वे बाहर निकल जाते हैं।  उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति गर्म वातावरण में कार्य करते हैं जैसे खानसामा, फैक्ट्री कर्मी, उनका मूत्र गाढ़ा हो जाता है, और लगातार ऐसा होने पर पथरी की संभावना बढ़ जाती है।

बीच-बीच में हल्का-फुल्का हिला लें शरीर को

प्रो.विनोद जैन ने बताया कि ऐसे लोगों को चाहिये कि लगातार लम्बे समय तक बैठ कर कार्य न करें, बीच-बीच में हल्की-फुल्की चहलकदमी कर लें, कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसा काम जिसमें शरीर थोड़ा सा हिलडुल ले। इसके अतिरिक्त अपने पानी पीने की मात्रा पर ध्यान दें, इतना पानी पीयें कि 24 घंटे में दो से ढाई लीटर मूत्र विसर्जित हो।

मोटे लोगों को भी है किडनी स्टोन का खतरा

प्रो. जैन ने बताया कि इसी प्रकार मोटे व्यक्तियों में भी सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा पथरी होने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे लोगों के आमतौर पर यूरिक एसिड पथरी बनती है। उन्होंने बताया कि मोटे पुरुषों के मुकाबले मोटी महिलाओं में यह प्रकृति अधिक पायी जाती है। उन्होंने बताया कि यद्यपि मोटे लोगों में मूत्र ज्यादा बनता है लेकिन फिर भी वह सामान्य लोगों की अपेक्षा गाढ़ा होता है। ऐसे लोगों का मूत्र ज्यादा अम्लीय होता है जिस कारण यूरिक एसिड की पथरी की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।

मोटे लोगों के किडनी स्टोन के इलाज में भी होती है कठिनाई

प्रो. जैन ने कहा कि मोटे रोगियों के पथरी के इलाज में भी काफी कठिनाई होती है क्योंकि साधारण लिथोट्रिप्सी मशीन द्वारा त्वचा से 15 सेंटीमीटर  यानी 6 इंच दूर तक ही शॉकवेव केंद्रित की जा सकती है। अधिकतर इससे अधिक दूरी पर स्थित पथरी का टूटना संभव नहीं हो पाता है। उन्होंने बताया कि मोटे रोगियों में त्वचा से पथरी की दूरी ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि पीसीएनएल यानी दूरबीन विधि में भी इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की लम्बाई भी गुर्दे तक पहुंंचने के लिए कम होती है। इसलिए मोटे रोगियों के लिए अलग उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि यही नहीं मोटे रोगियों को ऑपरेशन की मेज पर ऑपरेशन की स्थिति में लिटाने में काफी परेशानी होती है। उनमें बेहोशी के खतरे भी अधिक होती है।

क्या करें

प्रो जैन ने सलाह देते हुए बताया कि मोटे लोगों को चाहिये कि वे अपना वजन कम करें क्योंकि ज्यादा वजन किडनी स्टोन ही नहीं, अन्य तरह की बीमारियों को भी दावत देने वाला होता है। उन्होंने कहा कि  जब तक वजन कम नहीं होता है तब तक वह इस चीज का ध्यान रखें कि पानी पर्याप्त मात्रा में पीते रहे जिससे पेशाब दो से ढाई लीटर होता रहे।

मूत्र का रंग हल्का पीना होना चाहिये

प्रो. जैन ने बताया कि मोटे लोगों को भी पानी उचित मात्रा में पीना चाहिये। उन्होंने बताया कि उचित मात्रा को नापने का सबसे आसान और सरल उपाय है जो व्यक्ति स्वयं ही कर सकता है। उन्होंने बताया कि यह देखना चाहिये कि यदि मूत्र का रंग ज्यादा पीला है तो इसका अर्थ है पानी कम पी रहे हैं, मूत्र का रंग सफेद है तो इसका अर्थ है पानी ज्यादा पी रहे हैं और यदि मूत्र का रंग हल्का पीला है तो समझिये पानी पीने की मात्रा ठीक है।

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