-कर्मचारी वर्ग को महंगाई की वास्तविक क्षतिपूर्ति भी नहीं कर रही सरकार
सेहत टाइम्स
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि सरकार गरीबी से नीचे वालों को तो राशन बांट रही है परंतु कर्मचारी वर्ग को महंगाई की वास्तविक क्षतिपूर्ति भी नहीं कर रही है। महंगाई भत्ते में 3% की वृद्धि नाकाफी है। समाचार पत्रों की खबर के अनुसार 12% महंगाई बढ़ चुकी है और उसमें रोजाना वृद्धि हो रही है। रोजाना बढ़ रही महंगाई पर रोक लगाएं। बढ़ती हुई महंगाई से आम आदमी मेहनतकश वर्ग अत्यधिक त्रस्त है। उसके परिवार व बच्चे की शिक्षा दीक्षा, खानपान एवं अन्य दैनिक आवश्यक कार्य बाधित हो रहे हैं। दो जून की रोटी खाना भी मुश्किल हो गया है।
महासचिव प्रेमचंद्र ने खेद व्यक्त किया है कि भारत सरकार द्वारा बढ़ाई गई 03% महंगाई भत्ते की किस्त का राज्य सरकारों द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है और राज्य कर्मचारियों को तो कुछ भी नहीं मिल पा रहा है। राज्य सरकारें वेतन विसंगति, कैशलेस इलाज पर कोई निर्णय नहीं कर रही हैं। लॉकडाउन में काटे गए वेतन एवं भत्तों की वापसी नहीं हो रही है। सरकार कर्मचारी पर पाबंदी अनुशासनिक कार्यवाही तो कर रही है, लेकिन कर्मचारी की पीड़ा नहीं सुन रही है।
इप्सेफ ने प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया है कि कोविड-19 की महामारी में जान पर खेलकर कर्मचारियों ने अपनी सेवाएं दी हैं और दे रहे हैं, परंतु उनका हौसला बढ़ाने के लिए उनकी समस्याओं का निवारण नहीं हो रहा है जिससे कर्मचारी हतोत्साहित हो रहे हैं। पुरानी पेंशन बहाली का प्रकरण पर भी पुनर्विचार नहीं हुआ है, जबकि इप्सेफ ने सभी लोकसभा सदस्य/राज्यसभा सदस्यों को पत्र भेजकर सहयोग देने का अनुरोध किया है।
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महासचिव ने बताया है कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जा रही है। इस पर नई दिल्ली में नवंबर में बड़ी रैली प्रदर्शन करने का निर्णय लिया जा सकता है।
प्रमुख मांगें
निजी करण पर तत्काल रोक लगाई जाए।
फ्रीज महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाए।
आउटसोर्सिंग /संविदा /आंगनबाड़ी /आशाओं का वेतन बढ़ोतरी एवं विनियमितीकरण किया जाए साथ ही स्थाई नीति बनाई जाये।
कैशलेस इलाज लागू किया जाए।