-इप्सेफ ने पीएम और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि एस्मा (एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट) लगाकर कर्मचारियों के आंदोलन पर रोक लगाकर उनकी पीड़ा भरी आवाज को बंद न करें। यह समस्या का समाधान नहीं है।
वी पी मिश्रा ने खेद व्यक्त किया है कि कई राज्यों में एस्मा लगा कर कर्मचारियों की न्यायोचित मांगों की अनदेखी की जा रही है। भारत सरकार द्वारा भी केंद्रीय कर्मचारियों के आंदोलनों की अनदेखी की जा रही है। दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। अधिकांश राज्यों के कर्मचारी संगठन सरकारी विभागों एवं संस्थानों के निजीकरण, रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नतिया करने भत्तों एवं बोनस की कटौती को वापस लाने, आउटसोर्सिंग/ठेका कर्मचारियों के लिए नीति बनाने मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नियमित नियुक्ति एवं समस्त देयों का भुगतान एवं पुरानी पेंशन देने जैसी महत्वपूर्ण मांगों को पूरा कराने के लिए प्रयास करते रहे हैं, परंतु केंद्रीय मंत्री राज्यों के मुख्यमंत्री एवं अधिकारी कर्मचारी संगठनों से बातचीत करके कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं। इसके कारण कर्मचारी संगठनों के पास आंदोलन करने के अलावा कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है। प्रजातंत्र में सभी को अहिंसात्मक आंदोलन करने का अधिकार प्राप्त है। उसे भी एस्मा जैसे कानून लगाकर आंदोलन को रोक दिया जाता है। सरकार यह नहीं सोचती है कि गांव से राजधानी तक काम करने वाले केंद्रीय, राज्यों में, सार्वजनिक विभागों, उपक्रमों स्थानीय निकायों के कर्मचारियों के नाराज होने पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। क्या यह जनहित में उचित है?
महामंत्री प्रेमचंद्र एवं सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि सरकारी विभागों, निगमों, उपक्रमों का निजीकरण करने से देश भर के करोड़ों कर्मचारी नाराज एवं आक्रोशित हैं। इप्सेफ का हमेशा प्रयास रहता है कि आपस में मिल-बैठकर समस्याओं का समाधान किया जाए जिसकी सरकार द्वारा अनदेखी की जा रही है। उन्होंने आग्रह किया कि इसका प्रभाव केंद्र एवं राज्य सरकारों के लिए प्रतिकूल होगा।
इप्सेफ के नेताओं ने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्रियों से पुनः आग्रह किया है कि मिल बैठकर कर्मचारियों का दिल जीतने का प्रयास करें। दुखी कर्मचारियों से वांछित कार्यवाही नहीं करायी जा सकती है। कर्मचारी संगठन किसी न किसी रूप में आंदोलन करते रहेंगे। इप्सेफ द्वारा भी वर्चुअल बैठक करके राज्यों में जन जागरण करने का निर्णय लिया गया है।

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