मेडिकल साइंस को सशक्त बनाने का वादा कैसे पूरा करेगी बिहार सरकार
लखनऊ. बिहार की नीतीश सरकार का सपना तो बिहार में मेडिकल साइंस को सशक्त बनाने का है लेकिन स्थिति यह है कि राज्य में अपनी इच्छा से मरणोपरांत शरीर दान करने की अबतक कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है, नतीजा यह हुआ मेडिकल पढ़ाई के लिए देहदान के लिए जागरूक एक व्यक्ति को दिल्ली आना पड़ा. गौरतलब है कि मेडिकल की पढ़ाई और रिसर्च करने वाले स्टूडेंट्स को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने के लिए जिन सुविधाओं का विशेष महत्व है उनमें एक है देहदान के तहत मिलने वाला शरीर.
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि वैशाली के महुआ में मधौल के रहने वाले राम इकबाल पंडित को अपना शरीर दान करने के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ी. महीनों खाक छानने के बाद सूचना के अधिकार के तहत राम इकबाल पंडित ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग में एक आरटीआई डाली. लेकिन मायूसी तब हाथ लगी जब आरटीआई में राम इकबाल को पता चला कि बिहार में ऐसा कोई विभाग नहीं है जिसके माध्यम से कोई अपना शरीर दान कर सके. इस बात की जानकारी होने पर राम इकबाल पंडित ने दिल्ली जाकर मानव संरचना विभाग में आना शरीर दान कर दिया.
हाजीपुर में ऐतिहासिक कोनहारा पर विश्कर्मा मंदिर में पुजारी के तौर पर अपनी जीवन समर्पित कर चुके राम इकबाल पंडित का कहना है कि उन्होंने बिहार के सभी छोटे और बड़े अस्पतालों की खाक छानी. लेकिन कहीं से कुछ भी पता नहीं चला. फिर थक हार कर उन्होंने दिल्ली में अपना शरीर दान कर दिया. उन्होंने कहा कि समाज सेवा को ध्यान में रखते हुए अपना शरीर दान किया है. ताकि आने वाले समय मे मेडिकल स्टूडेंट को रिसर्च में काम आ सके. उन्होंने कहा कि अगर सरकार शरीर दान करने की व्यवस्था कराए और लोगों के बीच इसकी जागरुकता फैलाए तो आने वाली पीढ़ी को इसका काफी लाभ मिलेगा.
उत्तर प्रदेश सहित अनेक राज्यों में देहदान लेने की सुविधा है. उत्तर प्रदेश में कई जगह यह सुविधा है. राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की बात करें तो यहाँ के एनाटोमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नवनीत कुमार ने बताया कि यूनिवर्सिटी में अब तक करीब चार हजार लोग अपना शरीर दान करने के लिए रजिस्टर्ड करा चुके हैं जबकि करीब 400 मृत शरीर दान के रूप में मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि इन मृत देह का उपयोग बेचलर स्तर की डाक्टरी पढ़ाने के साथ-साथ रिसर्च में भी होता है.