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क्‍या मोदी और योगी संगम की नगरी की इस ऐतिहासिक धरोहर को बचायेंगे ?

-1865 में स्‍थापित भारत का प्रथम ज्‍वॉइंट स्‍टॉक बैंक है इलाहाबाद बैंक
-बैंक के लोगो के निशान की तीनों पट्टियां हैं गंगा-यमुना-सरस्‍वती का प्रतीक

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। क्‍या गंगा-यमुना और अदृश्‍य सरस्‍वती के पावन संगम की नगरी में 19वीं शताब्‍दी में खुले भारत के पहले बैंक ज्‍वॉइंट स्‍टॉक बैंक इलाहाबाद बैंक का नाम कुछ ही दिनों में वाकई लुप्‍त होकर सिर्फ इतिहास के पन्‍नों में कैद हो जायेगा ? क्‍योंकि केंद्र सरकार इसका विलय इंडियन बैंक में करने का फैसला कर चुकी है, हालांकि इसकी अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है, इसलिए लोगों की प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से आशायें लगी हुई हैं, कि शायद इसका फैसला वापस हो जाये। आपको बता दें कि 1865 में स्‍थापित इलाहाबाद बैंक और 1895 में स्‍थापित पंजाब नेशनल बैंक ही दो ऐसे बैंक हैं जो 19 वीं सदी तक के दुनिया के उन पुराने बैंकों की लिस्ट में हैं, जो अभी भी व्यवसाय में लगे हैं।

बताया जा रहा है कि अधिसूचना जारी होने में विलम्‍ब के पीछे का कारण यह है कि प्रधानमंत्री पहले बैंक ऑफ बड़ौदा में हुए दो बैंकों के विलय का परिणाम देखना चाहते हैं। ऐसे में इलाहाबाद बैंक को उसी के नाम से जिंदा रखने की चाहत लिये लोगों को एक बार फि‍र से उम्‍मीद बढ़ी है कि इलाहाबाद बैंक का अस्तित्‍व बच सकता है। हालांकि उसके बाद वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह स्‍पष्‍ट किया है कि इस फैसले को वापस नहीं लिया जा रहा है।

इलाहाबाद बैंक से जुड़े पूर्व और वर्तमान अधिकारियों-कर्मचारियों का कहना है कि इन दोनों बैंकों में इलाहाबाद बैंक का सफर इलाहाबाद से शुरू हुआ और पंजाब नेशनल बैंक का सफर लाहौर (अब पाकिस्‍तान में) से शुरू हुआ था। वर्तमान समय में दुनिया के पुराने बैंकों की इस सूची में शामिल एकमात्र बैंक, इलाहाबाद बैंक ही है जिसका मुख्‍यालय आजादी के पहले भी और बाद में भी भारत में ही है।

इनकी मांग है कि ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के समर्थक प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी तथा उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ प्रयागराज की इस विरासत को बचायें। उन्‍होंने कहा कि अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के लिए 1923 में इलाहाबाद बैंक का मुख्यालय इलाहाबाद से कलकत्‍ता (अब कोलकाता) में स्‍थानांतरित कर दिया था। ऐसे में प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री अगर चाहें तो अब इसे पुन: स्‍थानांतरित कर वापस अपने मूल स्‍थान इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास बनी इसकी पुरानी ऐतिहासिक भव्‍य इमारत में लाया जा सकता है, ऐसा करके देश के वित्‍तीय क्षेत्र में उत्‍तर प्रदेश की इस ऐतिहासिक विरासत को न सिर्फ बचाया जा सकता है, बल्कि एक राष्‍ट्रीयकृत बैंक का मुख्‍यालय उत्‍तर प्रदेश में होने का गौरव भी उत्‍तर प्रदेश को हासिल हो सकता है।

जिस संगम की नगरी में कुंभ और महाकुंभ के मौके पर डुबकी लगाने देश के साथ ही साथ बड़ी संख्‍या में विदेशी श्रद्धालु आते हैं, उस नगरी में शुरू हुए इस इलाहाबाद बैंक का लोगो भी इसी नगरी की कहानी दर्शाता है। आपको बता दें कि इलाहाबाद बैंक के लोगो में दिखायी गयीं तीन नीली पट्टियां गंगा-यमुना-सरस्‍वती का प्रतीक हैं। इन तीनों पट्टियों का नीला रंग स्‍वच्‍छ जल का प्रतीक है।

वर्तमान समय में देश के कोने-कोने और विदेशों तक अपनी सेवाएं दे रहे इलाहाबाद बैंक की शुरुआत ब्रितानिया हुकूमत के समय में एक छोटे से कमरे में हुई थी। यूरोपीय व्यापारियों और भारतीय व्यापारियों ने इस बैंक की आधारशिला रखी थी। चूंकि इलाहाबाद तत्कालीन समय में ब्रिटिश सरकार की विशेष निगरानी में रहता था और प्रिंस चार्ल्स के इलाहाबाद आने से पहले इस बैंक को पूरी तरह से संचालित कर इसे उपलब्धि के तौर पर पेश किया गया था। इसलिये इस बैंक को ब्रिटिश सरकार में विशेष संरक्षण भी मिलता रहा।

बहुत छोटी सी रकम से यह बैंक सबसे पहले एक कमरे में खुला था, जो इलाहाबाद के चौक इलाके में था। यह कमरा व्यापारी बच्चाजी का था। उन्होंने कमरे के साथ भवन का अगला हिस्सा भी बैंक संचालित करने के लिए दे दिया था। प्रथम तल के एक कमरे में यह बैंक धीरे-धीरे पूरे इलाहाबाद में प्रसिद्ध हो गया और इलाहाबादियों के लिये बेहतरीन विकल्प बन गया। एक से दो दशक तक बैंक का कामकाज यहीं चलता रहा। लेकिन, ग्राहकों की बढ़ती संख्या के बाद इस बैंक को विस्तार देने की प्रक्रिया शुरू हुई। 24 अप्रैल 1865 को बैंक को सिविल लाइंस स्थित मौजूदा हेड शाखा में स्थानांतरित किया गया जो लंबे समय तक इलाहाबाद बैंक का मुख्यालय भी रहा।

19वीं शताब्दी में ही झांसी, कानपुर, लखनऊ, बरेली, नैनीताल, कोलकाता तथा दिल्ली में शाखाएं खुल गई थीं। बैंक का विस्तार होने के बाद अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए 1923 में इसका मुख्यालय कलकत्‍ता (अब कोलकाता) में शिफ्ट हो गया। भारत सरकार ने 1969 में 13 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। इसमें इलाहाबाद बैंक भी शामिल रहा। इसके बाद बैंक की शाखाएं देश के हर कोने में खुली। जून 2006 में इसका विस्तार विदेश में भी हुथा चीन में पहला कार्यालय खुला। इसके एक साल बाद हांगकांग में बैंक की शाखा भी खुली।