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शासन कुछ भी करे, अपना हक तो हमें लेना ही है, पीछे हटने का सवाल नहीं

चिकित्‍सा संस्‍थानों व मेडिकल कॉलेजों में हड़ताल प्रतिबंधित करने पर कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा केजीएमयू, संजय गांधी पीजीआई समेत सभी 19 चिकित्‍सा संस्‍थानों एवं मेडिकल कॉलेजों में हड़ताल पर छह माह के लिए प्रतिबंध लगाये जाने की खबर आते ही कर्मचारी संगठनों में रोष व्‍याप्‍त हो गया है। आपको बता दें अनेक संगठन अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा चुके हैं तथा मांगें न मानी जाने के कारण आगे की रणनीति बना रहे हैं।

 

राजकीय संयुक्‍त कर्मचारी परिषद के प्रांतीय उपाध्‍यक्ष अरविंद निगम ने कहा है कि कर्मचारियों की जायज मांगें पूरा करने के बजाय शासन इस तरह से हड़ताल पर रोक लगाकर दबाव बनाना चाहता है, लेकिन शासन की इस मंशा को सफल नहीं होने दिया जायेगा।

 

केजीएमयू के कर्मचारी परिषद के अध्‍यक्ष विकास सिंह ने भी कहा कि हम लोगों ने पिछले दिनों मुख्‍य रूप से शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक संवर्ग में सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन व भत्‍ते में भेदभाव न किये जाने को लेकर एक सप्‍ताह पूर्व कुलपति को पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया है कि 11 अगस्‍त, 2015 और 23 अगस्‍त, 2016 के शासनादेशों के अनुसार केजीएमयू के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक संवर्ग के लिए संजय गांधी पीजीआई के बराबर वेतन एवं भत्‍ते प्रदान करने का निर्णय लिया गया था। पत्र में लिखा है कि 6 फरवरी, 2019 के शासनादेश के अनुसार संजय गांधी पीजीआई को सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन एवं भत्‍ते दिये गये हैं। केजीएमयू में भी सातवें वेतनमान क अनुसार वेतन एवं भत्‍तों के लिए 11 फरवरी, 2019 को केजीएमयू के कुलसचिव द्वारा शासन को पत्र लिखा गया था।

 

पत्र में कहा गया है कि सूत्रों से ज्ञात हो रहा है कि केजीएमयू में सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन और भत्‍ते सिर्फ शैक्षणिक संवर्ग को ही देने के लिए कार्यवाही की जा रही है, गैर शैक्षणिक संवर्ग को इससे बाहर रखा गया है, जो कि भेदभावपूर्ण है तथा न्‍याय संगत नहीं है। इसके चलते कर्मचारियों में हताशा, निराशा एवं रोष उत्‍पन्‍न हो रहा है। पत्र में लिखा है कि ऐसी परिस्थिति के चलते गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को बड़े आंदोलन के लिए बाध्‍य होना पड़ेगा।

 

आज हड़ताल पर लगी रोक के बारे में अध्‍यक्ष का साफ कहना है कि हमारी मांग जायज हैं, और इससे समझौता करने का सवाल ही नहीं उठता है, हम अपना हक लेकर रहेंगे, उन्‍होंने कहा कि फि‍लहाल एक सप्‍ताह पूर्व लिखे पत्र पर क्‍या प्रतिक्रिया है, हमें इसका इंतजार है, जल्‍दी ही बैठक कर के आगे की रणनीति तय की जायेगी।