-फॉग्सी के सम्मेलन एआईसीओजी 2020 में तीसरे दिन विशेषज्ञों ने दी जानकारी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। संतान पैदा करने लायक जोड़ों में 10 प्रतिशत जोड़े ऐसे होते हैं, जो गर्भ न ठहर पाने की स्थिति या गर्भपात जैसी समस्या से जूझ रहे होते हैं, इन 10 प्रतिशत में भी सिर्फ 10 प्रतिशत ऐसे होते हैं जिन्हें आईवीएफ जैसी तकनीक से इलाज करके संतान का सुख दिया जाना आवश्यक होता है, शेष 90 प्रतिशत का इलाज प्रेगनेंसी को सपोर्ट करने वाली वाली प्रेजेस्ट्रोन की गोली दी जाती है।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फर्टिलिटी सोसाइटीज के कॉरपोरेट मामलों के निदेशक डॉ हृषिकेश पई ने स्मृति उपवन में चल रही ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ़ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) में तीसरे दिन बताया कि आईवीएफ में दिये जाने वाले हार्मोन्स में भी यही प्रेजेस्ट्रॉन कारगर सिद्ध हुआ है। आयोजन अध्यक्ष् डॉ चंद्रावती ने बताया कि बांझपन की समस्या क्यों बढ़ रही है। उन्होंने बताया बार-बार गर्भपात कराने से इन्फेक्शन होता है जिससे ट्यूब ब्लॉक हो जाती हैं, आपस में साथ रहना नहीं, करियर के लिए पोस्टपोन्ड करते रहते हैं, एज बढ़ती रहती है, तनाव, पहले पुरुषों में इतनी नहीं होती थी अब उनमें बढ़ती जा रही है, पर्यावरण की वजह से, पोषण में कमी, देर से सोना, देर से उठना, आपस में न मिल पाना, ट्यूबरकुलोसिस का असर शामिल है। जिसकी वजह से गर्भाशय तक खराब हो जाता है।
पहले हार्मोनल टेस्ट करते हैं, अगर हार्मोनल लेवल कम हुआ तो उन्हें प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन्स देते हैं इससे वे ठीक हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि डाइड्रो का असर मैं अपने पढ़ने के समय से देखती आ रही हूं। यह आसान है क्योंकि इसे मुंह से खाना है, अगर इंजेक्शन या वैजाइनल रूट से लेने वाली दवा बताते हैं तो उसे मरीज ढंग से ले नहीं पाता है, इस दवा का असर भी अच्छा है और मरीज के लिए लेना भी आसान है। प्रेग्नेंसी के पहले भी और प्रेग्नेंसी के बाद भी इस प्रोजेस्ट्रॉन दवा का प्रयोग बहुत अच्छा रहता है। हालांकि कोई भी चीज 100 प्रतिशत नहीं होती है, कभी-कभी दूसरे कारणों से भी असर नहीं होता है। फिर भी प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन्स की यह दवा वर्षों से कारगर सिद्ध हो रही है, इसके साइड इफेक्ट बहुत कम हैं, मरीज को उल्टी नहीं आती है।
आयोजन सचिव डॉ प्रीति कुमार ने बताया कि बांझपन के कई कारण होते हैं, लेकिन जहां तक इस प्रेगनेंसी के लिए प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन्स बहुत जरूरी हैं और महीना नियंत्रित करने में भी बहुत आवश्यक है। यह प्रोजेस्ट्रॉन मॉल्यूकूल प्रेगनेंसी को बढ़ाने वाला भी है। यानी प्रेगनेंट होने के बाद उसे जारी रखने के लिए भी यह प्रोजेस्ट्रॉन सपोर्ट करता है। यही अकेला प्रोजेस्ट्रॉन है जो हमारी बॉडी के ओरिजनल हार्मोन्स की तरह है, यह चीन में पाये जाने वाले पौधे की जड़ से तैयार होता है। यह हाई बीपी की शिकायत वाली गर्भवती को दिया जाता है। इस मौके पर उपस्थित एबॉट इंडिया की मेडिकल डायरेक्टर डॉ श्रीरूपा दास ने कहा कि पिछले 60 से अधिक वर्षों से, एबॉट के डायड्रोस्टेरोन ने गर्भावस्था के स्वस्थ एवं बेहतर परिणामों के साथ दुनिया भर में लाखों महिलाओं के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।