-पारस्परिक स्थानांतरण नीति को लेकर संविदा कर्मियों पर आरोप को लेकर संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश ने जतायी तीखी प्रतिक्रिया
-15 कार्यदिवसों में सकारात्मक जवाब न मिलने पर आंदोलन की दी चेतावनी

सेहत टाइम्स
लखनऊ। पारस्परिक स्थानांतरण नीति को लेकर संविदा स्वास्थ्य कर्मियों पर लगाए गए आरोपों को अनुचित बताते हुए संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश ने तीखी प्रक्रिया व्यक्त की है। संघ का कहना है कि हम शासन के साथ सहयोगी हैं लेकिन अपने आत्मसम्मान की कीमत पर नहीं।
संगठन के प्रदेश महामंत्री योगेश कुमार उपाध्याय द्वारा आज 28 मई को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक द्वारा जारी पत्र में बिना साक्ष्य के लगाए गए गंभीर आरोपों से प्रदेश के हजारों कर्मियों की आत्मा को ठेस पहुंची है। उन्होंने बताया कि पत्र में पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया को अनाधिकृत दबाव में के रूप में चित्रित करना न केवल असंवेदनशील है, बल्कि उन कर्मियों के वर्षों के समर्पण सेवा और त्याग का अपमान भी है।


उन्होंने कहा कि हम वे लोग हैं जिन्होंने कोविड, टीबी, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जैसे अभियानों में अग्रिम मोर्चे पर कार्य किया है। सीमित संसाधनों और न्यूनतम वेतन के बावजूद हमने अपनी निष्ठा से कभी समझौता नहीं किया, ऐसे में जब मानवीय आधार पर पारस्परिक स्थानांतरण की बात करते हैं तो हमें अनुशासनहीन कह देना अन्यायपूर्ण और अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि संगठन को मुख्य आपत्तियां है कि बिना जांच आरोप लगाना गैरव्यावसायिक और अस्वीकार्य है साथ ही पत्र की भाषा ने कर्मियों के मनोबल को गिराया है।
संगठन ने मांग की है की पारस्परिक स्थानांतरण नीति पर भ्रम उत्पन्न हुआ है जिसे स्पष्ट किया जाए, साथ ही यह भी कहा है कि जारी पत्र पर स्पष्टीकरण या सुधार पत्र तत्काल जारी किया जाए। इसके अतिरिक्त संगठन का कहना है कि सम्मान पूर्वक संवाद की आवश्यकता है न कि कर्मियों को चेतावनियां देने की। संघ ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि 15 कार्य दिवसों के भीतर इन बिंदुओं पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती तो संगठन लोकतांत्रिक तरीकों से चरणबद्ध आंदोलन करने को बाध्य होगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन और मिशन निदेशालय की होगी।
