वाघा बॉर्डर से लेकर, इंडिया गेट तक इंतजार करती रही भीड़, टेलीविजन पर लगी रहीं देशवासियों की निगाहें
तीन दिन पहले 26 फरवरी के शौर्य प्रदर्शन और 27 फरवरी को एफ-16 को मार गिराने के अभूतपूर्व प्रदर्शन करने वाली भारतीय वायुसेना के जांबाज विंग कमांडर अभिनंदन ने दिन भर चले लम्बे इंतजार के बाद रात करीब नौ बजकर 21 मिनट पर अपने वतन वापसी कर हिन्दुस्तान की सरजमीं पर पैर रखा। भारत के कड़े रुख के बाद घुटनों पर आये पाकिस्तान को चंद घंटों में ही अभिनंदन को भारत को सौंपना पड़ा। अभिनंदन का अभिनंदन करने के लिए वाघा बॉर्डर पर हजारों भारतीय मौजूद रहे। वहां मौजूद लोगों के हाथों में लहराता विजयी विश्व तिरंगा भारत की गौरवशाली परम्परा की कहानी कह रहा था।
सिर्फ वाघा बॉर्डर ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश में लोगों का जोश आसमान छू रहा था। चारों ओर पटाखों की आवाजें सुनायी दे रही थीं, लोग ढोल-नगाड़ों पर झूमकर अभिनंदन का अभिनंदन कर रहे थे। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। दरअसल लोगों के जोश के आसमान छूने की वजह साफ थी क्योंकि जिस तरह पाकिस्तान ने अभिनंदन को छोड़ने के लिए शर्तें रखने की तैयारी शुरू की थी, उसे सिरे से खारिज करते हुए भारत ने साफ कर दिया था कि अभिनंदन की रिहाई को लेकर किसी प्रकार की शर्त स्वीकार नहीं है। यही नहीं यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अगर पाकिस्तान ने अभिनंदन को शीघ्र नहीं छोड़ा तो भारत अपने ढंग से कदम उठायेगा।
आपको बता दें कि पाकिस्तान की मजबूरी भी थी कि वह जेनेवा सम्मेलन में हुए निर्णय के अनुसार अभिनंदन को सकुशल भारत सौंप दे। अभिनंदन के पराक्रम और हिम्मत की बात करें तो जैसा कि पाकिस्तान के मीडिया चैनल द्वारा जारी किये गये वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि पाकिस्तानी सेना के अधिकारी ने जब अभिनंदन से पूछताछ की तो उन्होंने जिस दिलेरी से जिन प्रश्नों का उत्तर देना चाहते थे दिये, जिनका नहीं देना चाहते थे, उसे देने से साफ और दृढ़ता के साथ इनकार कर दिया। इस दौरान उनकी बॉडी लेंग्वेज उनके बहादुर जज्बे की कहानी कह रही थी। यही नहीं अभिनंदन को जैसे ही अहसास हुआ कि वह पाकिस्तानी सीमा में आ गये हैं तो उन्होंने उनकी ओर बढ़ती भीड़ से बचते हुए अपने पास रखे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को मुंह में चबाकर और तालाब के पानी में भिगोकर नष्ट कर दिया यानी कि दुश्मन देश में भी उन्होंने अपनी हिम्मत और धैर्य नहीं छोड़ा।