Wednesday , March 12 2025

रक्त विकार से पीडि़त गंभीर रोगियों का इलाज सरकारी अस्पताल के बराबर खर्च पर उपलब्ध

-‘रुधिर आरोग्य इंस्टीट्यूट ऑफ़ ब्लड डिसऑर्डर्स एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ के डॉ सुनील दबड़घाव ने कहा, सरकार की योजनाएं भी हैं लागू

सेहत टाइम्स

लखनऊ। सामान्य और घातक सभी प्रकार के रक्त विकारों से पीड़ित रोगियों के उपचार की व्यवस्था अब राजधानी के रुधिर आरोग्य इंस्टिट्यूट ऑफ़ ब्लड डिसऑर्डर्स एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट केंद्र में उपलब्ध है, इस संस्थान में यह सुविधा सरकारी अस्पतालों में खर्च होने वाली धनराशि के बराबर ही खर्च पर उपलब्ध है, साथ ही यह केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत भी उपचार उपलब्ध करा रहा है।

यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी देते हुए सीनियर क्लिनिकल हेमेटोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजीशियन डॉ सुनील दबड़घाव ने बताया कि रायबरेली रोड स्थित ‘रुधिर आरोग्य इंस्टीट्यूट ऑफ़ ब्लड डिसऑर्डर्स एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ क्षेत्र में रोगी के लिए एकमात्र मैत्रीपूर्ण मॉड्यूल है, जो रक्त विकारों वाले रोगियों के लिए सस्ती लागत पर गुणवत्ता पूर्ण उपचार प्रदान करने को कटिबद्ध है एवं उत्तर प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों में ‘रक्त विकारों और कैंसर देखभाल’ के भविष्य को समय और उपचार की लागत को अनुकूलित करके पुनर्परिभाषित करने के लिए तत्पर है।

उन्होंंने बताया कि हमारा यह केंद्र वयस्कों और बच्चों में पाए जाने वाले आईटीपी ITP, अप्लास्टिक एनीमिया, ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, मल्टीपल मायलोमा और कई अन्य सौम्य और घातक रक्त विकारों का गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करता है, साथ ही आवश्यकतानुसार बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी करता है, जो सस्ती दरों पर उपलब्ध है। यह केंद्र पिछले 2 वर्षों से कार्यरत है और पिछले 4 महीनों में उनकी (डॉ. सुनील दबड़घाव की) विशेषज्ञ निगरानी में 5 बोन मैरो ट्रांसप्लांट किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि यहां सभी प्रकार के बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने में विशेषज्ञता है, यानी ऑटोलॉगस, एलोजेनिक और हैप्लो आइडेंटिकल (आधा मिलान के साथ)। सामान्य परिस्थितियों में, ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट की अनुमानित लागत (लगभग रु.) 4.5 से 5.5 लाख है और एलोजेनिक ट्रांसप्लांट की लागत लगभग रु. 8 से 10 लाख है, जो सरकारी अस्पतालों में होने वाले खर्चों के बराबर है। केंद्र सामान्य नागरिक की पहुंच में उपचार लाने के लिए पी एम जे वाई और मुख्यमंत्री राहत कोष जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से समर्थन प्रदान करता है।

डॉ सुनील ने बताया कि केंद्र में एक डेकेयर वार्ड, सामान्य वार्ड, आइसोलेशन रूम, बीएमटी कमरे और निजी कमरे हैं और इसमें प्रशिक्षित नर्सिंग, पैरामेडिकल और ऑपरेशनल स्टाफ के साथ-साथ चौबीसों घंटे रक्त संबंधी विकारों वाले रोगियों के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के लिए उपस्थित हैं। पत्रकार वार्ता में डॉ सुनील दबड़घाव के साथ कन्सल्टेंट हेमेटोलॉजिस्ट डॉ शिल्पी अग्रवाल, निदेशक दीपक मिश्रा और मीडिया मैनेजर आशुतोष सोती भी उपस्थित थे।

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