-ब्रेस्ट कैंसर सर्वावाइवर्स ग्रुप की सक्रियता बढ़ी, जानकारियों, विचारों के आदान-प्रदान के लिए अब हर माह ओपन सत्र
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। स्तन कैंसर की शिकार होकर ठीक हो चुकी महिलायें, जिनके चेहरों पर कल एक चिंता की रेखा खिंचती थी, उन चेहरों पर आज विजयी भाव था, साथ ही इनके मन में था दृढ़ निश्चय इस बीमारी से जूझ रही दूसरी महिलाओं को हौसला देने का, हिम्मत देने का। मौका था केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स ग्रुप के सदस्यों की विशेषज्ञों के साथ नये मरीजों के साथ मासिक ओपन कक्षा का। इस ओपन सत्र में विभिन्न प्रकार के सवालों, उत्सुकताओं का जवाब देने के लिए चिकित्सक, डायटीशियन सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
इस बारे में एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के मुखिया प्रो आनन्द मिश्र ने बताया कि पिछले दिनों अक्टूबर में आयोजित वार्षिक जागरूकता कार्यक्रम की सफलता के बाद सोचा कि हर माह ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स ग्रुप की एक बैठक बुलाकर उनके अनुभवों को ग्रुप के नये सदस्यों और नये मरीजों के बीच साझा किया जाये। इसका लाभ यह है कि स्तन कैंसर को लेकर बैठे हुए डर और भ्रांतियों को दूर किया जा सके। साथ ही इन सर्वाइवर्स को भी नयी-नयी जानकारियां दी जा सकें। इस सर्वाइवर्स के मन में उठने वाले प्रश्नों का जवाब दिया जा सके। इसके साथ ही नये मरीज को अपने इलाज के प्रति बैठे डर को दूर कर सकारात्मक तथा हिम्मत के साथ अपना इलाज कराने में मदद मिल सके।
डॉ मिश्र ने कहा कि प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में इस बैठक का आयोजन किया जाना तय हुआ है। हर बार अलग-अलग विषय को चुनकर जानकारी और फिर इन सर्वाइवर्स के मन में उठने वाले सवालों का जवाब दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि आज से शुरू हुए इस ओपन सत्र में 10 सर्वावाइवर्स तथा 20 नये और जिनका इलाज चल रहा है, मरीजों को शामिल किया गया था।
आज के कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ आनंद मिश्र और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कुल रंजन ने कहा कि जरूरी है सकारात्मक भाव से इलाज कराया जाये। उन्होंने कहा कि कैंसर पर जीत हासिल करने वालों को एक-दूसरे से हिम्मत मिलती है। हमेशा सकारात्मक भाव रखना चाहिये, नकारात्मकता को मन में नहीं लाना चाहिये। कार्यक्रम में मौजूद एक व्यक्ति के प्रश्न के जवाब में डॉ कुल रंजन ने कहा कि अनुवांशिक कारणों से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना 10 प्रतिशत है।
खानपान में ध्यान रखने पर आधारित आज के सत्र में केजीएमयू के मेडिसिन विभाग की डायटीशियन शालिनी श्रीवास्तव ने बताया कि मोटे अनाज, अंकुरित दालें, दिन भर में पांच बार फल, सब्जियां एवं सलाद का सेवन अवश्य करें। इसके अलावा प्रोटीन लेने का ध्यान रखें, इसके लिए खिचड़ी, दलिया, सूजी की खीर, चावल की खीर खायें। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन रिफाइन्ड, कड़ुवा तेल, देशी घी का उपयोग एक-एक चम्मच किया जा सकता है। इसके अलावा फैट कम लें, दूध मलाई उतरा हुआ लें, तली चीजों का सेवन कम करें।
उन्होंने कहा कि भांति-भांति के रंगों वाला भोजन करें, कद्दू के बीज, मछली भी फायदा करती है। उन्होंने कहा कि फल और सलाद में जो भी चीजें लें, उसे पहले एक बार गरम पानी से धो लें, इससे फलों आदि पर लगा होने वाला संक्रमण गरम पानी से धुल जायेगा। उन्होंने कहा कि साथ ही यह भी जरूरी है कि भोजन को चबा-चबा कर खायें, सामाजिक रूप से अपने आपको एक्टिव रखें।
डॉ आनन्द मिश्र ने बताया कि अगले माह जनवरी में होने वाली बैठक में योग, ऑपरेशन के बाद आने वाली सूजन आदि से बचने के लिए जानकारियां दी जायेंगी। इस मौके पर ब्रेस्ट कैंसर सर्वावाइवर्स ग्रुप को एक्टिव बनाने और कई वर्षों से ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता कार्यक्रम में समग्र योगदान देकर अपने दायित्व को निभाती आ रही अंजना मिश्रा सहित विभाग के अन्य लोग भी उपस्थित रहे।