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शिक्षा तो किताबों से भी संभव लेकिन दीक्षा और मूल्‍य गुरु से ही मिलते हैं

केजीएमयू में सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की प्रतिमा का सुधांशु त्रिवेदी ने किया अनावरण

लखनऊ। राज्‍यसभा सदस्‍य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि ज्ञान, शक्ति,  आर्थिक विकास के साथ-साथ मूल्‍यों की भी आवश्‍यकता है, तभी समाज और देश में शांति रहेगी। मूल्‍य हमें गुरु से प्राप्‍त होते हैं, शिक्षा का अंत होने पर दी जाने वाली डिग्री के लिए दीक्षांत समारोह होता है शिक्षांत समारोह नहीं, शिक्षा तो हम किताबों से भी प्राप्‍त कर लेते हैं लेकिन दीक्षा हमें गुरु देता है, मूल्‍यों के लिए गुरु की जरूरत है, संस्‍थान की जरूरत है। देशों को उसके मूल्‍य चलाते हैं, जो देश जिन मूल्‍यों से चलता है, वे मूल्‍य उसे कहां से कहां पहुंचा देते हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि भारत का एक टुकड़ा हमसे अलग हुआ था और आज हम कहां हैं और वो कहां हैं यह पूरा विश्व जानता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने शानदार तरक्की की है उसमें मेडिकल साइंस, बायोटेक्नोलॉजी, सर्जरी, न्यूक्लियर मेडिसिन ये सब वह महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जो चिकित्सा सेवा से भी जुड़े है।

सुधांशु त्रिवेदी आज यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 144वीं जयंती के उपलक्ष्य में चिकित्सा जगत में रोगी-चिकित्सक संवाद का महत्व विषय पर व्याख्यान में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में उपस्थि‍त हुए थे। इस अवसर पर सुधांशु त्रिवेदी द्वारा सरदार पटेल छात्रावास के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया।

अपने सम्‍बोधन में उन्‍होंने कहा कि आज के समय मिडिल ईस्ट, साउथ एशिया समेत तमाम देशों से भी लोग यहां इलाज के माध्यम से अपनी जान बचाने आते हैं जबकि सीमा के उस पार लोग जान जाने के भय से जाना भी पसंद नहीं करते हैं। यह अंतर है साथ-साथ चलते हुए दो देश कहां पहुंच गए। दुनिया के टॉप टेन सीईओ में तीन भारतीय शामिल हैं जबकि टॉप टेन आतंकवादी संगठनों के बारे में देखेंगे तो आधे से ज्यादा उनके देश में होंगें। सुधांशु त्रिवेदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रशंसा करते हुए अखण्ड भारत के निर्माण में उनके द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि 70 वर्ष पहले 565 रियासतों को भारत में शामिल किया गया था और इसे संयोग कहे कि आज 70 वर्ष बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ संकल्पित निर्णय की वजह से जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35(ए) हट गयी। जिसका स्वागत पूरी देश की जनता ने किया। इसके साथ ही उन्होनें कहा कि हमारी गिनती दुनिया के बडे देशों में ही नही बल्कि सबसे प्राचीन चिरंजीवी देशों में से एक हैं। उन्होनें कहा कि एक समय पूरा यूरोप एक देश हुआ करता था जो आज एक देश नही है, पूरा मिडिल ईस्ट अरब एक देश हुआ करता था वो भी आज एक देश नहीं है लेकिन भारत एक देश हुआ करता था और सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे व्यक्तियों की क्षमता के चलते हुए आज भी एक देश है।

उन्होनें कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश को ना सिर्फ शरीरिक रूप से स्वतंत्र किया बल्कि उन मूल्यों के साथ भी स्थापित किया जो मूल्य सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि आज पुरे दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि किसी के भी जीवन में सबसे बड़ी चिंता “स्वास्थ्य“ है तथा स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सरकार ने एक वर्ष पहले “आयुष्मान भारत योजना“ की शुरुआत की थी और इससे लगभग 50 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य को स्वच्छता से जोड़ते हुए कहा कि “स्वास्थ्य की पहली सीढ़ी स्वच्छता है“। इसीलिए प्रधानमंत्री ने 15 अगस्‍त 2014 को स्‍वच्‍छता अभियान की शुरुआत की थी, बाद में आयुष्‍मान भारत योजना आयी।

आहार या आचार बिगड़ता है तो बिगड़ता है स्‍वास्‍थ्‍य

सुधांशु ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए अपनी जीवनशैली में सुधार और पौष्टिक आहार की सबसे ज्यादा आवश्यकता है, व्यक्ति का स्वास्थ्य तभी बिगड़ता है जब व्यक्ति का आहार या आचार बिगड़ता है। उन्होनें प्रकृति को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जब हम प्रकृति और मानव के संबन्ध को समझेंगे तो रोग और चिकित्सा के बारे में बहुत सारी चीजें हमें समझ में भी आ जाएंगी। उन्होनें बताया कि महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई किताब “हिन्द स्वराज“ में गांधी जी ने कहा कि उन्हें उन लोगों से डर लगता है जो बहुत अधिक पढ़े-लिखे है, क्योंकि वो जाने-अनजाने में उस प्रकार के विचारों की तरफ बढ़ते जा रहे हैं जो एक दिन देश के लिए नही दुनिया के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर देगा और गांधी जी ने इसके लिए शैतानी सभ्यता शब्द का प्रयोग किया है। अंत में उन्होनें कहा कि हम कितना भी विकसित होते चले जाएं जब तक हम अपने विकास के विचारों को सही दिशा में नही ले जाएंगे तब तक यह निदान नहीं हो सकता।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एकेटीयू के कुलपति प्रो विनय पाठक ने बताया कि आज जितने भी शोध हो रहे हैं वो ज्यादा से ज्यादा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मेडिकल डायग्नोस्टिक में हो रहे है और जब से डायग्नोस्टिक के इक्यूप्मेंट्स और इंस्ट्रयूमेंट्स आए हैं तो चिकित्सकों की जो भी विस्तृत कार्य प्रणाली है वो पूर्णतया बदल गई है और आज जो भी वह डायग्नोस्टिक कर पा रहे हैं उसमें लगने वाले उपकरण सहायता कर रहे हैं। कार्यक्रम में चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए सरदार बल्लभ भाई पटेल के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की।

कार्यक्रम का सफल संचालन पेरियोडोंटिक्स विभाग के डॉ पवित्र रस्तोगी तथा संयोजन बाल विभाग के डॉ सिद्धार्थ कुंवर ने किया। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो0 मधु मति गोयल, पटेल छात्रावास के प्रोवोस्‍ट व फार्मांकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ए0के0 सक्सेना, ट्रॉमा सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संदीप तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो0 एसएन संखवार सहित अन्य वरिष्‍ठ चिकित्सक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।