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एमडीआर व एक्सडीआर टीबी के इलाज की अवधि घटकर तीन माह होने की आशा

-केजीएमयू सहित दूसरी जगहों पर चल रहे नयी दवा के ट्रायल के शुरुआती रुझान दे रहे संकेत

-एक्सडीआर टीबी पर लखनऊ में हुआ अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। मल्टी ड्रग रेसिसटेन्ट टीबी (एमडीआर टीबी) तथा एक्सटेन्सिव ड्रग रेसिसटेन्ट टीबी (एक्सडीआर टीबी) का उपचार दो वर्ष से घट कर तीन माह होने की सम्भावना है।

नयी आशा का संचार करने वाली यह जानकारी केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष तथा ग्लोबल एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस मीडिया एलायंस (जीएएमए) के को-चेयरमेन डॉ0 सूर्यकांत ने दी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जटिल टीबी (एम.डी.आर. एवं एक्स.डी.आर. टीबी) के उपचार के लिए नई दवाओं के प्रयोग पर पूरी दुनिया में अनुसंधान चल रहे हैं। ऐसे ही अनुसंधानों में से एक इंडियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा किया जा रहा बीपाल (BPal) नाम का अनुसंधान है। पूरे भारत देश में इस शोध के 7 केन्द्र हैं जिनमें से दो (केजीएमयू लखनऊ व एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा) उत्तर प्रदेश में हैं।


रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू यूपी, लखनऊ चेस्ट क्लब और इंडियन चेस्ट सोसायटी के यूपी चैप्टर के तत्वावधान में एमडीआर टीबी प्रबंधन पर एक अन्तर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम का आयोजन हयात रीजेंसी, लखनऊ में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी दो प्रकार की होती है साधारण टीबी एवं जटिल टीबी। साधारण टीबी छह माह में ठीक हो जाती है, जबकि जटिल टीबी का उपचार कठिन होता है एवं एक से दो वर्ष तक चलता है।

इस तरह साधारण टीबी बन जाती है एमडीआर और उसके बाद एक्सडीआर

डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी के इलाज में प्रयोग होने वाली दवायें जैसे रिफाम्पिसिन जब किसी मरीज पर बेअसर हो जाती है तो उसे एम.डी.आर. टीबी (मल्टी ड्रग रेसिसटेन्ट) कहते हैं। जिन एम.डी.आर. मरीजों में फलोरोक्विनोलोन दवा के लिए भी प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है उसे प्रीएक्सडीआर टीबी कहते है। एमडीआर के ऐसे मरीज जिनमें फ्लोरोक्विनोलोन के अलावा टीबी की नई और प्रभावी दवाओं के विरुद्ध भी प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है ऐसे मरीजों को एक्सडीआर टीबी कहते हैं।

उप्र के स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ शैलेन्द्र भटनागर ने राज्य टीबी कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियों, दवा प्रतिरोधी टीबी की जांच, इलाज, रोकथाम करने और जनजागरूकता के बारे में एक विस्तृत विचार विमर्श का प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि 2023 में यूपी में अब तक सर्वाधिक 5.65 लाख टीबी की अधिसूचनाएं हासिल हुई हैं, जो कि 2023 के उप्र के लक्ष्य से अधिक हैं। उप्र में 24 नोडल ड्रग रेसिस्टेन्ट टीबी सेन्टर है, जिन पर एमडीआर एवं एक्सडीआर टीबी की जांच एवं उपचार की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध है।

इस अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रिका से आयी डॉ0 पालीन हावेल (जो कि पिछले 10 वर्षों से एमडीआर एवं एक्सडीआर टीबी के उपचार में शोध कर रही है), विशेष वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं। डॉ0 पालीन हावेल ने दक्षिण अफ्रीका में दवा प्रतिरोधी टीबी के उपचार की प्रगति, क्लीनिकल ट्रायल्स, BPal regimen के साथ उनके अनुभव के बारे में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि उपचार के नये तरीके BPal से उपचार की अवधि और गोलियों का बोझ दोनों कम हो जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुपोषण से टीबी के मरीजों में मृत्यु दर बढ़ जाती है, इसको दूर करने के लिए भारत सरकार की ओर से निःक्षय पोषण योजना की शुरुआत की गई है, जिसमें टीबी के सारे मरीजों को प्रतिमाह 500 रुपये उनके खाते में भेजे जाते हैं। यह बहुत ही सराहनीय योजना है।

इसके बाद डॉ0 सूर्यकान्त ने कुछ दिलचस्प दवा प्रतिरोधी टीबी के मामलों के साथ दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज पर एक स्पष्ट, आकर्षक केस आधारित प्रस्तुति दी। उन्होंने दर्शाया कि कैसे केजीएमयू एक प्रमुख उपचार संस्थान के रूप में दवा प्रतिरोधी टीबी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। ज्ञात रहे कि केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत का नेतृत्व करता है, मुख्यमंत्री द्वारा प्रारम्भ किये गये निःक्षय दिवस का आयोजन करता है, राज्यपाल द्वारा प्रारम्भ की गयी टीबी के रोगियों को गोद लेने की योजना में भी प्रमुख भूमिका निभाता है, जिसके अन्तर्गत विभाग ने एक ग्राम पंचायत, एक स्लम एरिया तथा 100 से अधिक टीबी के रोगी टीबी मुक्त करने के लिए गोद ले रखे हैं। इसके साथ ही केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग प्रदेश के 75 जिलों के एमडीआर एवं एक्सडीआर टीबी के जटिल रोगियों के लिए डिफीकल्ट टू ट्रीट टीबी क्लीनिक (ऑनलाइन) का भी नेतृत्व करता है।

इस अवसर पर उप्र के उपराज्य टीबी अधिकारी डॉ0 ऋषि सक्सेना, लखनऊ जिला टीबी अधिकारी डॉ0 अतुल कुमार सिंघल, डॉ0 अजय कुमार वर्मा, डॉ0 ज्योति बाजपाई, रेजिडेन्ट डॉक्टर्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन के परामर्शदाता, व्याट्रिस एवं टीबी एलर्ट के प्रतिनिधि एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन, कार्यक्रम के एजूकेशनल पार्टनर व्याट्रिस के विवेक सिंह ने दिया।

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