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‘केजीएमयू के कुलसचिव दबाव में आकर शासन की मंशा लागू नहीं करा पा रहे’

-कर्मचारी-शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने खुलकर लगाया आरोप, शासन से की शिकायत

-लिम्‍ब सेंटर बिल्डिंग में कोविड अस्‍पताल के लिये जा रहे जल्‍दबाजी में निर्णय

-न दिव्‍यांगों के लिए हितकर, न ही जेई मरीजों के, नियमों का भी उल्‍लंघन

लखनऊ विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करने के बाद उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लिंब सेंटर को कोविड-19 हॉस्पिटल बनाए जाने के संबंध में कुछ शर्तें निर्धारित की थी लेकिन आज संज्ञान में आया कि केजीएमयू प्रशासन द्वारा लिम्‍ब सेंटर को खाली कराने के निर्देश स्थानीय स्तर पर जल्दबाजी में जारी किए गए, जबकि शासन द्वारा निर्धारित शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन किया गया जो नितांत गलत है एवं शासन के निर्देशों की अवहेलना है।

कर्मचारी-शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा ने केजीएमयू प्रशासन द्वारा तानाशाही पूर्ण निर्णय लिए जाने को अनुचित करार देते हुए शासन से इसकी शिकायत की है ।

श्री मिश्रा ने बताया कि शासन द्वारा प्रथम शर्त तय किया गया है कि उक्त कार्य के लिए निर्विवाद रूप से नियमानुसार भूमि उपलब्ध होने के उपरांत ही सेंटर में कोई कार्य किया जाएगा जबकि इस जगह को लेकर विवाद लम्बित है। इस पर केजीएमयू प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही संपादित नहीं की गई है । वहीं एक शर्त यह है  कि कुलपति या कुलसचिव केजीएमयू द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कृत्रिम अंग निर्माण कार्यशाला आर ए एल सी भवन में रहेगी तथा दिव्यांगों का इलाज कार्य किसी भी दशा में बाधित नही होगा। उक्त बिंदु पर मोर्चे का स्पष्ट कहना है कि कार्यशाला यदि इसी भवन में रहती है तो वहां के कर्मचारी एवं दिव्यांगजनों को अपने आधे कार्य के लिए कार्यशाला में आना होगा जो कि कोविड-19 के रूप में रेड जोन होगा जो प्रदेश के दिव्यांगों को इनफेक्टिव कर सकता है क्योंकि इस कार्यशाला के लिए कहीं अन्यत्र उचित स्थान नहीं प्राप्त हो सका है इसलिए लिम्‍ब सेंटर को कोविड-19 हॉस्पिटल बनाया जाना नितांत अनुचित है ।

शासन द्वारा यह भी शर्त रखी गई है कि प्रायोजना पर सक्षम स्तर से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त होने के पश्चात ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा, कार्य की गुणवत्ता मानक एवं विशेषताओं की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव की होगी अभी तक सूचना के अनुसार कोई तकनीकी स्वीकृति निर्माण के लिए प्राप्त नहीं हो सकी है, शासन द्वारा यह भी कहा गया था कि समस्त आवश्यक अनापत्तियां तथा वैधानिक अनापत्ति यथा फायर एवं पर्यावरणीय अनापत्ति इत्यादि सक्षम स्तर से प्राप्त करने के उपरांत ही कोई कार्य प्रारंभ किया जाएगा लेकिन प्रशासन द्वारा बिना शर्तों को पूरा किए हुए सेंटर को खाली करने का फरमान जारी कर कार्य शुरू किया जा रहा है।

श्री मिश्र ने स्पष्ट किया कि शासन के निर्देशों का पालन कराने की जिम्मेदारी कुलसचिव की होती है परन्‍तु इस मामले में कुलसचिव द्वारा निष्पक्षता से कार्य न करते हुए दबाव में कार्य करने का रवैया प्रदर्शित हो रहा है।

श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में पूर्वांचल में जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है और प्रदेश सरकार द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि जापानी इंसेफेलाइटिस के रोगियों के उपचार में कोई समस्या ना आने पाए। राजधानी स्तर पर प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल मेडिकल कॉलेज में इसी लिम्‍ब सेंटर के भवन में जे ई के मरीजों का उपचार किया जाता है यदि लिंब सेंटर को कोविड-19 हॉस्पिटल बनाया जा रहा है तो ऐसे समय में जापानी इंसेफेलाइटिस का इलाज उक्त लेवल पर संभव नहीं हो सकेगा जो सरकार की मंशा के विपरीत है ऐसा प्रतीत होता है कि केजीएमयू प्रशासन द्वारा जल्दबाजी में निर्णय लिए जा रहे हैं, इसलिए शासन के निर्देशों की अवहेलना की जा रही है।

प्रदेश के दिव्यांग जनों के लिए एकमात्र आशा की किरण को बनाए रखे जाने के संबंध में कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने पूर्व में ही कई बार अनुरोध किया था लेकिन केजीएमयू प्रशासन द्वारा लगातार इस तरीके का निर्णय लिया जाता है इसलिए पुनः अनुरोध किया गया है कि वह इस बिंदु पर पुनः विचार कर शासकीय निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं जिससे दिव्यांगजनों एवं जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीजों को समस्याएं ना आने पाएं।