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हद है, तीन साल में शासन को समय नहीं मिला कि बैठक आयोजित कर पाता

-वेतन समिति की रिपोर्ट पर विचार करने को गठित समिति ने अभी तक एक भी बैठक नहीं की

अतुल मिश्रा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत एवं महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा है कि मुख्य बिंदु वेतन समिति की रिपोर्ट पर विचार कर संस्तुतियों को लागू करना है। जिसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी है। जिसके सदस्य अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक, अपर मुख्य सचिव वित्त एवं संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य हैं। इस समिति की अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है। उसे कर्मचारी संगठनों एवं विभागीय प्रमुख सचिव के विचार सुनकर निर्णय लेकर कैबिनेट के अनुमोदन के लिए भेजना है।

श्री मिश्र ने खेद व्यक्त किया है कि समिति की संस्तुतिया 3 वर्ष से लंबित होने के बाद भी मुख्य सचिव समिति की बैठक नहीं हो रही है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्य सचिव को आंदोलन की नोटिस भेज रखी है, परंतु मुख्य सचिव ने बैठक आहूत नहीं की। वेतन समिति पर निर्णय न होने से कर्मचारियों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि यदि नवंबर तक निर्णय नहीं किया गया तो 9 दिसंबर से प्रस्तावित कार्य बंदी करने को बाध्य होना पड़ेगा जिसका उत्तरदायित्व सरकार का होगा।

श्री मिश्र ने कहा है कि पुरानी पेंशन की बहाली के लिए मुख्यमंत्री को अपनी संस्तुति भारत सरकार को भेजनी चाहिए। वैसे वे सांसद के रूप में पहले भी पुरानी पेंशन की बहाली की संस्तुति प्रधानमंत्री को कर चुके हैं।

परिषद के सचिव डा पी के सिंह कहा है कि अगर कर्मचारियों की मांगों की उपेक्षा जारी रही तो सत्ताधारी दल को भावी चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इस समय प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी एवं उसका परिवार भीषण महंगाई से त्रस्त है। सरकार को फ्रीज़ महंगाई भत्ते के एरियर का भी भुगतान कर देना चाहिए।

परिषद ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है।

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