-केजीएमयू के स्किल सेंटर की शुरुआत होने की कहानी कम दिलचस्प नहीं

धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। केजीएमयू में ट्रॉमा की ट्रेनिंग देने की शुरुआत होने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। स्किल सेंटर के निदेशक प्रो विनोद जैन बताते हैं कि जैसा कि मैंने पूर्व में भी अपनी इच्छा व्यक्त की है कि मेरा सपना ट्रॉमामुक्त भारत हो अपना है, मेरे इस सपने के मूल में इस स्किल सेंटर की नींव ही है।
प्रो विनोद जैन बताते हैं कि वर्ष 2012 में दिल्ली एम्स के प्रो अमित गुप्ता यहां केजीएमयू में परीक्षा लेने आये थे, शाम को एमबी क्लब में डिनर का कार्यक्रम था। उन्होंने बताया वहीं डिनर के दौरान प्रो अमित गुप्ता ने प्रो विनोद जैन से पूछा कि तुम अपने जीवन में कितने मरीजों की जान बचा लोगे, इस पर प्रो विनोद जैन ने एक संख्या बतायी कि करीब 300-400 लोगों की। इसके बाद प्रो गुप्ता ने पूछा कि अगर तुम ट्रॉमा की ट्रेनिंग दूसरों को दो तो वे लोग कितनों की जान बचायेंगे और वे लोग जब दूसरों को ट्रेनिंग देंगे तो कितने लोगों की जान बचेगी। प्रो जैन बताते हैं कि इसके बाद यह बात मस्तिष्क में बैठ गयी कि केजीएमयू में ट्रॉमा ट्रेनिंग सेंटर बनाना है।

प्रो जैन बताते हैं कि इसके बाद वह और डॉ समीर मिश्रा भारत के सर्वश्रेष्ठ ट्रॉमा ट्रेनिंग सेंटर एम्स दिल्ली गये जहां एटीएलएस की ट्रेनिंग होती थी, वहां पहुंच कर एटीएलएस की ट्रेनिंग के साथ ही ट्रॉमा इंन्सट्रक्टर की ट्रेनिंग भी ली। इसके बाद वर्ष 2014 में डॉ विनोद जैन, डॉ संदीप तिवारी, डॉ समीर मिश्रा, डॉ विनीत शर्मा ट्रॉमा सेवाओं को समझने के लिए स्वयं के खर्चों पर 15 दिनों के लिए विश्व के सबसे अच्छा ट्रॉमा ट्रेनिंग सेंटर आर एडम काउली शॉक ट्रॉमा सेंटर मैरीलैंड (यूएसए) गये। वहां 15 दिन बिताने के बाद जब वापस लौटे और केजीएमयू में सेंटर खोलने का प्रस्ताव रखा। सितम्बर, 2014 में प्रस्ताव पास हुआ इसके बाद कवायद शुरू हुई ट्रेनिंग सेंटर खोलने की।

आग और कोविड जैसे अवरोधों से भी सामना हुआ इस सफर में


एटीएलएस कोर्स के 25 सत्र पूरे होने के दौरान वर्ष 2017 में ट्रॉमा सेंटर में लगी आग के चलते और उसके बाद पिछले वर्ष फरवरी से दिसम्बर, 2020 तक कोविड के चलते अवरोध भी आये लेकिन अंतत: कोर्स की सिल्वर जुबिली का सफर 10 मार्च को पूरा हो गया। ज्ञात हो जब जुलाई 2017 में आग लगी थी उसी दिन आठवां कोर्स समाप्त हुआ था। प्रो जैन बताते हैं कि जैसे ही आग लगने की सूचना मिली तो पहले तो लगा कि कहीं लाखों रुपये के पुतले व अन्य ट्रेनिंग का सामान न जल गया हो, लेकिन जैसे ही आग पर काबू पाया गया उठते काले धुएं के बीच ही हम लोगों ने अंदर घुसकर देखा तो कीमती पुतलों सहित दूसरा सामान सुरक्षित दिखा, तब जाकर जान में जान आयी। आनन-फानन में सारा सामान निकाला गया था। यह खबर सेहत टाइम्स ने भी उस समय प्रकाशित की थी।
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ट्रेंनिग सेंटर में आग लगने से अब समस्या थी कि सेंटर कहां चलाया जाये तो इसके बाद अक्टूबर में होने वाली ट्रेनिंग नहीं हो सकी लेकिन दिसम्बर, 2017 में होने वाली ट्रेंनिंग से नये स्थान साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर के दूसरे तल पर ट्रेनिंग कार्यक्रम पुन: शुरू हो गया था। इसके बाद पिछले वर्ष 27 से 29 फरवरी, 2020 तक 20वीं ट्रेनिंग के बाद कोविड के चलते ट्रेनिंग कार्यक्रम ठप हो गया था, जो कि दिसम्बर 2020 में कोविड के पूरे प्रोटोकाल का पालन करते हुए पुन: आरम्भ हुआ है, और इसने 25वें कोर्स का पड़ाव 10 मार्च को पार कर लिया है।
तारीफें भी बहुत पायी हैं केजीएमयू के ट्रेनिंग सेंटर ने
केजीएमयू के इस ट्रेंनिंग सेन्टर ने तारीफें भी बहुत पायी हैं। एटीएलएस कोर्स जो मूलत: यूएसए का है, वहां का एक डेलीगेशन यहां आया था, उसने ट्रेनिंग सेंटर और पूरी टीम की तारीफ की थी। इंस्ट्रक्टर के कोर्स की एक के बाद एक तीन कोर्स का लगातार आयोजन भी यहां हो चुका है, यह विश्व रिकॉर्ड है, लगातार तीन कोर्स आयोजित करने पर केजीएमयू व टीम का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बधाई मिल चुकी है। इसी प्रकार भारत में इस ट्रेनिंग के प्रमुख डॉ एमसी मिश्रा, जो एम्स के डायरेक्टर भी रह चुके हैं, ने भी केजीएमयू के इस सेंटर और इसकी टीम की बहुत तारीफ की है उनका कहना है कि ले.क.डॉ बिपिन पुरी के सशक्त मार्गदर्शन में चल रहा केजीएमयू का स्किल सेंटर वर्तमान समय में ट्रॉमा ट्रेनिंग देने में भारत में सबसे शीर्ष पर है।
