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स्‍कूलों को खोलने के फैसले में चलेगी बच्‍चों के मम्‍मी-पापा की मर्जी, स्‍कूलों की नहीं

-नयी गाइड लाइन जारी, कोविड के मद्देनजर शैक्षिक संस्‍थान बच्‍चों को स्‍कूल बुलाना अनिवार्य नहीं कर सकते

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 के दृष्टिगत कतिपय गतिविधियों को पुनः प्रारंभ करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जनपदों के लिए निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत सभी स्कूल एवं कोचिंग संस्थान शैक्षणिक कार्य के लिए 15 अक्टूबर के बाद चरणबद्ध तरीके से खोले जा सकेंगे। इनके खोलने का निर्णय जिला प्रशासन द्वारा स्कूल/संस्थान के प्रबंधन से विचार-विमर्श कर एवं स्थिति का आकलन कर तथा कई अन्य बिंदुओं को ध्यान में रखकर लिया जाएगा।

मुख्‍य सचिव राजेन्‍द्र कुमार तिवारी द्वारा जारी इन निर्देशों में कहा गया है कि ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन यानी दूरस्थ शिक्षा की अनुमति जारी रहेगी और इसे प्रोत्साहित किया जाएगा एवं इस व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जहां स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं चला रहे हैं एवं कुछ छात्र भौतिक रूप से कक्षाओं में शामिल होने के बजाय ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के इच्छुक हैं, तो उनको इसकी अनुमति दी जा सकती है। खास बात यह है कि स्‍कूल में छात्र अपने माता-पिता या अभिभावक की लिखित सहमति से ही उपस्थित हो सकते हैं।

स्कूलों शैक्षिक संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों की उपस्थिति बिना माता-पिता (अभिभावक) की सहमति से अनिवार्य नहीं कराये जा सकते, यानी माता-पिता (अभिभावक) की सहमति पर ही निर्भर होगा कि बच्‍चों को स्‍कूल बुलाने के‍ लिए बाध्‍य नहीं किया जा सकता।

स्कूल और शैक्षिक संस्थानों में स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सावधानियों के संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के आधार पर आवश्यकताओं को देखते हुए जारी की जाएगी। जिन स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जाएगी उनके द्वारा अनिवार्य रूप से शिक्षा विभाग द्वारा जारी (एस ओ पी) के प्रावधानों का अनुपालन किया जाएगा इसी के आधार पर पुस्तकालयों को खोलने की भी अनुमति दी जाएगी।

जारी निर्देशों में महाविद्यालयों व उच्च शिक्षा संस्थानों के खोलने के संबंध में कहा गया है कि इसके समय का निर्धारण उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गृह मंत्रालय भारत सरकार की सहमति एवं वर्तमान स्थिति का आकलन करते हुए किया जाएगा ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाएगा व इसे प्राथमिकता दी जाएगी। उच्च शिक्षा संस्थानों में, जिसमें केवल पीएचडी (शोधार्थियों) तथा परास्नातक के छात्रों जिनको विज्ञान एवं तकनीकी विधाओं में प्रयोगशाला संबंधी कार्यों की आवश्यकता पड़ती हो, को 15 अक्टूबर से खोलने की अनुमति सशर्त होगी। इन शर्तों में कहा गया है कि केंद्र द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षा संस्थान के प्रमुख स्वयं आकलन करेंगे कि उनके संस्थानों में शोधार्थी एवं स्नातक छात्रों, जो कि विज्ञान एवं तकनीकी विधाओं से हों, को प्रयोगशाला संबंधी कार्यों की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त अन्य उच्च शैक्षिक संस्थान जैसे कि शासकीय, निजी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों को केवल शोधार्थी एवं स्नातक विज्ञान एवं तकनीकी विद्यार्थियों के कार्यों के लिए खोला जाये एवं इस संबंध में केंद्र सरकार के अनुसार जारी गाइडलाइंस का पालन किया जाना जरूरी है।