-दवाओं के साथ ही पौष्टिक भोजन भी बहुत आवश्यक : डॉ हर्षिता गुप्ता
-वर्ल्ड टीबी डे (24 मार्च) पर खानपान को लेकर विशेष जानकारी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। टीबी से ग्रसित व्यक्ति को अपने भोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रत्येक दिन खाने में तीन मुख्य और तीन स्नैक्स भोजन शामिल करने चाहिए। कैलोरी और प्रोटीन के साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी संतुलित मात्रा लेनी चाहिए।
यह कहना है केजीएमयू की डायटीशियन डॉ हर्षिता गुप्ता का। विश्व टीबी दिवस पर ‘सेहत टाइम्स‘ को विशेष जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक गंभीर बीमारी है जिसका बहुत गहरा सम्बन्ध कुपोषण से है। टीबी कुपोषण की स्थिति को बुरा बना देती है, और कुपोषण टीबी की स्थिति को बुरा बना देता है। दोनों ही रूप में कुपोषण की स्थिति, रोग से लड़ने की शरीर की क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे कुपोषण की संभावना बढ़ जाती है, इस स्थिति में लेटेंट टीबी (बैक्टीरिया शरीर में निष्क्रिय रूप में रहता है) सक्रिय टीबी रोग में विकसित हो सकती है।
पोषण विशेषज्ञ डॉ हर्षिता कहती हैं कि सक्रिय टीबी के रोगी के संपर्क में रहने वाले लोगों में कुपोषण और खाद्य असुरक्षा, टीबी होने की सम्भावना को और अधिक बढ़ा देती है। टीबी की दवाइयों के साथ मरीज को उचित पोषण युक्त भोजन की भी बहुत जरूरत होती है। भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए अंकुरित अनाज व दालें, दलिया, ताज़े फल, सलाद, हरी सब्जियां, दूध व दूध से बने पदार्थ, नट्स व अंडे नियमित रूप से भोजन में शामिल करने चाहिए।
उन्होंने बताया कि टीबी के इलाज और टीबी से पीड़ित लोगों की देखभाल के लिए उचित पोषण के साथ-साथ पोषण संबंधी मूल्यांकन और प्रबंधन भी अतिआवश्यक है। पोषण परामर्श टीबी ग्रसित व्यक्ति के पोषण की स्थिति, आहार और प्राथमिकताएं, वर्तमान भूख और सेवन व खाद्य सुरक्षा पर निर्भर करता है। पोषण संबंधी सहायता रोगियों का वजन बढ़ाने, मृत्यु दर को कम करने और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करती है।
उन्होंने बताया कि पोषण की भूमिका को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा टीबी से ग्रसित व्यक्तियों के लिए निक्षय पोषण योजना शुरू की गयी है। इस योजना के अंतर्गत देश के जो लोग टीबी से ग्रसित हैं उन्हें केंद्र सरकार द्वारा अपने इलाज के दौरान पोषण के लिए प्रतिमाह 500 रुपये की धनराशि वित्तीय सहायता के रूप में प्रदान की जा रही है।