उत्तर प्रदेश की 11 सीटों के उपचुनाव में सभी पर प्रत्याशी उतारने का माया का ऐलान
पार्टी की मीटिंग में कहा, यादवों का वोट बसपा प्रत्याशियों को नहीं मिला इसीलिए परिणाम खराब रहे
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को येन केन प्रकारेण हटाने का एक सूत्रीय कार्यक्रम लेकर चलीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अपनी मूल विचारधाराओं से समझौता करते हुए जो गठबंधन बनाया था उसकी गांठें खुलती नजर आ रही हैं, हालांकि यह आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि वर्षों से नॉर्थ-साउथ पोल की भांति रहीं यह पार्टियां एक राह पर आखिर कब तक चलेंगी। फिलहाल दिल्ली से जो खबर आ रही है वह तो यही संकेत दे रही है कि गठबंधन के दिन पूरे हुए। सामान्यतय उपचुनाव न लड़ने वाली बसपा ने उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित 11 सीटों के उपचुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है।
दिल्ली से आ रही खबरों के अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद उम्मीद के अनुसार नतीजे न आने से नाखुश बसपा सुप्रीमो ने अपनी पार्टी की मीटिंग में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उपचुनाव में अकेले लड़ने की बात करके परोक्ष रूप से बंधन की गांठें खोलने का ऐलान कर दिया है। यानी बुआ ने बबुआ को टाटा बाय-बाय कहने का मन बना लिया है। मायावती ने दिल्ली में पार्टी की मीटिंग में कहा है कि यूपी की 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी। सूत्रों की मानें तो सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में मायावती गठबंधन से नाखुश नजर आईं। उन्होंने कहा कि गठबंधन से पार्टी को फायदा नहीं हुआ। यादव का वोट हमारी पार्टी को ट्रांसफर नहीं हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीएसपी पदाधिकारियों से मिले फीडबैक के बाद मायावती ने बैठक में कहा कि गठबंधन का वोट चुनावों में ट्रांसफर नहीं हुआ। लिहाजा आगामी उपचुनाव में बीएसपी अकेले ही लड़ेगी। बता दें कि लोकसभा चुनाव में 11 प्रत्याशी संसद पहुंचे हैं, जिसके बाद खाली हुई सीटों पर छह महीने के भीतर चुनाव होने हैं। चर्चा तो यह भी है कि मायावती ने बैठक में यह भी कहा कि अखिलेश यादव जब अपनी पत्नी डिम्पल को नहीं जिता सके तो बसपा को क्या जितवायेंगे।
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीएसपी को संतोषजनक सीटें न मिलने और कुछ प्रदेशों में करारी हार को लेकर मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं की अखिल भारतीय स्तर पर मीटिंग बुलाई। यूपी के सभी बसपा सांसदों और जिलाध्यक्षों के साथ बैठक में मायावती ने कहा कि पार्टी सभी विधानसभा उपचुनाव में लड़ेगी और अब 50 फीसदी वोट का लक्ष्य लेकर राजनीति करनी है। मायावती ने ईवीएम में धांधली का भी आरोप लगाया।
उपचुनाव लड़ने का फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि बसपा के इतिहास को देखें तो पार्टी उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती है। वर्ष 2018 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे और सपा को समर्थन दिया था। इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन बना, लेकिन परिणाम मनमाफिक नहीं आए। अब अगर मायावती अकेले उपचुनाव में उतरने का फैसला करती हैं तो गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठाना लाजमी है।
गौरतलब है कि सपा से गठबंधन के तहत बसपा ने यूपी में 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें सिर्फ 10 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई। जबकि 37 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली सपा के खाते में महज पांच सीटें ही आईं।