-श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा ने साझा कीं भगवान राम की महिमा की घटनायें
धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनने का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। इस दौरान अनेक रोचक तथ्य सामने आ रहे हैं, कुछ तथ्य तो ऐसे घटे हैं जो आश्चर्यचकित करते हैं। कहानी, किस्सों में सुनी जाने वाली यह घटनायें जब प्रत्यक्ष में घटती हैं तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। ऐसे ही कुछ तथ्यों पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा ने अपने लखनऊ प्रवास के दौरान माधव सेवा फाउंडेशन के संरक्षक मंडल के सदस्य व वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता के अलीगंज स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च पर आयोजित कार्यक्रम में प्रकाश डाला।
डॉ अनिल मिश्रा ने बताया कि पिछले दिनों चेन्नई से एक मेल आया, इस मेल में लिखने वाले ने अपना नाम नहीं लिखा था, सिर्फ यह लिखा कि मैं एक इंजीनियर हूं, अयोध्या में श्रीराम मंदिर बन रहा है, बहुत अच्छा लगा। उसने लिखा कि इतनी गहराई तक के पिलर बन रहे हैं, जिस पर मंदिर खड़ा होगा, उसने पूछा कि क्या इसके लिए आपने भूकम्परोधी व्यवस्था कर ली हैं।
डॉ अनिल ने बताया कि इस मेल के बारे में ट्रस्ट में वार्ता हुई। मंदिर बनाने वाली कम्पनी लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन तक बात पहुंची तो उन्होंने अपने एक्सपर्ट से बात करके आईआईटी रुड़की के इंजीनियरों को अयोध्या भेजा, अयोध्या आकर इंजीनियरों ने पिलर्स का जायजा लिया, मिट्टी की जांच के लिए देश के कई हिस्सों से आईआईटी के इंजीनियर आये। इसकी जांच में पाया कि भूकम्प आने पर इन्हें नुकसान हो सकता था, इसके बाद निर्माण विधि की पूरी योजना बदलकर नये सिरे से अब पत्थर वाले पिलर्स लगभग 36 मीटर नीचे तक डाले जा रहे हैं।
डॉ अनिल मिश्रा ने कहा कि हम सब सोचकर हतप्रभ हैं कि यह प्रभु राम की ही महिमा है कि उस अज्ञात व्यक्ति ने मेल भेजकर भूकम्परोधी व्यवस्था की तरफ ध्यानाकर्षित कराया। आपको बता दें कि अयोध्या उन क्षेत्रों में शामिल नहीं है, जो भूकम्प के प्रति संवेदनशील हों।
इसी प्रकार दूसरी रोचक घटना के बारे में डॉ अनिल मिश्रा ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए सभी से सहयोग राशि इकट्ठा करने का कार्य आजकल चल रहा है। इसी क्रम में जब वाराणसी में पदाधिकारी दस-दस रुपये के कूपन लेकर झुग्गी झोपडि़यों में चंदा लेने पहुंचे और मंदिर निर्माण में योगदान की बात कही। इस पर उन्होंने कहा कि ठीक है हम लोग आपस में बात कर लें, फिर बतायेंगे। डॉ अनिल मिश्रा ने बताया कि इसके बाद जो हुआ वह चौंकाने वाला था, झुग्गियों में रहने वाले कई लोग एक साथ चंदा ले रहे पदाधिकारियों के के पास पहुंचे और कहा कि आप हम लोगों को इस लायक समझ रहे हैं कि हम दस रुपये देंगे, हम लोग दस-दस रुपये नहीं, ज्यादा देंगे, यह कहकर गठरी, पोटली, झोला निकालकर रख दिया और कहा कि आप लोग गिन लो और रख लो, इस तरह किसी ने एक हजार, किसी ने डेढ़ हजार तो किसी ने दो हजार रुपये दिये।
घटना की रोचकता यहीं समाप्त नहीं होती है, इसके बाद यह समाचार स्थानीय अखबारों में, डिजिटल मीडिया आदि में प्रकाशित हुआ तो यह खबर विदेश पहुंची, विदेश के एक व्यक्ति ने इस खबर को देखा तो वह बहुत प्रभावित हुआ और उसने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्ट की वेबसाइट खोली और ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा के पास फोन कर इस घटना के बारे में पूछा। जब उसे बताया कि हां यह सही है तो उसने कहा कि सर, मैं संगमनगरी अगले माह आऊंगा, और वहां से वाराणसी जाऊंगा और जितने भी ये भिखारी हैं, उनका पुनर्वास करूंगा, जो भी पैसे लगेंगे, भले ही करोड़ो लगें, मैं लगाऊंगा, उसने कहा कि जब भारत में रहने वाले भिखारी ऐसा कर सकते हैं तो मैं उनके रहने-खाने का इंतजाम करके प्रोजेक्ट बनाकर उनका पुनर्वास करूंगा। इस व्यक्ति और विदेश की जगह के नाम की जानकारी डॉ अनिल ने गोपनीय रखी।
डॉ अनिल मिश्र ने बताया कि पहली घटना में अज्ञात व्यक्ति के मेल भेजने और उससे मंदिर निर्माण की पूरी योजना बदल गयी और दूसरी घटना में भिखारियों ने मन से दान किया तो उनके जीवन यापन का इंतजाम करने के लिए के लिए विदेश से फोन आया, इन घटनाओं से हम सब हतप्रभ हैं, उन्होंने कहा कि इन घटनाओं से एक बार फिर आस्था को बल मिलता है और गलत नहीं है कि यह भगवान राम की ही माया है।