-विश्व स्कीज़ोफ्रेनिया दिवस पर आईएमए ने जागरूकता के लिए आयोजित की पत्रकार वार्ता
सेहत टाइम्स
लखनऊ। स्कीजोफ्रेनिया एक ऐसा मानसिक रोग है जो की एक व्यक्ति के स्पष्ट रूप से सोचने, भावनाओं को संयमित रखने, निर्णय लेने एवं दूसरों से सम्बन्ध पहचानने की क्षमता को बाधित करता है। स्कीजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के अंदर ऐसी संवेदनाएं होती है जो वास्तविकता से अलग होती हैं।
यह जानकारी विश्व स्कीजोफ्रेनिया दिवस (24 मई) के अवसर पर यहां रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आईएमए भवन में आईएमए लखनऊ द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में निर्वाण मानसिक रोग चिकित्सा हॉस्पिटल के मैनेजिंग डाइरेक्टर मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्तांशु अग्रवाल ने देते हुए बताया कि स्कीज़ोफ्रेनिया किसी भी उम्र में हो सकता है और ऐसा माना गया है कि स्कीज़ोफ्रेनिया की जटिल, पारस्परिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं में असंतुलन की भूमिका होती है, जिनमें डोपामाइन ग्लूटामेट एवं सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि विश्व की लगभग 0.85 प्रतिशत आबादी स्कीज़ोफ्रेनिया से ग्रसित है।
डिलीवरी के बाद महिलाओें में पोस्टपार्टम समस्या हो तो तुरंत करायें इलाज
इस मौके पर मानसिक रोग विशेषग्य डॉ. शाश्वत सक्सेना ने बताया कि स्कीज़ोफ्रेनिया के लक्षणों में भ्रम, मतिभ्रम, अव्यवस्थित सोच के साथ ही समाज से दूरी बनाये रखना, अत्यधिक उदासीनता, स्वयं की देखभाल में अभाव, भावनाओं की अभिव्यक्ति में कमी, ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थता एवं सूचना को जानने के बाद उसका प्रयोग करने की क्षमता से जुडी समस्या इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम सायकोसिस भी अक्सर महिलाओं में देखने को मिलती है, जिसका भी समय रहते उचित उपचार संभव है।
शुरुआती इलाज से रोग बढ़ने से रोकना संभव
आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ. मनीष टंडन ने कहा कि मानसिक समस्याओं से ग्रसित मरीजों को उचित उपचार के लिए मानसिक रोग विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि बीमारी की शुरुआत में उचित इलाज से इसको बढ़ने से रोका जा सकता है।
मानसिक रोगों के प्रति जनमानस में जागरूकता का अभाव
आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ. संजय सक्सेना ने कहा कि मानसिक रोगों के प्रति जनमानस में जागरूकता का बेहद अभाव है। उन्होंने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समय-समय पर जनता को सेहत से जुड़े ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूक करने के लिए अपने प्रयास करती रहती है। आज की प्रेस वार्ता इसी प्रयास की एक कड़ी है।
मरीज को समझाने पर नहीं उसे समझने पर जोर दें परिजन
आईएमए लखनऊ के संयुक्त सचिव डॉ. प्रांजल अग्रवाल ने कहा कि स्कीजोफ्रेनिया के मरीजों को अक्सर भर्ती करने की आवश्यकता भी पड़ती है, क्योंकि स्कीज़ोफ्रेनिया के ऐसे मरीज जो दवा खाने को तैयार न हों, चिकित्सक को दिखाने के लिए तैयार न हों, अत्यधिक गुस्सा या उदासीनता, भ्रम, मतिभ्रम इत्यादि के लक्षण दिखें तो उनको भर्ती करके भी इलाज किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि लखनऊ में प्रमुखता से सरकारी क्षेत्र में केजीएमयू एवं निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में भी इसका इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि परिजनों को इलाज की शुरुआत में मरीज की समस्या को समझने एवं उसके समुचित इलाज की व्यवस्था पर जोर देना चाहिए न की मरीज को अत्यधिक समझाने पर।