-विस्तृत रिपोर्ट भेजी जा चुकी है जून 2023 में, अभी तक निर्णय नहीं लिये जाने से कर्मियों में आक्रोश
सेहत टाइम्स
लखनऊ। प्रदेश के उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत लगभग 50 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी, जो विभिन्न पदों पर पिछले कई वर्षो से कार्यरत हैं, का वेतन निर्धारण के मामले पर शासन का निर्णय पिछले डेढ़ वर्ष से न आने के चलते उत्तर प्रदेश के संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने एक बार पुनः अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा को पत्र लिखकर जल्द शासनादेश जारी करने की मांग की है। इस सम्बन्ध में नाराज कर्मचारी जल्द ही उप मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन सौंपेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रशासन की ओर से महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में वेतन समिति का गठन किया गया था कमेटी द्वारा विभिन्न संवर्ग के कर्मचारियों का वेतन निर्धारण का रिपोर्ट तैयार करके शासन को दिनांक 9 जून 2023 को भेज दिया गया था जिस पर शासन स्तर से निर्णय अभी तक नहीं आया और शासनादेश जारी न होने के कारण कर्मचारियों को वेतन बढ़ोतरी का लाभ नहीं मिल पाया।
प्रदेश के उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थान के जी एम यू, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान , एसजीपीजीआई तथा कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में लगभग 15000 आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनको वेतन बढ़ोतरी का लाभ मिलना था, मगर डेढ़ वर्ष से शासन द्वारा निर्णय न आने से यह कर्मचारी उपेक्षित हैं। इसके साथ ही प्रदेश के लगभग 50 मेडिकल कॉलेज में कई हजार आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनको उचित वेतनमान नहीं मिल पा रहा है शासन द्वारा कमेटी गठित होने पर कर्मचारियों में उम्मीद जगी थी मगर पिछले डेढ़ वर्षो से शासनादेश जारी न होने के कारण अब कर्मचारी आक्रोशित है और आंदोलन के मूड़ में हैं।
संयुक्त स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि मंडल ने कई बार उपमुख्यमंत्री से मिलकर वेतन बढ़ाए जाने की गुजारिश की है मगर अब लगता है कि बिना संख्या बल के कोई सुनवाई नहीं होगी। इसलिए यूनियन की कार्यकारिणी बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि सभी मेडिकल कॉलेज तथा चिकित्सा संस्थानों से कुछ कर्मचारी आएंगे और भारी संख्या में एकत्रित होकर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को ज्ञापन देंगे।