Tuesday , April 23 2024

मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवायें सुधारने के लिए केजीएमयू में आरआरटीसी स्थापित

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने परिसर में इंडिया हेल्थ एक्शन ट्रस्ट (आईएचएटी) द्वारा स्थापित क्षेत्रीय संसाधन प्रशिक्षण केंद्र(आरआरटीसी) का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर आईएचएटी के प्रबंध निदेशक विकास गॉंथवाल भी उपस्थित रहे। इस केंद्र के लिए प्रो. शैली अवस्थी बाल रोग विभाग केजीएमयू नोडल अधिकारी हैं। इस अवसर पर केजीएमयू, एएमयू, इलाहाबाद एवं गोरखपुर के मेडिकल कॉलेजों के 54 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। आईएचटी एक एनजीओ है जो 2003 से स्वास्थ्य मंत्रालय में पंजीकृत है। इसे बिल एण्ड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। उत्तर प्रदेश में इस संस्था द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता पैदा करने में सहायता के लिए एक तकनीकी सहायता इकाई (टीएसयू) की स्थापना की गई है। संस्था द्वारा मातृ एवं बाल मृत्यु को कम करने के लिए अंतिम लक्ष्य के साथ मातृ एवं बाल स्वास्थ्य के सेवाओं के वितरण में सुधार किया है। यह 2020 तक सशक्त विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा।

25 सर्वाधिक पिछड़े जिलों में स्वास्थ्य की देखभाल

आईएचटी उत्तरप्रदेश के 25 सबसे पिछड़े जिलों में स्वास्थ्य की देखभाल कर रहा है। आईएचटी द्वारा सूबे के चार मेडिकल कॉलेजों में आरआरटीसी सेंटर की स्थापना की गई हैं, केजीएमयू आरआरटीसी सेंटर के अलावा नोडल सेंटर है। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज से लगभग 7-8 जिलों के पहले रेफरल इकाइयों (एफआरयू) में चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें 3 मासिक यात्राओं का संचालन करने और उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करने और उनकी समस्याओं की पहचान करने एवं उन्हें हल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। जिसकोअब 6 महीने के समय में पुनरीक्षित किया जायेगा। केजीएमयू से जुड़े आठ जिलों में बाराबंकी, फैजाबाद, सीतापुर लखीमपुर, कन्नौज, हरदोई और शाहजहांपुर हैं। टीएसयू चिकित्सा शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य डॉक्टरों के बीच के प्रशिक्षण का अनूठा मॉडल है जो दूरस्थ जिलों के सरकारी डॉक्टरों के ज्ञान को बेहतर बनाने और उनका कौशल बढ़ाने में तथा मातृ एवं बाल्यकाल की बीमारियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल हेतु अच्छा परिणाम देगा। यह 2 साल का प्रोजेक्ट है और यदि मॉडल सफल होता है, तो इसे पूरे राज्य में दोहराया जा सकता है।

निरीक्षण करने का दायित्व संकाय सदस्यों को

कार्यक्रम में प्रो. भट्ट ने कहा कि यह एक महान कार्य है। केजीएमयू पूरी तरह से इस पहल का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि इसका निरीक्षण करना और सलाह देना संकाय सदस्यों का कर्तव्य माना जायेगा क्योंकि यह उनके नियमित कार्य का एक हिस्सा होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.