शिव को शीघ्र प्रसन्न करने वाला पाठ है शिवतांडव स्तोत्र : ऊषा त्रिपाठी

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। इस बार श्रावण मास की शुरुआत सोमवार (6 जुलाई) से होकर माह का अन्त भी सोमवार (3 अगस्त) से ही हो रहा है। भगवान शंकर को प्रिय इस माह में विशेष पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों को हालांकि इस बार कुछ निराशा जरूर हुई क्योंकि वर्तमान में चल रहे कोरोना काल के कारण सरकार द्वारा जारी निर्देशों के चलते मंदिरों में उनकी उपस्थिति पूर्व की तरह नहीं हो पायी। भगवान शिव की स्तुति घर पर भी की जा सकती है, भगवान शिव जिन्हें आशुतोष भी कहा जाता है, आशुतोष का अर्थ होता है आशु यानी शीघ्र तोष यानी प्रसन्न होने वाले, जो शीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं, वे शिव हैं।



यह जानकारी देते हुए योगिक मानसिक चिकित्सा सेवा समिति की संचालिका, समाज सेविका व प्राणिक हीलर ऊषा त्रिपाठी ने कहा कि भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए किये जाने वाले पाठों में एक है शिवतांडव स्तोत्र, इसके पाठ से भगवान शंकर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति को अभीष्ट फल प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि शिवभक्त रावण ने शिवतांडव स्तोत्र की रचना की थी और इस रचना को गाकर उसने भगवान शिव को प्रसन्न किया था।
उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करता है उससे भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, और उस व्यक्ति को नृत्य, चित्रकला, लेखन, युद्धकला, समाधि, ध्यान आदि कार्यो में भी सिद्धि मिलती है। यह भी मान्यता है कि इस स्तोत्र का जो भी नित्य पाठ करता है उसके लिए सारे राजसी वैभव और अक्षय लक्ष्मी भी सुलभ होती है। ऊषा त्रिपाठी ने कहा कि इस कोरोना काल में जब लोग परेशान हैं, बीमार हो रहे हैं, निराशा के बादल घेरे हुए हैं, ऐसे में भगवान शिव जो प्रसन्न करने के लिए शिवतांडव स्तोत्र का पाठ लोगों को नयी ऊर्जा प्रदान करेगा और किसी भी मुसीबत का सामना करने की शक्ति प्रदान करेगा। शिवतांडव स्तोत्र इस प्रकार है-



