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उभरे हुए चकत्ते पित्ती भी हो सकती है और एंजियोएडेमा भी

-दोनों एलर्जी के निदान, कारणों, लक्षणों और उपलब्ध आधुनिक उपचार विकल्पों के बारे में दी जानकारी

-विश्व एलर्जी सप्ताह के मौके पर केजीएमयू में सेमिनार एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

सेहत टाइम्स
लखनऊ।
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, यूपी, लखनऊ ने विश्व एलर्जी वीक के मौके पर इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी (आईसीएएआई) एवं विश्व एलर्जी संगठन के तत्वावधान में अर्टिकेरिया और एंजियोएडेमा पर एक सेमिनार एवं जागरूकता कार्यक्रम विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में आज 26 अप्रैल को आयोजित कार्यक्रम में प्रोफेसर राजीव गर्ग द्वारा दो आम लेकिन अक्सर गलत समझी जाने वाली एलर्जी की स्थितियों पर प्रकाश डाला गया।

इस शैक्षणिक कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को इन स्थितियों, उनके कारणों, लक्षणों और उपलब्ध आधुनिक उपचार विकल्पों के बारे में ज्ञान देकर सशक्त बनाना है। एंजियोएडेमा की विशेषता त्वचा पर उभरे हुए, लाल और खुजली वाले चक्कते की अचानक उपस्थिति है जिसे आमतौर पर पित्ती के रूप में जाना जाता है जबकि यह पित्ती अथवा एंजियोएडेमा दोनों हो सकते हैं। ये एलर्जी, संक्रमण, दवाओं या तनाव जैसे विभिन्न कारकों से उत्पन्न हो सकती है, कई व्यक्ति अपने लक्षणों के मूल कारण की पहचान करने के लिए संघर्ष करते हैं। इस व्याख्यान के दौरान, प्रतिभागियों को पित्ती और एंजियोएडेमा के पैथोफिज़ियोलॉजी की व्यापक समझ हासिल करने का अवसर मिला और उन्होंने सीखा कि इन स्थितियों के विभिन्न रूपों के बीच अंतर कैसे किया जाए।

पूर्व अध्यक्ष, आईसीएएआई और प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, यूपी, लखनऊ के डा0 सूर्यकान्त ने एलर्जी की स्थितियों से निदान और उपचार में अक्सर आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और उपचार प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। चिकित्सकों को नवीनतम जानकारी देना और चुनौती पूर्ण स्थितियों से प्रभावित रोगियों की बेहतर देखभाल के लिए व्यावहारिक रणनीतियों को लागू करने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गयी।

डा0 राजीव गर्ग ने पित्ती और एंजियोएडेमा के पैथोफिजियोलॉजी और निदान एवं उपचार की अभिव्यक्तियों को समझने और इन स्थितियों से जुड़े सामान्य ट्रिगर और जोखिम कारकों की पहचान करने के बारे में बात की एवं त्वचा परीक्षण और प्रयोगशाला जांच सहित नैदानिक तकनीकों में नवीनतम प्रगति पर भी चर्चा की।
इस कार्यक्रम में विभाग के संकाय सदस्य डा0 आर.ए.एस. कुशवाहा, डा0 संतोष कुमार, डा0 अजय कुमार वर्मा, डा0 आनंद श्रीवास्तव, डा0 दर्शन बजाज, डा0 ज्योति बाजपेयी, डा0 अंकित कुमार एवं विभाग के सभी रेजिडेंट्स उपस्थित रहे।

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