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खुशखबरी : मानसिक अस्‍पतालों में लोक सेवा आयोग से होगी नर्सों की नियुक्ति

०राज्‍य मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य प्राधिकरण की बैठक में कई अहम फैसले
०मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की दवाओं की उपलब्‍धता बनाये रखने के निर्देश
०सेवारत नर्सों के लिए एक वर्षीय पीजी डिप्‍लोमा इन साइक्राइटिक नर्सिंग फ्री

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य की दवाओं की उपलब्धता बनाए रखने के लिए राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष व चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी ने निर्देश दिए हैं कि प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र से लेकर जिला अस्‍पतालों तक में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की दवाओं की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए महानिदेशक पृथक से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजें इसके पश्चात उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन द्वारा टेंडर के माध्यम से औषधियों की उपयोगिता कराना सुनिश्चित किया जाए। इसके अतिरिक्‍त मानसिक अस्‍पतालों के लिए नर्सों की नियुक्तियां अब संविदा पर नहीं, बल्कि लोक सेवा आयोग द्वारा की जायेंगी। इन अस्‍पतालों में कार्य करने के लिए राजकीय सेवाओं में कार्यरत नर्सों के लिए एक वर्षीय पीजी डिप्‍लोमा इन साइक्राइटिक नर्सिंग करने के लिए नर्सों को नामित करने के निर्देश भी दिये गये हैं।

यह निर्देश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की बैठक में दिये गये हैं। बीते 17 अक्टूबर को हुई बैठक में 27 जून को हुई बैठक के कार्यवृत्‍त को बिना किसी संशोधन के पारित कर दिया गया। मिली जानकारी के अनुसार अन्‍य फैसलों में प्रमुख सचिव ने वाराणसी और बरेली के मानसिक चिकित्सालय के जर्जर भवनों की मरम्मत के साथ बरेली चिकित्सालय की जर्जर हो चुकी पानी की टंकी को भी बदले जाने पर सहमति प्रदान की है, इसके अतिरिक्त इन दोनों चिकित्सालयों में मानसिक रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए गृह जनपद न होने की अनिवार्यता को शिथिल किए जाने के प्रस्ताव को भी प्रस्तुत करने को कहा गया है।

इसके अतिरिक्त मानसिक चिकित्सालयों में अब संविदा पर नर्सिंग स्टाफ की तैनाती के स्थान पर नियमित नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति के लिए लोक सेवा आयोग इलाहाबाद को अधियाचन प्रेषित करने के निर्देश भी दिए गए हैं हालांकि वाराणसी एवं बरेली के मानसिक चिकित्सालय में अटेंडेंट/वार्ड बॉय के सेवानिवृत्त होने के फलस्वरूप रिक्त पदों को भरे जाने के संबंध में प्रमुख सचिव ने नीतिगत प्रकरण न होने के कारण पृथक से विचार किए जाने की बात कही। प्रमुख सचिव ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देश दिया कि अस्पतालों में मनोरोग विशेषज्ञों की कमी को देखते हुए मेडिकल कॉलेज एवं संस्थानों से संपर्क कर कैंपस इंटरव्यू की तर्ज पर इच्छुक मनोरोग विशेषज्ञों की सूची बनाएं तथा संबंधित जनपदों में भेजें ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से जिला स्वास्थ समिति द्वारा वॉक इन इंटरव्यू लिया जा सके।

प्रमुख सचिव ने निदेशक नर्सिंग चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को निर्देश दिया कि‍ केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में 1 वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन साइकाइट्रिक नर्सिंग का प्रशिक्षण दिलाने के लिए राष्ट्रीय सेवा में कार्यरत नर्सिंग संवर्ग के कार्मिकों को प्रतिभाग करने के लिए नामित करें। यह प्रशिक्षण निशुल्क होगा।

बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ सुनील पांडे ने बताया कि भारत सरकार द्वारा तैयार स्टेट मेंटल हेल्थ रूल्स को राज्य सरकार द्वारा मूल प्रारूप में यथावत ग्रहण कर लिया गया है, इस पर बैठक में सभी उपस्थित सदस्यों ने अपनी सहमति जताई। बैठक में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के लगभग 20 वर्षों का लेखा-जोखा दस्तावेज, फाइल एवं अन्य सामग्री काफी मात्रा में केजीएमयू के वृद्धावस्था मानसिक रोग विभाग में रखी है, जिसे खाली कराने के लिए बार-बार कहा गया है।  इसके लिए तीन-चार कमरे वाले कार्यालय कक्ष की आवश्यकता है इस संबंध में सचिव वी हेकाली झिमोमी ने कहा कि कार्यालय के लिए निदेशक एसआईएचएफडब्ल्यू इंदिरा नगर से वार्ता के उपरांत वहां स्थान आवंटित करवा देंगी।

बैठक में केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पीके दलाल ने कहा कि मानसिक चिकित्सालय में रोगियों को रखने के लिए अभी भी काफी पुराने कारागार नियम का अनुपालन किया जा रहा है जिससे रोगियों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है, उन्होंने इसे बदले जाने का सुझाव दिया इस पर प्रमुख सचिव ने कहा कि अन्य राज्यों से उत्कृष्ट उदाहरण प्राप्त करते हुए इस पर कार्यवाही की जाए।