Friday , November 22 2024

बाल सभा और बाल संरक्षण समितियों में बच्चों की भी सुनें जन प्रतिनिधि

-महिला एवं बाल विकास, यूनिसेफ ने आयोजित किया बाल सहभागिता पर प्रशिक्षण

सेहत टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए जिला बाल संरक्षण इकाइयों का प्रशिक्षण लखनऊ में आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम यूनिसेफ द्वारा सहभागी शिक्षण केंद्र के सहयोग से लखनऊ में चार बैच में आयोजित किया गया जिसका समापन मंगलवार को हुआ। प्रशिक्षण में सभी 75 जनपदों के जिला बाल संरक्षण इकाइयों के 140 सदस्यों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण का उद्देश्य, जिला एवं ग्राम स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में बच्चों की भागीदारी के महत्व पर वैचारिक स्पष्टता विकसित करना था। यूनिसेफ के बाल संरक्षण विशेषज्ञ मंसूर उमर कादरी ने कहा, “जिला बाल संरक्षण इकाइयां बच्चों के संरक्षण के लिए तो कार्य करती ही हैं किन्तु उन्हें बच्चों के साथ मिल कर भी कार्य करना चाहिए।”

उन्होंने मिशन वात्सल्य योजना के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की और कहा, “जिला एवं ग्राम स्तर पर बाल संरक्षण कमिटी में बच्चों की सहभागिता होनी चाहिए और उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही बाल संरक्षण गृहों में रह रहे बच्चों की भी बाल समिति होनी चाहिए जो अपने मुद्दों और सुझावों को सामने रख सके”।

यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि में बच्चों की भागीदारी पर जोर दिया गया है, किन्तु बच्चों की सहभागिता केवल नाम के लिए ही नहीं होनी चाहिए। उन्हें घर, समुदाय, स्कूल, पंचायत आदि में अपनी बात रखने, सुने जाने एवं निर्णय लेने के अवसर भी दिए जाने चाहिए।“

सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में भी ‘‘बाल हितैषी गाँव’ स्थापित करने का प्रावधान जिसकी परिकल्पना यह सुनिश्चित करना है की बच्चे पूर्ण रूप से विकसित होने तक अपने अस्तित्व, विकास, भागीदारी और सुरक्षा के अधिकारों को पाने में सक्षम बनें। इसी के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत में बाल सभा के गठन की भी बात कही गई है जिसमें जिला बाल सरक्षण इकाइयों की भूमिका अहम है।

बाल सभा के विषय में बताते हुए, यूनिसेफ की सोशल पॉलिसी विशेषज्ञ पीयूष एंटनी एवं कन्सल्टेंट प्रशंसा ने कहा, “बाल सभा में 11-18 वर्ष के सदस्य होते हैं जिनमें एक अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष होता है एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, खेल, सुरक्षा, खाद्य एवं सुरक्षा मंत्री व उपमंत्री होते हैं।बाल सभा की बैठक वर्ष में 4 बार आयोजित की जाती हैं।“

प्रशिक्षण में सहभागी शिक्षण केंद्र के संस्थापक अशोक ने कहा, “बाल सभा एक ऐसा अवसर है जहां बच्चे अपने अधिकारों का उपयोग कर सामाजिक विकास में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हैं, साथ ही प्रजातान्त्रिक, नैतिक एवं नागरिक मूल्यों को सीखते हैं।“

प्रशिक्षण में विशेषज्ञों द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में बच्चों की भागीदारी के महत्व के विषय में बताया गया एवं बाल सभा एवं ग्राम पंचायत के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए बाल संरक्षण इकाइयों को प्रशिक्षित किया गया एवं कार्य योजना बनाई गई।

सहभागी शिक्षण केंद्र के मनीष ने सतत विकास लक्ष्यों एवं उनके स्थानीयकरण के विषय में बताया। उन्होंने कहा, “बाल सभा बाल हितैषी गाँव के निर्माण में योगदान के साथ ही बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास कर उन्हें समाज एवं राष्ट्र हित में योगदान देने के लिए प्रेरित करेंगे।“
प्रशिक्षण में यूनिसेफ कनसलटेंट जावेद अंसारी एवं सहभागी शिक्षण केंद्र से मृदुलीका शर्मा ने प्रशिक्षण के दौरान गतिविधियां आयोजित करने में सहयोग किया और महिला एवं बाल कल्याण की विभिन्न योजनाओं के विषय में बताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.