राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के आह्वान पर निर्णय
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के आह्वान पर 14 फरवरी को प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों पर होने वाले धरना प्रदर्शन में प्रदेश के सभी विधाओं के फार्मेसिस्ट हिस्सा लेंगे ।
मंगलवार को कार्यक्रम की रणनीति बनाने के लिए राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों की बैठक बलरामपुर चिकित्सालय में सुनील यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक को संबोधित करते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के संगठन प्रमुख, और महासंघ के संयोजक के के सचान ने बताया कि विभिन्न संवर्गो की वेतन विसंगति दूर करने, केंद्र के भत्तों की समानता, 50 वर्ष की सेवा पर जबरन सेवानिवृति पर रोक लगाए जाने, 8-16-24 वर्ष पर एसीपी, संविदा एवं वर्कचार्ज कर्मचारियों को नियमित करने, आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने, डिप्लोमा इंजीनियरों की भांति 4600 ग्रेड पे को इग्नोर करने, पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने,परिवहन निगम के कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने, संवर्गो का पुनर्गठन, केंद्र की तरह एल टी सी सहित 18 सूत्रीय मांग के समर्थन में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय लिया है, जिसके क्रम में स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, पी डब्लू डी, गन्ना विभाग, नलकूप विभाग, वाणिज्य कर, आई टी आई, , तहसील, समाज कल्याण विभाग , वन विभाग, लखनऊ विश्व विद्यालय, के जी एम यू, सहित जनपद के समस्त विभागों के कर्मचारी धरने में भागीदारी करेंगें।
महासंघ के महामंत्री अशोक कुमार ने कहा कि उच्चस्तरीय बैठकों में लिए गए निर्णयों पर कार्यवाही न होने के कारण परिषद ने आंदोलन की घोषणा की है । प्रदेश के लाखों राज्य कर्मचारी 14 को जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे ।
महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जेपी नायक ने कहा कि फार्मेसिस्ट संवर्ग की वेतन विसंगति की रिपोर्ट शासन में धूल खा रही है, बार-बार बैठकों में तत्काल निर्णय करने के फैसले के बावजूद शासनादेश निर्गत नहीं हो पा रहा है । इसलिए प्रदेश के विभिन्न विधाओं के हजारो फार्मेसिस्ट धरने में भागीदारी करेंगे ।
अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि संवर्ग के पुनर्गठन के लिए शासन ने कड़े निर्देश दिए हैं लेकिन उसका प्रस्ताव महानिदेशालय द्वारा अभी तक नहीं प्रेषित हुआ । वेटेनरी की सेवा नियमावली प्रख्यापित नहीं हो रही है, होम्योपैथ में भी उच्च पदों का सृजन शासन में लंबित है, साथ ही आयुर्वेद, संविदा की मांगें भी लंबित हैं । संविदा का वेतन अत्यंत कम निर्धारित किया गया है । कारागार में अभी तक पदोन्नति के पद नही है, जिससे सभी कर्मियों मे रोष व्याप्त है।
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