-वेतन, भत्ते व पदोन्नति की अनदेखी को लेकर यूपी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पारित
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई की फैकल्टी फोरम ने चेतावनी दी है कि संस्थान के संकाय सदस्यों को एम्स दिल्ली के समान वेतन, पदोन्नति के लिए हुए साक्षात्कार का परिणाम न घोषित किये जाने जैसे मसलों को लेकर यूपी सरकार गंभीर नहीं है। लम्बे समय से लटके मामलों पर विचार न होने से संकाय सदस्य मानसिक उत्पीड़न झेल रहा है। यदि अगले 15 दिनों के अंदर सरकार की तरफ से कोई कदम न उठाया गया तो संकाय सदस्य आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
यह चेतावनी देते हुए फैकल्टी फोरम के सचिव डॉ संदीप साहू ने कहा है यह फैसला फैकल्टी फोरम की जनरल बॉडी की मीटिंग में गत दिवस लिया गया है। उन्होंने कहा कि फोरम ने तीन पी यानी पे, पर्क्स व प्रमोशन में अनदेखी पर यह विरोध प्रस्ताव पास किया है। उन्होंने कहा कि संजय गांधी पीजीआई के संकाय सदस्यों को एम्स दिल्ली के समान वेतन, भत्तों और पदोन्नति मिलने का प्रावधान है। विशेष अधिनियम के अनुसार अनुसंधान, स्वायत्त सुपर स्पेशियलिटी संस्थान एसजीपीजीआई की एम्स दिल्ली के साथ समानता है।
डॉ संदीप साहू ने बताया कि फोरम में कहा गया कि पिछले 30 वर्षों से एसजीपीजीआई के संकाय और कर्मचारियों ने इसे बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, और गुणवत्ता, सुरक्षा, सस्ती सुपरस्पेशलिटी स्वास्थ्य देखभाल के मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार का आईकॉन बनी है। उन्होंने बताया कि संस्थान में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि एमपी, बिहार, नेपाल और आस-पास के क्षेत्रों से आने वाले मरीजों का इलाज किया है, यही नहीं संस्थान में हुए सामाजिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कई शोधों के लिए पूरी दुनिया में इसकी सराहना होती है।
डॉ साहू ने कहा कि इस सब के बाद भी प्रदेश सरकार की ओर से संकाय सदस्यों की अनदेखी के कारण नियमानुसार सही वेतन, भत्ते और समय पर पदोन्नति नहीं मिल रही है।
उन्होंने बताया कि 7वें वेतन आयोग जनवरी 2017 के अनुसार, एम्स के अनुसार अंतिम वेतन निर्धारण अभी भी लंबित है और प्रस्ताव यूपी सरकार के अधीन है। इसके अलावा सेवानिवृत्ति के लाभ ग्रेच्युटी, अर्जित अवकाश, इनकैशमेंट जैसी सुविधायें जो पहले मिल रही थीं, उन्हें बंद कर दिया गया है। पिछले दो वर्षों में सेवानिवृत्त होने वाले संकाय अभी भी सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि करीब 42 संकाय सदस्यों ने एक साल के इंतजार के बाद बीती जुलाई-अगस्त में एसोसिएट प्रोफेसर, एडिशनल प्रोफेसर और प्रोफेसर के लिए पदोन्नति के लिए साक्षात्कार दिया था, इनका परिणाम छह माह बाद अभी भी घोषित नहीं किया गया है, यह सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग के विचाराधीन लंबित है।
डॉ संदीप ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब पिछले 20 वर्षों में एसजीपीजीआई संकाय के साथ कभी नहीं हुआ जो पिछले 2-3 वर्षों से हो रहा है। हमारी सभी फाइलें और प्रस्ताव यूपी के सरकारी कार्यालयों और अधिकारियों में अटक जाते हैं। इतने आधिकारिक अनुस्मारक के बाद भी, SGPGI के संकाय सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि हम सभी संस्थान में हमारे पास आने वाले रोगियों या सरकार के साथ पूरे यूपी राज्य में सक्रिय भागीदारी के लिए अपनी पूरी सेवा देते हैं, लेकिन सरकार को भी हमारी वास्तविक जरूरतों को समझना चाहिए और समय से हमारी मानसिक और शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये।