-केजीएमयू के कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर व स्टाफ ने साझा किये निजी पल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। पापा से बात नहीं करूंगा, क्योंकि इतना बुलाने के बाद भी घर नहीं आ रहे हैं। यह प्यार भरा गुस्सा केजीएमयू के कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉ संजय मिश्र के पांच साल के बेटे कार्तिकेय का है। डॉ संजय बताते हैं कि कोरोना वार्ड में जब ड्यूटी करने आ रहा था तब पत्नी और बच्चों को समझाकर आया था कि अगले 28 दिन मिलना नहीं होगा, फोन पर बात होगी। मगर दो दिन बाद से ही, दोनों बच्चे कार्तिकेय और दो वर्षीय बेटी जिद करने लगे कि कुछ भी हो घर आ जाओ।
डॉ संजय मिश्र ने बताया कि आज रविवार को उनका जन्मदिन भी है, लेकिन जन्मदिन पर जब बेटे की बर्थ डे विश नहीं मिली तो फोन कर के मां से पूछा तो मां ने बेटे की नाराजगी के बारे में बताया।
डॉ संजय कहते हैं कि वास्तव में अबोध और मासूम बच्चों के इस पितृत्व प्रेम को, महसूस करना बहुत कठिन है। खुद की इच्छा को मारना आसान है, बच्चों की नही। कैसे उन्हें अपनी मजबूरी समझाऊं कि, बेटा तुम्हारी ख्वाहिश पूरी करने के साथ ही, मरीजों का इलाज देना भी मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
डॉ.मिश्र ने बताया कि कोरोना वार्ड में ड्यूटी करना हम चिकित्सकों व स्टाफ के लिए कठिन नहीं है, मगर इसके प्रोटोकॉल नियम घर परिवार को परेशान कर देते हैं। खासकर बच्चे, जिन्हें अपनी बात समझाना, आसान नही है। वजह स्पष्ट है क्योंकि बच्चों को इसकी व्यापकता और गंभीरता का भय नहीं है।
नहीं हो पा रहा तीन पीढ़ियों का मिलन
कुछ ऐसी ही कहानी टीम लीडर नर्स सत्येन्द्र कुमार की है, सत्येन्द्र बताते हैं कि उनकी पत्नी की ड्यूटी पल्मोनरी विभाग में लगी है, दिन भर बच्चे हम दोनों के बगैर रहते हैं, जबकि शाम को पत्नी पहुंच जाती हैं, लेकिन मुझसे मिलना आजकल नहीं हो पा रहा है, बहुत अखरता तो है लेकिन कर्तव्य के आगे कुछ भी नहीं ठहर पाता। वह बताते हैं कि सप्ताह में एक बार मैं अपने माता-पिता से मिलने भी चला जाता हूं, जो कि इस बार संभव नहीं है। वह कहते हैं कि लेकिन महसूस कर सकता हूं। हंसते हुए कहते हैं कि आजकल तीन पीढ़ियों का मिलन नहीं हो पा रहा है, यानी मैं अपने बेटों से नहीं मिल पा रहा हूं और न ही अपने माता-पिता से मिलने जा पाया हूं। सत्येन्द्र के छह साल और दो साल के दो बेटे हैं। वह कहते हैं कि हालांकि फोन पर बात होती है, मगर, बच्चे तो बच्चे ही हैं। वीडियो कॉल पर ही रोने लगते हैं बोलते हैं, कि मुझे अपने पास बुला लो या तुरन्त घर चले आओ। बहुत भावुक और हृदय के लिए कष्टकारी पल होता है। मगर, मरीजों की जरूरत और अपने पेशे के प्रति निष्ठा की याद आते ही, सबकुछ भूल जाता हूं और याद रहता है मरीज और उसके इलाज संबन्धित सावधानियां।
उन्होंने बताया कि हम सब लोगों की मेहनत का परिणाम है कि इस दौर में मरीज तेजी से ठीक हो रहें हैं और कोरोना वार्ड से डिस्चार्ज हो रहें हैं। कोरोना मरीजों को उपचारित करने वाली वर्तमान टीम में डॉ.वैभव गुपता, डॉ.प्रांजल गुपता, डॉ.सौम्या जौहरी, डॉ.अविनाश दुबे के अतिरिक्त स्टाफ नर्स में अमित, स्नेहलता, ब्रजकिशोर, अनीता व शोभना शामिल हैं। ज्ञात हो कि 14 दिन कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने के बाद नियमानुसार प्रत्येक व्यक्ति को 14 दिन के लिये क्वारेंटाइन रहना पड़ता है, उसके बाद ही टीम सदस्य को घर जाने की अनुमति मिलती है।