Sunday , November 24 2024

डायग्नोस्टिक लैब के लिए नये नियमों पर विरोध जताया एमएससी चिकित्सा शिक्षक संघ ने

दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले दिनों किये गए प्रदर्शन की फाइल फोटो।

लखनऊ। राष्ट्रीय एमएससी चिकित्सा शिक्षक संघ (एनएमएमटीए) ने कहा है कि नैदानिक प्रयोगशालाओं के लिए नैदानिक स्थापना अधिनियम के दिशा निर्देश ने चिकित्सीय एमएससी स्नातकोत्तरों के लिए समस्त भूमिकाओं से वंचित कर दिया है। नैदानिक स्थापना नियमों में अनिवार्य कर दिया है कि इस कार्य को करने के लिए सभी नैदानिक प्रयोगशालाओं में चिकित्सक (एमसीआई या राज्य चिकित्सा परिषद से पंजीकृत) होने चाहिए। हाल ही में इन नियमों का कार्यान्वयन दो राज्यों राजस्थान और झारखण्ड में हुआ जो देश भर के स्नातकोत्तरों को आशंकित कर रहा है।
राष्ट्रीय एमएससी चिकित्सा शिक्षक संघ (एनएमएमटीए) के सचिव अर्जुन मैत्रा ने बताया कि राष्ट्रीय एमएससी चिकित्सा शिक्षक  संघ  (एनएमएमटीए) ने इन नियमों का विरोध किया है और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा सहित समस्त संबंधित प्राधिकारियों को इन नियमों पर पुनर्विचार करने के लिए आग्रह किया है।   एनएमएमटीए अध्यक्ष, डॉ  श्रीधर राव ने सरकार से विसंगति को सही करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि एमएससी. (चिकित्सा बायोकैमिस्ट्री , चिकित्सा  माइक्रोबायोलॉजी) स्वतंत्र रूप से या पूरी तरह से चिकित्सीय प्रयोगशाला में मेडीकल बायोकेमिस्ट्री और मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी  रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने के हकदार हैं।
उन्होंने कहा कि यदि ये दिशा निर्देश राज्यों द्वारा अपनाए जाते हैं और लागू किए जाते हैं तो चिकित्सा उपाधि के साथ सैंकड़ों योग्य माइक्रोबायोलॉजिस्ट और बायोकेमिस्ट या तो अपनी नौकरी खो देंगे या अपमानजनक रूप से नैदानिक प्रयोगशालाओं से दूर रहेंगे। इन गलत नीतियों  के कारण  चिकित्सा वैज्ञानिकों की प्रतिभा पलायन एक सतत प्रक्रिया है।
डॉ मैत्रा ने कहा कि वर्तमान में  देश में कई कॉर्पोरेट अस्पताल और निजी नैदानिक प्रयोगशालों में चिकित्सीय एमएससी स्नातकोत्तर हैं जो प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट की व्याख्या करते हैं और उन पर हस्ताक्षर करते हैं। इन नियमों से चिकित्सीय एमएससी स्नातकोत्तरों के बीच व्यापक असंतोष है क्योंकि यदि यह नया नियम सभी राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित होता है तो उनमें से सैकड़ों या तो नौकरी खो देंगे या प्रयोगशाला तकनीशियनों की भूमिका के लिए पदावनत हो जायेंगे । हालांकि, केन्द्रीय स्वास्थ मंत्रालय अपने रुख पर दृढ़ है। समस्त नैदानिक स्थापनों को पंजीकृत और नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार ने नैदानिक स्थापना (पंजीकरण एवं विनियम) अधिनियम 2010, कानून बनाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.