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एसजीपीजीआई में नर्सिंग व टेक्नीशियंस संवर्ग ने किया 7 अप्रैल से आंदोलन का ऐलान

-कर्मचारियों में भेदभाव अपनाने का आरोप, सभी को एक जैसा लाभ देने की मांग

-दस दिन क्रमिक अनशन व दस दिन दो घंटे कार्य बहिष्‍कार के बाद 28 अप्रैल से पूर्ण कार्य बहिष्‍कार का निर्णय

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में नर्सिंग एसोसिएशन एवं मेडिटेक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में संस्थान प्रशासन पर कर्मचारियों में भेदभाव उत्पन्न करने का आरोप लगाते हुए आगामी 7 अप्रैल से आंदोलन का ऐलान किया है जिसमें 7 अप्रैल से क्रमिक अनशन, 18 अप्रैल से दो घंटे कार्य बहिष्‍कार तथा 28 अप्रैल से पूर्ण कार्यबहिष्‍कार करने का ऐलान किया गया है।

नर्सिंग एसोसिएशन एवं मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रमश: सीमा शुक्ला व डी के सिंह तथा महामंत्री क्रमशः सुजान सिंह एवं सरोज वर्मा द्वारा यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि संस्थान प्रशासन द्वारा नियम विरुद्ध एवं भेदभाव पूर्ण तरीके से मिनिस्टीरियल सचिवीय एवं लेखा संवर्ग के कर्मचारियों को एसीपीएस एमएससी सीएस प्रधान का लाभ अनुमन्य कराया गया है जिसके द्वारा मिनिस्टीरियल सचिवों एवं लेखा संवर्ग के कर्मचारियों को दो से तीन पदोन्नति प्रदान करने के उपरांत 4 एसीपीएस/एमएसीपीएस का लाभ अनुमन्‍य कराया गया है, जबकि नियमानुसार दो पदोन्नति प्रदान करने के उपरांत केवल एक एसीपीएस/एमएसीपीएस का लाभ अनुमन्य कराया जा सकता है और तीन पदोन्नति प्रदान करने के उपरांत कोई भी एसीपीएस/एमएसीपीएस का लाभ नहीं अनुमन्य कराया जा सकता है।

पदाधिकारियों का कहना है इस बारे में नर्सिंग एसोसिएशन एवं मेडिटेक एसोसिएशन द्वारा दिसंबर 2021 से अब तक निदेशक को 3 पत्र लिखकर यह निवेदन किया गया है कि मिनिस्टीरियल, सचिवीय एवं लेखा संवर्ग के कर्मचारियों की भांति नर्सिंग एसोसिएशन एवं मेडिटेक एसोसिएशन के समस्त सदस्यों को भी दो से तीन पदोन्नति के उपरांत चार एसीपीएस/एमएसीपीएस का लाभ अनुमन्य कराया जाए।

पदाधिकारियों का कहना है कि इस विषय में दोनों एसोसिएशन के प्रतिनिधि तीन बार निदेशक से मिलकर अपना पक्ष प्रस्तुत कर चुके हैं लेकिन अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसी के परिणाम स्वरूप दोनों एसोसिएशन ने आंदोलन पर जाने को मजबूर हैं। आंदोलन की रूपरेखा के अनुसार 7 अप्रैल से 10 दिन का प्रशासनिक भवन पर क्रमिक अनशन होगा इसके उपरांत कार्यवाही नहीं हुई तो 18 अप्रैल से प्रातः 10 बजे से 10 दिन तक 2 घंटे का कार्य बहिष्कार होगा फिर भी अगर कार्यवाही नहीं हुई तो 28 अप्रैल से पूर्ण कार्य बहिष्कार होगा। आंदोलन के चलते मरीजों को होने वाली परेशानी के बारे में पदाधिकारियों का कहना है कि इसके लिए संस्थान प्रशासन जिम्मेदार होगा।

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