Saturday , April 20 2024

न समय से जांच, न एम्‍बुलेंस और न ही अस्‍पतालों में भर्ती, बुरे हाल हैं लखनऊ में, लॉकडाउन की नौबत

-यूपी के कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर चिंता जताते हुए लिखा शासन को पत्र

-कहा अगर व्‍यवस्‍थाएं ऐसे ही बेकाबू रहीं तो लखनऊ में करना पड़ सकता है लॉकडाउन

बृजेश पाठक

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। बढ़ते कोरोना संक्रमण से लखनऊ के हालात बिगड़ते जा रहे हैं स्थिति यह है आम मरीज से लेकर खास मरीज तक घोर परेशानी का सामना कर रहा है। आवश्यकता के अनुरूप न तो कोविड जांच हो पा रही है न ही एम्बुलेंस मिल पा रही है और ना ही समय से अस्‍पताल में भर्ती मिल पा रही है। कहा जा सकता है कि सरकार के दावों के बावजूद कोविड इलाज को लेकर व्यवस्थाएं स्वयं वेंटिलेटर पर चली गई हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वयं इस दुर्व्‍यवस्था की शिकायत करते हुए शासन में बैठे अधिकारियों को पत्र लिखने पर मजबूर हुए। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को स्वयं अपने मंत्रियों से यह कहा था कि वह कोविड व्यवस्था को लेकर अपने-अपने क्षेत्रों का जायजा लें।

कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने इस संबंध में 12 अप्रैल को अपर मुख्य सचिव चिकित्‍सा एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश शासन तथा प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर तमाम अव्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए यहां तक कहा है कि यदि स्थितियों में सुधार नहीं हुआ तो हमें मजबूरन लखनऊ में लॉकडाउन करना पड़ सकता है।

सीएमओ से बात होने के बाद भी समय से नहीं आयी एम्‍बुलेंस

पत्र में कहा गया है कि लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं के अत्यंत चिंताजनक हाल हैं। बीते एक सप्ताह से मुझे ऐसे अनेक फोन आ रहे हैं जिसमें समुचित इलाज ना दिए जाने की की जा रही है। उन्होंने लिखा है पहले सीएमओ ऑफिस में फोन न उठने की शिकायत होती थी इसके बाद जब कहासुना गया तो अब फोन तो उठता है लेकिन सकारात्मक कार्य नहीं होता। श्री पाठक ने अपने पत्र में लिखा है कोरोना पेशेंट मरीज की जांच रिपोर्ट मिलने में 4 से 7 दिन का समय लग रहा है, यही नहीं एम्बुलेंस 5 से 6 घंटों के बाद पहुंच पा रही है। उन्होंने एम्बुलेंस समय से न आने पद्मश्री उपाधि से विभूषित इतिहासकार योगेश प्रवीन की मृत्यु का भी जिक्र करते हुए कहा है कि जबकि मैंने स्वयं फोन पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से एंबुलेंस भेजने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि सीएमओ ऑफिस पर भर्ती की क्लिप मिलने में दो दो दिनों का समय लग रहा है।

बृजेश पाठक ने लिखा है कि अव्यवस्थाओं को लेकर बीती 8 अप्रैल को मैं स्‍वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय जा रहा था लेकिन उस समय फोन पर मुझे अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा व्यवस्थाएं ठीक होने का आश्वासन दिया गया जिसके बाद मैंने सीएमओ से मिलने का अपना कार्यक्रम निरस्त कर दिया था लेकिन खेद की बात है अब तक स्थितियों में कोई सुधार नहीं हुआ है।

बृजेश पाठक ने कहा है की वर्तमान में जब 4000 से 5000 कोरोना के  रोगी रोज लखनऊ में सामने आ रहे हैं तो ऐसे में कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या अत्यधिक कम है यही नहीं लखनऊ में प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटरों में कोविड की जांच बंद करा दी गई है और सरकारी अस्पतालों में कोविड की जांच में कई दिनों का समय लग रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी विभाग के एक अधिकारी से बात हुई थी उन्होंने उन्हें बताया था कि प्रतिदिन 17000 किट जांच के लिए चाहिए जबकि सिर्फ ₹10000 ही मिल पा रही हैं। बृजेश पाठक ने अनुरोध किया है कि वर्तमान स्थितियों में अस्पतालों में को भी बेड की संख्या बढ़ाई जाए, पर्याप्‍त जांच किट उपलब्ध कराई जाए कोरोना की जांच की संख्या बढ़ाई जाए।

प्राइवेट लैब्‍स को दिया जाये कोविड जांच का अधिकार

उन्होंने कहा है प्राइवेट अस्पतालों, संस्थानों एवं पैथोलॉजी को कोविड जांच का पूरा अधिकार दिया जाए। पूर्व की भांति कोविड जांच के लिए रैंडम टेस्ट शुरू किए गए तथा आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट संबंधित को 24 घंटे के अंदर पहले की तरह उपलब्ध कराई जाए। उन्‍होंने कहा कि इसके साथ ही आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाई जाए एवं गम्‍भीर रोगियों को तुरंत भर्ती करने की सुविधा प्रदान की जाए तथा मरीजों को लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराये जाएं। उन्होंने कहा है कि इनके अतिरिक्त जो रोगी कोविड के मरीज नहीं हैं अथवा जो हार्ट, किडनी, लिवर, कैंसर, डायलिसिस एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रस्त हैं उनकी स्थिति तो और भी दयनीय है क्‍योंकि कोविड पैनडेमिक के कारण उन्हें समय से उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे रोगियों को भर्ती किए जाने के इंतजाम भी हमें गंभीरता से देखना है। अंत में उन्होंने लिखा है कि इस प्रकार कोविड जनित परिस्थितियों को नियंत्रित नहीं किया गया तो हमें कोविड की रोकथाम के लिए लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।