-महापौर संयुक्ता भाटिया ने किया विक्रमादित्य पार्क का लोकार्पण
-मंत्री डॉ महेन्द्र सिंह ने किया पंचांग व गौरवशाली इतिहास समेटे पुस्तक का विमोचन
-मुख्य वक्ता इतिहासकार संजय कुमार ने संगोष्ठी में किया विक्रमादित्य की गौरवगाथा का बखान
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2078 का आगाज नववर्ष चेतना समिति ने सम्राट विक्रमादित्य के नाम से बने पार्क के लोकार्पण से किया। समिति के सचिव सुनील कुमार अग्रवाल ने बताया कि पूर्व के वर्षों की भांति नववर्ष चेतना समिति ने इस वर्ष भी आनंद संवत्सर मंगलवार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2078 प्रारम्भ होने के अवसर पर मंगलवार को भारतीय नव वर्ष के स्वागत के उपलक्ष्य में विक्रमोत्सव 2078 का आयोजन किया।
कोविड काल में प्रोटोकाल्स का पूरी तरह पालन करते हुए आयोजित किये गये इस कार्यक्रम का खास आकर्षण लखनऊ में रायबरेली रोड पर सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर बनाये गये पार्क का लोकार्पण तथा सम्राट विक्रमादित्य पर लिखी पुस्तक ‘भारतीय इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य’ व नवसंवत्सर पचांग का विमोचन था। पार्क का लोकार्पण लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया द्वारा किया गया जबकि पुस्तक और पंचांग का विमोचन प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ महेन्द्र सिंह द्वारा किया गया। इस मौके पर वर्चुअली आयोजित संगोष्ठी में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संघ के प्रचारक व अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय कुमार ने सम्राट विक्रमादित्य के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी दी।
नव वर्ष चेतना समिति के कठिन प्रयासों के बाद 13000 स्क्वॉयर फीट एरिया में बने इस पार्क का लोकार्पण करते हुए लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि यह लखनऊ की जनता के लिए गौरवशाली क्षण है कि सम्राट विक्रमादित्य के नाम से पार्क का लोकार्पण किया जा रहा है। आज जब भारतीय नववर्ष विक्रम संवत्सर 2078 शुरू हो रहा है इस दिन इस पार्क का लोकार्पण करते हुए मैं स्वयं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। उन्होंने भारतीय नववर्ष के समय को प्रकृति से जोड़ते हुए कहा कि इस समय प्रकृति में बदलाव होता है, नयी-नयी फसलें नये पत्ते, फूल आते हैं। समिति की मांग पर उन्होंने कहा कि इस पार्क के अधूरे कार्यों को पूरा करने में नगर निगम की ओर से जो भी सहयोग होगा, किया जायेगा। समिति द्वारा महापौर को बताया गया कि पार्क में सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा के साथ ही उनके नौ रत्नों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए एक आर्ट गैलरी बनायी जानी है, इसी को लेकर महापौर द्वारा सहयोग का आश्वासन दिया गया।
पुस्तक और पंचांग का लोकार्पण करते हुए मंत्री डॉ महेन्द्र सिंह ने नव वर्ष चेतना समिति की सराहना करते हुए कहा कि समिति बहुत अच्छा कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सामान्यत: इस तरह की संस्थायें लम्बे समय तक कार्य नहीं कर पाती हैं क्योंकि वे सरकारी सहायता के माध्यम से संचालित होती है, और इसमें व्यवधान होते ही समितियों के कार्यों में भी बाधा आती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में नववर्ष चेतना समिति द्वारा कई वर्षों से लगातार कार्य किया जाना सराहनीय है। उन्हें कहा कि मैं हमेशा समिति के साथ हूं, इससे जुड़ा रहूंगा तथा व्यक्तिगत व सरकारी स्तर जो भी सहयोग होगा, मैं करूंगा।
पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए नव वर्ष चेतना समिति के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि ‘भारतीय इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य’ पुस्तक की सम्पादकद्वय डॉ निवेदिता रस्तोगी व गुंजन अग्रवाल हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि इस पुस्तक में दो साल पूर्व लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर से आए मूर्धन्य विद्वानों द्वारा सम्राट विक्रमादित्य की ऐतिहासिकता, तिथि निर्धारण, कालानुक्रम विक्रमादित्य के कार्य, उनके नवरत्न, विक्रम संवत पंचांग निर्माण आदि अनेक विषयों पर अपने-अपने शोध पत्रों का वाचन करके विक्रमादित्य की ऐतिहासिकता को प्रतिपादित किया था। इस विचार मंथन में बहुत से नवीन तथ्य भी प्रकाश में आए थे। उस समय संगोष्ठी में पढ़े गये 18 शोध पत्रों के मंथन में निकले अमृत को इस पुस्तक में वर्णित किया गया है।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता संजय कुमार ने अपने सम्बोधन में सम्राट विक्रमादित्य की प्रामाणिक ऐतिहासिकता के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पहली शताब्दी में एक कवि गुड़ाढ्य ने पैशाची भाषा में एक श्लोक लिखा था उसमें विक्रमादित्य का वर्णन है। इसके अतिरिक्त सातवाहन राजा हाल ने गाथा सप्तशती में जो कहानी लिखी है उसमें भी विक्रमादित्य का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त गुड़ाढ्य ने जो एक कहानी लिखी थी उसी को बाद में संस्कृत में क्षेमेन्द्र ने लिखा है, उसमें भी विक्रमादित्य का जिक्र आता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राजा विक्रमादित्य ने मंदसौर में अंवलेश्वर गांव में जलाशय बनवाया था उसमें स्तम्भ लेख मिला है। इसके अतिरिक्त कई और ऐतिहासिक साक्ष्यों के बारे में संजय कुमार ने जानकारी दी।
इस मौके पर कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली नववर्ष चेतना समिति की मुख्य संरक्षिका रेखा त्रिपाठी, मेधज ग्रुप के चेयरमैन समीर त्रिपाठी के साथ ही समिति के अन्य पदाधिकारी अजय सक्सेना, एस के त्रिपाठी, ओमप्रकाश पाण्डेय, आनंद पाण्डेय, अरुण मिश्रा, गोपाल प्रसाद भी उपस्थित रहे।