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हड्डी और जोड़ों को बचाने के उपाय बताये गये कार्यशाला में

-विश्‍व हड्डी एवं जोड़ दिवस पर संजय गांधी पीजीआई में आयोजित हुई कार्यशाला

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। अस्थि और जोड़ों के  स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन सन  2012  से हर साल 4 अगस्त को राष्ट्रीय हड्डी और जोड़ दिवस मनाता है। इस वर्ष का विषय है “प्रति एक बचाओ एक” जिसका मिशन आघात / सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को बचाना और  समाज के व्यक्तियों को हड्डी और जोड़ के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाना है।

इस पृष्ठभूमि के साथ, एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के अस्थि रोग विभाग द्वारा आज सुबह 10:00 बजे से एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में बेसिक लाइफ सपोर्ट स्किल्स पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जो इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन का एक प्रमुख कार्यक्रम है।

इस कार्यक्रम का आयोजन प्रो. राज कुमार, प्रमुख, एटीसी और एचओडी, न्यूरो सर्जरी और डॉ. आर. हर्षवर्धन,एमएस, एटीसी और एचओडी, अस्पताल प्रशासन के नेतृत्व में हड्डी रोग संकाय डॉ पुलक शर्मा, डॉ अनुराग बघेल, डॉ कुमार केशव और डॉ अमित कुमार के अग्रणी प्रयासों के साथ किया गया।  

कार्यक्रम के दो भाग थे – पहले भाग में डॉ. कुमार केशव, सहायक प्रोफेसर, आर्थोपेडिक्स द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट पर प्रशिक्षण दिया गया और उसके बाद डॉ. प्रतीक सिंह बैस, एसोसिएट प्रोफेसर, एनेस्थेसिया  विभाग द्वारा वायुमार्ग और श्वास के तत्काल प्रबंधन पर विचार-विमर्श शामिल था। 

कार्यशाला में एनेस्थिसियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ वंश प्रिये द्वारा सीपीआर का प्रदर्शन कर दिखाया गया। एनेस्थिसियोलॉजी के बाद, डॉ अमित कुमार, सहायक प्रोफेसर, हड्डी रोग द्वारा मस्कुलोस्केलेटल चोटों के प्राथमिक प्रबंधन विषय पर विचार व्यक्त किये गये। 

समारोह के दूसरे भाग में डॉ. कुमार केशव के स्‍वागत भाषण के बाद डॉ आर हर्षवर्धन द्वारा दर्शकों को संदेश दिया गया, जिसमें उन्होंने सभी के लिए बीएलएस प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। प्रमुख, एटीसी, प्रो राज कुमार ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा नियमों का पालन करने के महत्व पर विचार व्यक्त किये।  संस्थान के  डीन व कार्यकारी निदेशक,प्रो अनीश श्रीवास्तव ने सत्र के लिए मुख्य भाषण दिया।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. अर्चना सिंह, सहायक पुलिस आयुक्त, छावनी, लखनऊ थीं, जिन्होंने सड़क सुरक्षा के महत्व और सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों पर विचार-विमर्श किया।  कार्यक्रम का समापन डॉ. पुलक शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यशाला में 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें संकाय सदस्यों , रेजिडेट चिकित्सको, पैरामेडिक कार्मिक और विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की।

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