-श्री सूर्यस्तवराज: स्तोत्र में दिये 21 नामों का पाठ अनेक रोगों का करता है विनाश
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। सूर्य की पूजा जीवन में नौकरी आदि की बाधाओं को भी दूर करती है। व्यक्ति यदि अपना करियर नहीं बना पा रहा है, रोजगार नहीं मिल रहा है, ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति पूरे मनोयोग से यदि श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकम का पाठ करे तो करियर बनता है। पुराणों में इस पाठ को तुरंत फलदायी भी बताया है। इसके साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से श्री सूर्यस्तवराज: का पाठ रोगों के विनाश के लिए रामबाण है।
योगिक मानसिक चिकित्सा सेवा समिति की संचालिका, समाज सेविका व प्राणिक हीलर ऊषा त्रिपाठी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में चल रहे कोरोना के दौर में सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स बाहर निकलने पर नाक व मुंह को ढंकते हुए मास्क लगाना, व्यक्तियों से दो गज की दूरी बनाये रखना तथा समय-समय पर हाथों को साबुन-पानी से धोना या सैनिटाइजर से साफ करने जैसी बातों का कड़ाई से पालन करते रहना है। ऊषा त्रिपाठी ने बताया कि श्री सूर्यस्तवराज: स्तोत्र में सूर्य के 21 नामों का पाठ करने से एक हजार नामों के बराबर फल मिलता है। यह स्त्रोत रोगों के विनाश के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है खासकर हृदय रोग, चर्म रोग, नेत्र रोग आदि के लिए यह रामबाण स्रोत है।
उन्होंने बताया कि श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकम का पाठ व्यक्ति के करियर में आ रही रुकावटों को दूर करता है। पुराणों में इसे तुरंत फल देने वाला पाठ बताया गया है। इसका प्रत्येक रविवार को पाठ किया जाये तो फल मिलने की संभावना बढ़ जाती है। दोनों पाठ इस प्रकार हैं।