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जानिये, कब करानी चाहिये थाइरॉयड की जांच

-थाइरॉयड की जांच के बारे में वीडियो जारी किया डॉ पीके गुप्‍ता ने

डॉ पी के गुप्ता

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। आपने अक्‍सर सुना होगा कि लोगों को थायरॉयड की शिकायत हो जाती है। इसकी डायग्‍नोसिस के लिए खून के नमूने से थाइरॉयड फंक्‍शन टेस्‍ट किया जाता है। इस बारे में आईएमए के पूर्व अध्‍यक्ष व सीनियर पैथोलॉजिस्‍ट डॉ पीके गुप्‍ता ने पूर्व की भांति अनेक जांचों के बारे में जारी किये गये वीडियो की श्रृंखला में इस बार थाइरॉयड की जांच के बारे में वीडियो जारी किया है।

डॉ गुप्‍ता बताते हैं कि ब्लड द्वारा थाइरॉयड ग्लैंड के कार्य करने की क्षमता को नापने के लिए किया जाने वाला ग्रुप ऑफ टेस्ट है जिससे हमें जानकारी मिलती है कि थाइरॉयड ग्लैंड सुचारु रूप से कार्य कर रही है या नहीं।

थाइरॉयड फंक्शन टेस्ट में कौन-कौन सी जांच की जाती हैं

सामान्य रूप से रूटीन TFT में हम सीरम T3 सीरम T4 तथा TSH की जांच करते है विशेष परिस्थितियों मे कुछ फिजिशियन मरीज की आवश्यकता के अनुसार TSH के साथ free T3 तथा free T4 जांच की सलाह देते हैं Free T3 और free T4 physilogically एक्टिव फॉर्म ऑफ हार्मोन होता है जो कि प्रोटीन से बंधे नहीं होते है तथा शरीर के लिए इस्तेमाल होते हैं।

 

कब कराना चाहिये यह टेस्‍ट

थाइरॉयड हार्मोन थाइरॉयड ग्लैंड द्वारा निकलने वाला हार्मोन होता है यह ग्रंथि तितली के आकार की छोटी ग्रंथि‍ होती है जो गर्दन के आगे निचले भाग मे स्थित होता है यह शरीर के बेसल मेटाबोलिक रेट को नियंत्रित करती है इसकी अधिकता अथवा कमी से बहुत से विकार तथा लक्षण पैदा हो जाते हैं।

हाइपो थाइरॉयड में थाइरॉयड ग्लैंड की सक्रियता कम हो जाती है जिससे T3 तथा T4 हारमोन कम बनने लगता है जिसके कारण व्यक्ति का वजन बढ़ने लगता है, आवाज भारी होने लगती है, मरीज बहुत थका हुआ महसूस करता है कभी-कभी डिप्रेशन मे भी आ जाता है।

इसी प्रकार थाइरॉयड ग्लैंड की अतिसक्रियता यानी Hyperthyroid में मरीज का वजन कम होने लगता है आंखें बाहर दिखने लगती हैं, हाथों मे ट्रेमर्स होने लगता है दिल की धड़कन बढ़ जाती है साथ ही अनावश्यक चिंता होने लगती है।

यदि ऐसे लक्षण आने लगे तो फिजिशियन थाइरॉयड फंक्शन टेस्ट की सलाह देते हैं।

गर्भवती महिलाओं में थाइरॉयड की जांच नियमित रूप से कराते हैं क्योकि गर्भावस्था मे थाइरॉयड की समस्या आम होती है जिसका निदान आवश्यक है अन्यथा जच्चा-बच्चा दोनों को नुकसान हो सकता है।

ब्लड का नमूना

जांच के लिए खाली पेट नमूना देना चाहिए यदि थाइरॉयड की दवा चल रही हो तो दवा जांच के दिन भी लेना चाहिए इसके लिये 3 से 5 ml blood रेड कैप ट्यूब मे लिया जाता है।

क्‍या है नॉर्मल रेंज

रूटीन थाइरॉयड फंक्शन टेस्ट में 3 टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है

पहला सीरम T3 यानी सीरम triiodothyronin जिसका नॉर्मल रेंज हमारे लैब मे 0. 52 ng/ml से 1.85 ng/ml mentioned है किसी-किसी लैब मे इसकी यूनिट ng/dl होती है जिससे नॉर्मल रेंज बदल जाती है

दूसरा हार्मोन सीरम T4 यानी सीरम थायरोक्सिन जिसका नॉर्मल रेंज हमारे लैब में 4.8 ug/dl से 11.6 ug/dl mentioned है

तीसरा हार्मोन TSH यानी थाइरोइड stimulating हार्मोन है जिसका नॉर्मल रेंज हमारे लैब मे 0.39 micro IU /ml  से 6.1 micro IU /ml mentioned है।

चूंकि एक लैब से दूसरी लैब के रिजल्‍ट में थोड़ा अंतर हो सकता है इसलिए टेस्‍ट एक ही जगह करायें जिससे तबीयत में सुधार के बारे में सटीक जानकारी मिल सके, इसके साथ ही लैब मे मौजूद पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर से भी सलाह लेते रहना चाहिए।

डॉ गुप्‍ता ने बताया कि जांच रिपोर्ट में यदि सीरम T3 तथा सीरम T4 कम है तथा सीरम TSH की वैल्यू हाई है तो यह हाईपो थाइरॉयड का संकेत है यह समस्या महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है यह एक डेफिशियेंसी डिसऑर्डर है यदि समय रहते रूटीन टेस्ट द्वारा पकड़ मे आ जाये तो इसका शत प्रतिशत इलाज सम्भव है।

यदि जांच मे सीरम T3 तथा सीरम T4 हार्मोन अधिक है तथा serum TSH की वैल्यू लोअर साइड में है तो यह Hyperthyroid का संकेत है ऐसा ग्रेव्स डिजीज में मिलता है इसके लिए तुरंत हार्मोन फिजिशियन से मिलना चाहिए इसका भी इलाज शत प्रतिशत सम्भव है।

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