-सीबीएसई परीक्षा के परिणाम के मौके पर मनोवैज्ञानिक डॉ कुमुद श्रीवास्तव की सलाह
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। आज केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 10वीं के परीक्षा-परिणाम घोषित होने जा रहे हैं। विद्यार्थियो के कॅरियर में अहम स्थान रखने वाले इन प्रथम परीक्षा परिणामों को लेकर विद्यार्थियों में उत्साह, चिंता के मिले-जुले भाव हैं, ऐसे में बच्चों को माता-पिता के महती सहयोग की आवश्यकता होती है।
यह कहना है मनोवैज्ञानिक डॉ कुमुद श्रीवास्तव का। बच्चों के मनोविज्ञान को बारीकी से परखने वाली डॉ कुमुद का कहना है कि परीक्षा परिणामों के समय माता-पिता की तरफ से बच्चों को प्रोत्साहित करने, उनका समर्थन और सराहना करने तथा समझदारी से आगे बढ़ने की सलाह की अत्यधिक आवश्यकता होती है।
माता-पिता हों या परिवार के अन्य सदस्यों को बच्चे की वास्तविक अभियोग्यता से अधिक की अपेक्षायें रखना-बच्चे में तनाव और चिंताग्रस्त होने का प्रमुख कारण है।
उन्होंने कहा कि माता-पिता बच्चे के कंधे पर हाथ रखें और उस के साथ खड़े होकर बोलें कि किसी भी परीक्षा का परिणाम ज़िन्दगी से बडा नहीं होता है। जिन्दगी बेमिसाल है। हमेशा उचित दिशा में की गई कड़ी मेहनत और लगन जीवन में सफलता और खुशियां लाती हैं।
विशेष ध्यान देने वाली बातें
डॉ कुमुद बताती हैं कि ऐसे समय कुछ बातों को अभिभावकों को ध्यान में रखना चाहिये।
*हर बच्चे की अलग काबिलियत होती है। ऐसे में माता-पिता उसकी वास्तविक क्षमताओं को समझें और उन्हें प्रोत्साहित करें।
*बच्चे के परीक्षाफल की तुलना दूसरों से करने से उनका मनोबल टूटता है और निराशा उपजती है, तथा कभी-कभी आवेश में, बच्चे अनुचित कदम भी उठा लेते हैं।
*बच्चे को समझायें कि उनका भविष्य उज्ज्वल है और जीवन अनमोल होता है। वे बिना निराश और हतोत्साहित हुये मेहनत करके अधिक सफलता हासिल कर सकते हैं।
*बच्चों की अत्यधिक आलोचना से उनका मनोबल टूटता है, साथ ही वे तनावग्रस्त भी हो जाते हैं।
*माता-पिता को इस समय बच्चो पर अपनी अपेक्षाएं और इच्छायें ना थोपें, ताकि बच्चे तनाव और अवसाद से पीड़ित न हो जायें।
*माता-पिता तनाव मुक्त होंगे, तभी वे बच्चो को तनाव मुक्त रख सकेंगे और उन्हें सही मार्ग दर्शन दे सकेंगे। बच्चों को ये महसूस होना चाहिये कि उनकी मनोवांछित सफलता हासिल ना कर पाने पर भी माता-पिता उनके साथ हैं।
*बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए सही विषय और सही रोजगार-पथ को चुनने में सहयोग दें। इसके लिए पूरी जानकारी रखें तथा बच्चे की रुचि ही नहीं, अभियोग्यतायों और क्षमताओं पर भी ध्यान दें, और उन पर किसी भी तरह का तनाव हावी न होने दें l
*माता-पिता बच्चो को यह भी सिखाएं कि असफलता, निराशा और इच्छाओं की पूर्ति न होने पर किस प्रकार इस अवस्था का सामना करें, किस प्रकार बिना हतोत्साहित हुये इनसे सबक लें और मेहनत कर के अपने सपनों को पूरा करने के लिए सदा प्रयासरत रहें।
अगर किसी कारण से किसी प्रकार की असफलता मिले, तो और बहुत से रास्ते भी होते हैं जिन पर बच्चे अपने माता-पिता के हर प्रकार के अमूल्य सहयोग से अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।