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जानिये, शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने का वैज्ञानिक महत्‍व

-लोहिया संस्‍थान के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ एसके पाण्‍डेय ने दी जानकारी

डॉ एसके पाण्‍डेय

सेहत टाइम्‍स   

लखनऊ। आज 9 अक्‍टूबर को अश्विन मास शुक्‍ल पक्ष शरद पूर्णिमा है, इस दिन चांदनी रात में खुले में खीर रखने की प्रथा है, जैसा कि हमारी प्राचीन प्रथाओं के पीछे कोई न कोई विज्ञान भी है, जो मानव जाति के लिए कल्‍याणकारी होता है, कुछ ऐसा ही आज के दिन खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों के बीच रखने के पीछे का उद्देश्‍य है।

‘सेहत टाइम्‍स’ से इसके वैज्ञानिक‍ महत्‍व को बताते हुए डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान में कार्यरत आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ एसके पाण्‍डेय कहते हैं कि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। उन्‍होंने बताया कि इस रात को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट रहकर अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है तथा इसकी किरणें अमृत की वर्षा करती हैं।

उन्‍होंने बताया कि यही नहीं शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता भी अधिक होती है। रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है।

खीर रखने की परम्‍परा के बारे में डॉ पाण्‍डेय बताते हैं कि यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए क्‍योंकि चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। अध्ययन के अनुसार दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चूंकि चावल में स्टार्च होता है इसलिए यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है।

डॉ पाण्‍डेय कहते हैं कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चन्द्रमा को मन और औषधि का देवता माना जाता है। खीर में उपलब्ध सभी सामग्री जैसे दूध, खांड और चावल के कारक भी चन्द्रमा ही है, अतः इनमें चन्द्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है। खुले आसमान के नीचे खीर पर जब चन्द्रमा की किरणें पड़ती है तो यही खीर अमृत तुल्य हो जाती है जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। प्राकृतिक चिकित्सालयों में तो इस खीर का सेवन कुछ औषधियां को मिलाकर दमा के रोगियों को भी कराया जाता है। यह खीर पित्तशामक, शीतल, सात्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को भी शांति मिलती है।

इस खीर को चर्म रोग दूर करने के साथ ही आंखों की बीमारियों के लिए भी अच्छा बताया जाता है। उन्‍होंने कहा कि इस दिन रात्रि 10 बजे से 12 बजे के मध्‍य प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक चांदनी रात में किरणों का स्‍नान करना चाहिये।

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