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कोविड-19 की जांच के लिए केजीएमयू सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस नामित

-तीन प्रकार की किट्स व रिजेन्‍ट्स को प्रमाणित करेगा केजीएमयू

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान परिषद (आईसीएमआर) ने किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय को कोविड-19 के परीक्षण के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नामित किया है। यह जानकारी केजीएमयू द्वारा आज ऑनलाइन आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो अमिता जैन तथा बायोकेमेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अब्बास अली मेहंदी उपस्थित रहे।

कुलपति ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नामित किए जाने के बाद अब भविष्य में तीन प्रकार की किट्स एवं रिजेन्‍ट्स को केजीएमयू द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। इसके लिए आईसीएमआर ने प्रोटोकॉल प्रदान कर दिए हैं। इस प्रक्रिया के बाद ही कि‍टों के निर्माणकर्ता चिकित्सा विश्‍वविद्यालय से संपर्क कर अपनी कि‍टों का परीक्षण कराएंगे। जिन तीन प्रकार की किट्स एवं रिजेन्‍ट्स को प्रमाणित किया जाएगा, उसमें पहला वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया किट, दूसरा आर एन ए एक्सट्रैक्शन किट तथा आरटी पीसीआर शामिल है। कुलपति ने बताया कि केजीएमयू में शुरुआत से ही आईसीएमआर नई दिल्ली द्वारा अनुशंसित आरटी-पीसीआर माध्यम से ही कोविड-19 परीक्षण किये जा रहे हैं।

उन्होंने बताया प्रारंभ में मात्र 100 टेस्‍ट प्रतिदिन होते थे अब यह संख्या 5000 हो गई है। भविष्य में उत्तर प्रदेश जैसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य की आवश्यकता को देखते हुए कम से कम 10000 टेस्‍ट प्रतिदिन होने चाहिए इसके दृष्टिगत निरंतर जांच प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई जा रही है।

उन्होंने बताया पिछले सप्ताह लखनऊ की आईआईटीआर, सीडीआरआई और बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेरियो बॉटनी में कोविड-19 के नमूनों की जांच प्रारंभ कर दी गई है उन्होंने उम्मीद जताई कि 1 से 2 सप्ताह के भीतर एनबीआरआई में भी यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। आईसीएमआर के मार्गदर्शन में केजीएमयू के निरंतर सहयोग एवं प्रयास से ये सुविधाएं बढ़ रही हैं।

प्रो अमिता जैन ने इस मौके पर बताया कि केजीएमयू को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नामित किये जाने के साथ ही कुछ जिम्मेदारियां भी मिली हैं इनमें मूल रूप से किट्स का वैलिडेशन किया जाना प्रमुख है। इससे पूर्व में यह जिम्‍मेदारी एनआईवी, पुणे के पास थी। प्रो अमिता जैन ने बताया कि जिन तीन प्रकार की किट्स के वैलिडेशन का कार्य शुरू किया जाएगा उसमें पहला है वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया, यह वह ट्यूब होता है जिसमें नमूने को इकट्ठा कर जांच के लिए लाया जाता है। इसकी गुणवत्ता उच्च कोटि की होना आवश्यक है क्योंकि अगर नमूना ही सही प्रकार से नहीं आ पाएगा तो जांच की रिपोर्ट सही नहीं जा पाएगी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इनकी प्रमाणिकता की जांच किस प्रकार से की जानी है उसका स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर आईसीएमआर द्वारा प्रदान किया जा चुका है और यह सारी प्रक्रिया उसी प्रोसीजर के साथ की जाएगी तथा इसकी रिपोर्ट आईसीएमआर नई दिल्ली को प्रेषित की जाएगी। दो अन्य के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आरएनए एक्‍स्‍ट्रेक्‍शन किट में संक्रमण का आरएनए या जिनोम निकालने का कार्य किया जाता है। इसकी गुणवत्ता भी उच्‍च कोटि की होने की आवश्यकता होती है अन्यथा आरएनए को निकालने में परेशानी होगी तथा इसके लिए भी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर आईसीएमआर द्वारा प्रदान किया जा चुका है। तीसरी प्रक्रिया आरटी पीसीआर होती है उसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसके माध्यम से कोविड-19 ें न्‍यूक्लिक एसिड पहचान का कार्य होता है।

केजीएमयू के बायोकेमिस्‍ट्री विभाग के विभागाध्‍यक्ष व कोविड टेस्टिंग डिपो के प्रभारी प्रो अब्‍बास अली मेंहदी ने बताया कि डिपो में कोल्‍ड चेन को मेन्‍टेन रखते हुए किट्स रखी जाती है, फि‍र यहां से दूसरी प्रयोगशालाओं में भेजी जाती हैं। उन्‍होंने बताया कि इस डिपो में एक बार में 50 हजार किट्स रखने की क्षमता है। उन्‍होंने बताया कि केजीएमयू में संचालित आईसीएमआर नई दिल्ली की क्षेत्रीय डिपो सीधे तौर पर कुलपति प्रो भट्ट के नेतृत्व में कार्य करेगी। प्रो अमिता जैन और प्रो मेंहदी को रीजनल डिपो के व्यवस्थापक के तौर पर नामित किया गया है। इसकी तकनीकी टीम में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रो विमला वेंकटेश को उत्तर प्रदेश में स्थापित प्रयोगशालाओं से संबंध स्थापित करने के लिए नोडल अधिकारी नामित किया गया है। उन्होंने बताया कि डिपो कोऑर्डिनेटर के तौर पर एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर ज्योति चोपड़ा एवं बायोकेमिस्ट्री विभाग से डॉ एमके अहमद को नामित किया गया है इसके अतिरिक्त रेडियोथैरेपी विभाग के डॉ नवीन सिंह पैकेजिंग कोऑर्डिनेटर एवं जनरल सर्जरी विभाग के डॉ कुशाग्र गौरव लॉजिस्टिक कोऑर्डिनेटर होंगे।