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सोच बड़ी रखें, चुनौतियों का डटकर सामना करें शोधार्थी

-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान के वार्षिक शोध दिवस पर शोधार्थियों को सम्‍मानि‍त किया मुख्‍य सचिव ने

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के अध्‍यक्ष मुख्‍य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने शोधार्थियों से कहा है कि सोच हमेशा बड़ी होनी चाहिए। किसी भी देश की तरक्की, उन्नति उसके शोध के ऊपर आधारित होती है शोध के क्षेत्र में चुनौतियां बहुत हैं लेकिन शोधार्थियों को उन चुनौतियों का डटकर सामना करना चाहिए।

श्री मिश्र ने यह उद्गार आज संस्‍थान में वार्षिक शोध दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि अनुसंधान की पहली सीढ़ी है सही प्रश्न बनाना यदि हमने सही प्रश्न बना लिया तो 50 परसेंट काम यूं ही हो जाता है। कोई भी शोध इस प्रकार का होना चाहिए कि वह आम आदमी के लिए प्रभावी हो। किसी भी शोध में ईज ऑफ यूज होना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि हमारे देश ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं, अब अमृत काल की शुरुआत हो चुकी है, 100 साल पूरे होने पर हमारा यह देश एक विकसित देश  होगा। अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस बार हमारे प्रधानमंत्री ने एक नारा दिया है जय जवान जय किसान जय अनुसंधान, जिसका उद्देश्य है देश को एक नए स्तर पर ले जाना, एक नई सोच और नई ऊर्जा के साथ काम करना।

उन्होंने यह भी आह्वान किया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत हमें रिड्यूस, रीयूज एंड रीसाइकिल के आधार पर काम करना चाहिए। हमें अपने आसपास जहां हम कार्य करते हैं, चाहे वह हमारा घर हो, चाहे वह हमारा ऑफिस हो, ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि हम कम से कम कूड़ा उत्पन्न करें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसी भी पुरस्कार, भेंट इत्यादि को पॉलिथीन में गिफ्ट रैप करके नहीं, बल्कि खुला दिया जाए और संस्थान द्वारा पेपर सर्टिफिकेट न देकर सर्टिफिकेट को फ्रेम करा कर दिया जाए, जिससे लोग उसे याद के तौर पर अपने कार्यस्थल या घर में दीवार पर लगा सकें।

मुख्य अतिथि दुर्गा शंकर मिश्र ने इस अवसर पर संस्थान में विज्ञान के क्षेत्र में बेहतर शोध करने वाले डॉक्टरों तथा छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। अंत में उन्होंने संस्थान को 4 नई किताबें तथा अंतरराष्ट्रीय लेखन पर 13 नए चैप्टर प्रकाशित करने के संस्थान के संकाय सदस्यों को बधाई दी और यह संस्थान के कीर्तिमान में एक नई उपलब्धि बताया। पिछले 1 वर्ष के दौरान संस्थान की ओर से चार नए पेटेंट (तीन न्यूरो सर्जरी विभाग और एक ऑर्थोपेडिक विभाग) फाइल किए गए जिसे सर्वत्र सराहा गया।

आज जिन शोधार्थियों को पुरस्कृत किया गया है उनमें फैकल्टी कैटेगरी में  क्लीनिकल साइंसेज और पब्लिश्ड रिसर्च के लिए बेस्ट पेपर अवॉर्ड न्‍यूरो सर्जरी के डॉ दीपक कुमार सिंह को तथा बेस्ट साइंसेज फॉर अनपब्लिश्ड रिसर्च के लिए बेस्ट रिसर्च अवॉर्ड माइक्रोबायोलॉजी के डॉ विक्रमजीत सिंह को प्रदान किया गया है। इसी प्रकार क्लीनिकल साइंसेज फॉर अनपब्लिश्ड रिसर्च का बेस्ट रिसर्च अवॉर्ड पीडियाट्रिक की डॉ नेहा ठाकुर को प्रदान किया गया है।  रेजिडेंट्स को दिए गए पुरस्कारों में बेसिक साइंस में बेस्ट रिसर्च अवॉर्ड पैथोलॉजी के डॉ श्रीधर मिश्रा को, क्लिनिकल साइंसेज में बेस्ट रिसर्च अवॉर्ड एनस्थीसियोलॉजी की डॉ काव्या सिंधु को तथा एमबीबीएस स्टूडेंट की कैटेगरी में बेस्ट रिसर्च अवॉर्ड पैथोलॉजी की प्रशस्ति को प्रदान किया गया है।

इस दौरान संस्थान की निदेशक प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर राजन भटनागर, डीन प्रोफेसर नुसरत हुसैन, सब डीन प्रोफेसर रितु करौली एवं अन्य संकाय सदस्य, एमबीबीएस छात्र, रेजिडेंट्स उपस्थित रहे।

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्‍ज्‍वलन से होने के बाद डॉ रितु करौली द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया जबकि प्रोफेसर नुसरत हुसैन द्वारा वार्षिक शोध दिवस पर प्रकाश डाला गया, जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि संस्थान के संकाय सदस्यों, रेजिडेंट्स एवं एमबीबीएस छात्रों द्वारा सक्रियता से प्रतिभाग किया गया। अलग-अलग श्रेणियों में कुल 81 शोध प्रविष्टियां प्राप्त हुईं। प्रतिभागियों द्वारा  पोस्टर के माध्यम से अपने शोध का प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिअरी साइंसेज के चांसलर एवं निदेशक प्रोफेसर एसके सरीन द्वारा ऑनलाइन माध्यम से  “Bethikalism-A Journey in Science”  विषय पर अनुसंधान व्याख्यान दिया गया। अपने व्याख्यान में उन्होंने बताया “रिसर्च इस रिलिजन इन वे ऑफ लाइफ” हमें रिसर्च से जुड़े एथिक्स को फॉलो करना चाहिए और जहां सच होगा वहां आग जरूर होगी। उन्‍होंने कहा कि हार और जीत  एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, हमें इन्हें बराबर से देखना चाहिए और हार नहीं माननी चाहिए।

प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद द्वारा अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों की सराहना की गयी एवं छात्रों को भविष्य में इस तरह की प्रतिस्पर्धा में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ रितु करौली द्वारा धन्यवाद ज्ञापन देकर किया गया।

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