-आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी फार्माकोविजिलेंस डेटाबेस से युक्त आयुष सुरक्षा पोर्टल शुरू
-गलत सूचनाओं के खिलाफ एक सतर्क निगरानीकर्ता के रूप में काम करेगा सुरक्षा पोर्टल
सेहत टाइम्स
लखनऊ। आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक की रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक स्मार्ट तरीका विकसित करते हुए आयुष सुरक्षा पोर्टल की शुरुआत की गयी है। यह गलत सूचनाओं के खिलाफ एक सतर्क निगरानीकर्ता के रूप में काम करेगा। इसमें आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी फार्माकोविजिलेंस डेटाबेस को शामिल किया गया है। इस पोर्टल के उद्देश्यों में संदेहास्पद प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रियाओं (एडीआर) का प्रभावी दस्तावेज़ीकरण, आपत्तिजनक विज्ञापन (ओए)/भ्रामक विज्ञापन (एमएलए) को पकड़ना भी शामिल हैं जिससे कि केवल सुरक्षित और विश्वसनीय उत्पाद ही नागरिकों तक पहुंचें।
नयी दिल्ली में इसकी शुरआत बीती 30 मई को केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने की है। मंत्री ने कहा कि आयुष सुरक्षा पोर्टल के शुभारंभ के साथ, हम नागरिकों और पेशेवरों को आयुष प्रणालियों की अखंडता की रक्षा में सक्रिय भागीदार बनने के लिए सशक्त बना रहे हैं। यह मंच केवल सुरक्षित और विश्वसनीय उत्पाद ही लोगों तक पहुंचाने के लिए भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ एक सतर्क निगरानी के रूप में काम करेगा। इस पोर्टल पर पहुंचने के लिए https://suraksha.ayush.gov.in/ पर क्लिक करना होगा।
उन्होंने कहा कि आयुष सुरक्षा पोर्टल आयुष पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर फार्माकोविजिलेंस और विनियामक अभिसरण में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों, राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस केंद्रों और प्रमुख नियामक हितधारकों से डेटा को एकीकृत करके, पोर्टल भ्रामक विज्ञापनों और प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं पर वास्तविक समय की निगरानी, व्यवस्थित विश्लेषण और समन्वित कार्रवाई की सुविधा प्रदान करता है।


आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली को इस पहल की विभिन्न गतिविधियों के समन्वय के लिए राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस केंद्र के रूप में नामित किया गया है। कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में, पांच (05) राष्ट्रीय आयुष संस्थानों को मध्यवर्ती फार्माकोविजिलेंस केंद्र (आईपीवीसी) के रूप में नामित किया गया है और 97 परिधीय फार्माकोविजिलेंस केंद्र (पीपीवीसी) इस मिशन में शामिल हुए हैं।
पोर्टल के अन्य उद्देश्यों में आयुष में रोगी देखभाल में सुधार करना, आयुष के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना, आयुष में कार्य कुशलता में सुधार करना, आयुष अस्पताल का कुशल प्रबंधन, एएसयू और एच औषधियों में अनुसंधान में सुधार करना, आयुष अस्पतालों में संभावित त्रुटियों की संभावना को समाप्त करना, दवा संबंधी समस्याओं (डीआरपी) की बेहतर समझ के लिए त्रुटियों का दस्तावेज़ीकरण (एडीआर रिपोर्टिंग) के माध्यम से तथ्य का पता लगाना तथा भारत में आयुष-विजिबेस प्रणाली को बनाए रखना शामिल हैं।
आयुष सुरक्षा पोर्टल को रिट याचिका (सिविल) संख्या 645/2022 में सर्वोच्च न्यायालय के 30 जुलाई, 2024 के आदेश के अनुसार विकसित किया गया है, जिसमें न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापनों और प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं से संबंधित डेटा की निगरानी और प्रकाशन के लिए एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड की आवश्यकता पर बल दिया था। यह प्रणाली CDSCO, MoI&B, CCPA, NCISM, NCH, PCI, FSSAI और राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों के तहत आयुष वर्टिकल सहित कई प्राधिकरणों को एकीकृत करती है, जिससे समन्वित प्रतिक्रिया और प्रवर्तन सुनिश्चित होता है। आयुष सुरक्षा (रोगी सुरक्षा की बेहतरी के लिए आयुष दवाओं पर केंद्रित तीसरी आँख की निगरानी) सभी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और रोगियों/उपभोक्ताओं को रोगी सुरक्षा को बढ़ावा देने के हमारे मिशन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती है।
इस पोर्टल के लॉन्च होने के साथ ही आयुष मंत्रालय के पास अब रिपोर्ट किए गए मामलों का एक केंद्रीकृत और सुलभ डैशबोर्ड है, जिससे वास्तविक समय पर ट्रैकिंग, त्वरित विनियामक कार्रवाई और विस्तृत डेटा विश्लेषण संभव हो गया है। यह प्रणाली यह भी सुनिश्चित करती है कि नागरिकों के पास अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए एक सीधा चैनल हो, साथ ही उनकी रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई की पारदर्शी दृश्यता भी हो। आयुष सुरक्षा को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सिद्ध अनुसंधान परिषद के अंतर्गत सिद्ध केंद्रीय अनुसंधान संस्थान, चेन्नई द्वारा विकसित किया गया था और आयुष ग्रिड को प्रस्तुत किया गया था।
