-जनपद मुख्यालयों पर हुए प्रदर्शन में डीएम के माध्यम से पीएम को ज्ञापन
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के आह्वान पर देशभर में जनपद मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करके जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन देकर मांगों पर निर्णय करने की मांग की गयी।
लखनऊ में यह कार्यक्रम जीपीओ स्थित गाँधी प्रतिमा पर जिलाध्यक्ष सुभाष चंद श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ तथा कार्यक्रम का संचालन जिलामंत्री संजय पाण्डेय ने किया, कार्यक्रम में भारी संख्या में कर्मचारियों ने भागीदारी की और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की कि इप्सेफ की मांगों पर बैठक करके सार्थक निर्णय करें वरना देशभर में कर्मचारी बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे। सरकार के निजीकरण की नीति के विरोध में देशभर के कई करोड़ कर्मचारी आक्रोशित हैं।
सभा को संबोधित करते हुए इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने कहा कि मांगों पर जंतर मंतर पर प्रदर्शन करके कैबिनेट सचिव भारत सरकार को ज्ञापन दिया था इसके साथ ही कई बार कैबिनेट सचिव एवं प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार पीके सिन्हा से 16 नवंबर को भेंट करके उन्हें मांगों का ज्ञापन दिया। बार-बार आश्वासन दिया गया कि सार्थक निर्णय करने की प्रक्रिया चल रही है परंतु मांगें अभी तक लंबित पड़ी हैं जिसके कारण आंदोलन करना पड़ रहा है उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि तत्काल बैठक करके मांगों पर सार्थक निर्णय करें।
सभा को संबोधित करते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के महामंत्री शशि कुमार मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों की मांग वेतन विसंगति, संवर्ग पुनर्गठन, केंद्र की भांति सभी भत्ते देने, आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के नियमावली का प्रकरण, स्थानीय निकाय, राजकीय निगम, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, माध्यमिक शिक्षक संघ, शिक्षणेतर कर्मचारी, विकास प्राधिकरण कर्मचारियों की मांगों पर प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि राज्य कर्मचारी इप्सेफ के आंदोलन में पूरे जोर-शोर से भागीदारी कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। परिषद की मांगों पर प्रदेश सरकार मौन है जिससे प्रदेश के कर्मचारी आक्रोशित हैं।
महामंत्री अतुल मिश्र ने बताया कि इप्सेफ के आह्वान पर प्रदेश के सभी जनपदों के लाखों कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में जिला मुख्यालयों पर धरना देकर कार्यक्रम को पूर्ण रूप से सफल बनाया। इस धरने मे परिषद से सम्बद्ध विभागो के संगठनो के कर्मचारियों के शामिल होने से चिकित्सा शिक्षा के समस्त मडिकल कालेज व विशिष्ट संस्थान, के0जी0एम0यू0, चिकित्सा स्वास्थ्य के समस्त अस्पताल, राश्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन परिवार कल्याण, समाज कल्याण, व्यापार कर, कृषि, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, परिवहन, रोडवेज, वन, नगर निगम, सेतु निगम औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, पशुपालन, होम्योपैथ, आयुर्वेद आदि विभागों में सरकार के उपेक्षात्मक रवैये के कारण कार्य प्रभावित हुआ तथा आम जन मानस को असुविधाओ का सामना करना पडा़।
धरने में राज्य निगम कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा, महामंत्री घनश्याम यादव, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के कैसर रजा, माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमरनाथ सिंह व महामंत्री नन्द किषोर मिश्रा, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ डिप्लोमा फार्मासिस्ट के अध्यक्ष डॉ0 के के सचान, गिरीष मिश्र महामंत्री रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिशद, अषोक कुमार महामंत्री राजकीय नर्सेज़ संघ, संजय शुक्ल अध्यक्ष शिक्षणोत्तर कर्मचारी संघ, सुनील यादव महामंत्री राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ, अवधेश मिश्रा महामंत्री सिंचाई संघ, डेण्टल हाइजेनिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री राजीव तिवारी, आरकेपी सिंह महामंत्री एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन, प्रोवेंशियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री अनिल कुमार, विजय किशोर मिश्र अध्यक्ष राजस्व अधिकारी संघ, डा0 पी0के0 सिंह सचिव, आषीश पाण्डेय वन विभाग फेडरेशन, अवधेश सिंह अध्यक्ष विकास प्राधीकरण, सर्वेश पाटिल अध्यक्ष राजकीय आप्टोमेट्रिस्ट एसो0, अशोक कुमार महामंत्री राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ, जे0पी0 मौर्या वाणिज्य कर मिनिश्टिीरियल स्टाफ एसो0, के0जी0एम0यू0 कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह, महामंत्री प्रदीप गंगवार, प्रयोगशाला सहायक संघ के अध्यक्ष एस0के0 पाण्डेय, महामंत्री वी0के0 सिंह, डा0 आर0एम0एल0 अस्तित्व बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष डी0डी0 त्रिपाठी महामंत्री प्रदीप नायक, राम मनोहर कुशवाहा, राजेश चैधरी, कमल श्रीवास्तव, अजय पाण्डे, सुनील कुमार, ने इप्सेफ के आंदोलन को पूरा सहयोग देने का वादा किया।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में नई पेंशन स्कीम-2004 (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) को बन्द कर पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जाना, आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा एवं न्यूनतम वेतन, विनियमितीकरण के नियमावली बनाई जाना, राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन किया जाना, केंद्र की भांति राज्यों के कर्मचारियों को वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं दिया जाना, रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां करना, आयकर सीमा बढ़ाकर नेट 8 लाख किया जाना, 50 वर्ष की सेवा पर जबरन सेवा निवृत्ति, 33 वर्ष की सेवा पूरी करने पर वी. आर. एस. की कार्यवाही बंद किया जाना, सार्वजनिक सेक्टर प्राइवेट सेक्टर के पूर्व की भांति बनाये रक्खा जाना सार्वजनिक सेक्टर को बंद करने की कार्यवाही बंद किया जाना तथा स्वशासी संस्थाओं के कर्मचारियों को बोनस का भुगतान किया जाना शामिल है।